लखनऊ। इंडियन सोसायटी ऑफ हाइपरटेंशन की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी बीपीकॉन 2022 अटल बिहारी वाजपेई कंवेंशन सेंटर, केजीएमयू में चल रही है। पूरे देश से डॉक्टर्स यहाँ आएं हैं और हाइपरटेंशन को लेकर मंथन हो रहा है। आगरा से आए डॉ सी आर रावत से हेल्थ जागरण ने खास बातचीत की।
डॉ सी आर रावत ने कहा कि देश और विदेश में लगभग आधी आबादी ब्लड प्रेशर (blood pressure) से पीड़ित है ये एक विडंबना है। 50% वयस्क आबादी में लगभग 40 से 42% लोग इससे पीड़ित हैं। एक तिहाई लोगों को मालूम ही नहीं कि उन्हें ब्लड प्रेशर की शिकायत है। बाकी बचे दो तिहाई में एक तिहाई ही इलाज (blood pressure treatment) करवाते हैं और एक तिहाई इसे मजाक में उड़ा देते हैं। जो एक तिहाई ट्रीटमेंट लेते हैं वो इलाज आधा-अधूरा करवाते हैं। मुश्किल से 5 या 10%लोग ही ट्रीटमेंट लेते हैं।
डॉ रावत ने कहा कि ब्लड प्रेशर ऐसी बीमारी है जो सर से लेकर पैर तक इफैक्ट करती है। इससे फालिस (phalis) मार सकता है, आँखों की रोशनी (eyesight loss) जा सकती है, हार्ट अटैक (heart attack), गुर्दों की बीमारी (kidney disease), पैरों में दर्द हो सकता है। इन सबसे बचने के लिए प्रॉपर डाइग्नोसिस (proper diagnosis) की जरूरत है।
एक और विडंबना है कि लोग एक-दो महीने ब्लड प्रेशर की दवा (BP medicine) खाते हैं फिर उन्हें लगता है कि वह ठीक है, तो दवाई छोड़ देते है। इसके दो साल बाद उन्हें फालिस (brain strok) का अटैक पड़ जाता है। ब्लड प्रेशर कभी ठीक नहीं होता बल्कि इसे कंट्रोल करके रखना पड़ता है। हां, कभी दवाई घटानी पड़ती है तो कभी बढ़ानी पड़ती है।
हाइपरटेंशन (Hypertension) से बचने की सलाह देते हुए डॉ सी आर रावत ने कहा कि समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जाँच करवाते रहे। इसे आर्थिक और सामाजिक तौर पर गम्भीरता से ले। प्रॉपर ट्रीटमेंट (BP treatment) ले और अपने आप को इस रोग से बचाए। पहले एक दवा होती थी लेकिन अब नयी दवाएं ईजाद हो चुकी हैं। अब शुरू से ही मल्टीपल ड्रग्स (multiple drugs) दी जाती है।
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