गोरखपुर। आयुर्वेद सिर्फ बीमारियों का इलाज ही नहीं करता बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए सतर्क भी करता है। यह इलाज के साथ स्वास्थ्य जागरूकता का भी विज्ञान है। आयुर्वेद के बताए नियमों को यदि हम अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें तो अनेक व्याधियों से आप ही मुक्ति मिल जाएगी।
यह बातें चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनय सिंह ने कही। वह गुरुवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम की संस्था गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (Ayurveda College) में बीएएमएस (BAMS) प्रथम वर्ष के दीक्षा पाठ्यचर्या (transitional curriculum) समारोह के नौवें दिन नवप्रेवशी विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। "लोक स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका" विषय पर व्याख्यान देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि रोगों के इलाज की जानकारी देने से पहले आयुर्वेद हमें यह बताता है कि हम निरोग कैसे रहें।
मधुमेह (diabetes) जैसी बीमारी आम हो चली है तो उसका प्रमुख कारण यह है कि हम अपनी नियमित दिनचर्या से भटक गए हैं। उन्होंने कहा कि निरोग (healthy) होने और दिनचर्या सुव्यवस्थित कर व्याधियों से बचने के लिए दुनिया आयुर्वेद व अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की तरफ बढ़ी है। सरकार भी इस दिशा में नए कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाना, आयुष के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। डॉ सिंह ने कहा कि आयुर्वेद (ayurveda) को बढ़ावा देकर व्यापक स्तर पर लोक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है।
वर्तमान एवं भावी परिस्थितियों के अनुरूप लचीली है नई शिक्षा नीति : डॉ. राव
दीक्षा पाठ्यचर्या समारोह में गुरुवार के पहले सत्र में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने "नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में अपना शिक्षा परिसर" विषय पर छात्रों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्र एवं वर्तमान के साथ अनुमानित भावी परिस्थितियों के अनुकूल लचीली है। इसमें जीव विज्ञान का कोई छात्र अपनी इच्छा के अनुसार वाणिज्य की भी पढ़ाई कर सकता है। नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित है और यह अभिरुचि के अनुसार सीखने के सतत अध्ययन पर जोर देती है। डॉ. राव ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारत की प्राचीनतम शिक्षा व्यवस्था को अद्यानुतन व समयानुकूल रूप दिया गया है। यह नीति आयुष की शिक्षा को नए कलेवर में भी ले आई है।
एक अन्य सत्र में "स्ट्रांग रिलेशन बिटवीन आयुर्वेद एंड एनालिटिकल केमेस्ट्री" विषय पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गीता सिंह ने कहा कि आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले रसायन प्राकृतिक होते हैं। प्रकृति प्रदत्त होने से उनके हानिकारक होने की संभावना नहीं रहती है। "पर्सनल हाइजीन एंड हेल्थ" विषय पर गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा सिंह ने कहा कि दिनचर्या, ऋतुचर्या और सदवृत का पालन कर हम बेतरतीब जीवनशैली के कारण होने वाली बीमारियों से न केवल मुक्ति पा सकते हैं बल्कि अपने व्यक्तित्व में भी निखार ला सकते हैं। "कम्युनिकेटिव इंग्लिश" विषय पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की डॉ. शिखा सिंह ने व्याख्यान दिया।
कार्यक्रमों में गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (Guru Gorakshanath Institute of Medical Sciences) के प्राचार्य डॉ. पी. सुरेश, प्रो. (डॉ) एसएन सिंह, प्रो. (डॉ.) गणेश बी. पाटिल, एसोसिएट प्रो. डॉ. पीयूष वर्षा, एसोसिएट प्रो. डॉ. प्रिया नायर, एसोसिएट प्रो. डॉ. दीपू मनोहर, असिस्टेंट प्रो. डॉ. सुमित कुमार आदि की सक्रिय सहभागिता रही।
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