लखनऊ। हेल्थ जागरण को सूत्रों से पता चला कि दवा के दामों में पिछले साल से काफी अंतर आ गया है और बहुत सी दवाओं के दाम में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हो गई हैं। इस समय प्रदेश में डेंगू, डायरिया, मलेरिया के साथ अन्य कई प्रकार के वायरस फैले हुए है तो ऐसे में दवाओं का दाम बढ़ने से आम आदमी पर प्रभाव पड़ेगा।
दवा के दामों को लेकर हेल्थ जागरण (Health Jagaran) ने राजधानी में ईको गार्डन के पास स्थित शर्मन मेडिकोज (Sharman Medicos) के संचालक राजेश शर्मा से खास बातचीत की।
हेल्थ जागरण - सूत्रों से पता चला है कि बहुत सी दवाओं के दाम में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि (price of many medicines increased) हो गई हैं। इसमें कितनी सच्चाई है?
राजेश शर्मा - कोरोना (Corona) के बाद 90% दवाओं के दाम बढ़ चुके है और ये वृद्धि कम से कम 10% तो है ही। कुछ दवाएं हैं जिनके दाम अभी नहीं बढ़े हैं और कुछ लाइफ सेविंग ड्रग्स (life saving drugs) के दाम कम भी हुए हैं। लेकिन आम आदमी को रोजमर्रा में जिन साधारण दवाओं की जरूरत होती है उनके दाम 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
हेल्थ जागरण - डिब्बा बंद दूध (canned milk), शूगर, बीपी, थायरॉइड, बुखार आदि जैसी दवाओं के दाम कितने बढ़े हैं?
राजेश शर्मा - साधारण पैरासिटामॉल (ordinary paracetamol) के दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई है लेकिन पैरासिटामॉल के कॉम्बिनेशन (paracetamol combination) में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। डिब्बा बंद दूध में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा है और शूगर (sugar), बीपी (BP), थायरॉइड (thyroid), बुखार (fever) आदि जैसी दवाओं के दामों में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है।
हेल्थ जागरण - दवाओं के दाम बढ़ने से आम आदमी पर इसका सीधा असर पड़ेगा और वो भी इस मौसम में जीवनरक्षक दवाओं के दाम बढ़ने से?
राजेश शर्मा - इसके लिए भारत सरकार (Modi Government) को उचित समय पर उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसके लिए दवाओं की बहुराष्ट्रीय कम्पनीज़ (multinational pharmaceutical companies) के एकाधिकार और साम्राज्य पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो दवाओं के बढ़ते दाम को रोक पाना, मुझे लगता है सरकार के बस की भी बात नहीं होगी।
हेल्थ जागरण - महंगी दवा की बात करे तो जेनरिक दवाओं (generic medicines) का जिक्र आता है और सरकार भी कह रही है कि डॉक्टर्स (doctor) जेनरिक दवाएं लिखे तथा केमिस्ट (chemists) उन्हें बेचें?
राजेश शर्मा - जो नेता जेनरिक दवाओं को लागू करना चाहता है वह पहले अपने ऊपर इसका प्रयोग करे। ये नेता, मंत्री, सांसद या सेलेब्रेटीज जब अस्पताल में भर्ती हो तो वो खुद डॉक्टर से कहे कि मुझे जेनरिक दवा दीजिए। जेनरिक दवा के लिए मॉडल बनाने की जरूरत है तभी जनता को इस पर विश्वास होगा क्योंकि जनता समझती है कि पेटेंट दवा ही फायदेमंद है जेनरिक दवा नहीं।
हेल्थ जागरण - सुना गया है कि शूगर या कुछ दवाओं के दाम कई बार गिरे है, इसमें कितनी सच्चाई है?
राजेश शर्मा - जी हाँ, टाइप-2 डायबटीज (type-2 diabetes) की कुछ कुछ दवाओं के दाम कम हुए हैं लेकिन वो एक्स्ट्राआडिनेरी दवाएं (extra-ordinary medicines) हैं जिसकी जरूरत आम आदमी को नहीं होती है।
इस बातचीत से यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल दवाओं के दाम बढ़े (medicines prices increased) हैं। कुछ दवाओं के दाम मिनिमम 10% बढ़े हैं और कुछ दवाओं के दामों में लगभग 25% तक की वृद्धि हुई है। हेल्थ जागरण पर स्वास्थ्य से जुडी ऐसी ही जानकारियां देखते रहिए। धन्यवाद।
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