नयी दिल्ली। एक शोध में सामने आया है कि बचपन में लगे इन टीकों से कोरोना संक्रमण में सुरक्षा मिलती है। कोरोना महामारी के दौरान इन टीके लगे लोगों में कोरोना का प्रभाव देखा गया। यह जानने की कोशिश की गई है कि क्या ये टीके कोरोना संक्रमण से बचने में भी कोई सहायता करते हैं। यही नहीं बच्चों के साथ ही वयस्कों में भी विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए लगाए जाने वाले टीके कोरोना में भी प्रभावी हो सकते हैं। इन टीकों से कोरोना के घातक प्रभाव से बचा जा सकता है।
यह शोध हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में किया गया है। अध्यनयकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर बचपन में मीजल्स-मंम्प्स-रूबेला (एमएमआर) के टीके दिए जाते हैं। इसके साथ ही हर दस साल में टिटनेस-डिप्थीरिया-पर्टसिस (टीडीपी) के टीके भी लगते हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की वरिष्ठ विज्ञानी तान्या मायादास ने बताया कि ये टीके कोरोना वैक्सीन का विकल्प नहीं हैं, लेकिन इनसे कोरोना के घातक असर में प्रभावी सुरक्षा मिल सकती है। अध्ययन के लिए अमेरिका में 75 हजार कोरोना संक्रमित लोगों के डाटा का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन 8 मार्च 2020 से 31 मार्च 2021 तक चला।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को पूर्व में एमएमआर का टीका लग चुका था, ऐसे लोगों में 38 फीसद तक कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल जाने कमी देखी गई। कमोबेश यही स्थिति टीडीपी टीका लगे लोगों में देखने को मिली।
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