नयी दिल्ली। टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान योजना (TB Mukt Gram Panchayat Abhiyan) के अच्छे परिणाम आने के बाद अब देश में टीबी के बिना लक्षण वाले लोगों की जांच होगी। टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान के तहत 17 हजार ग्राम पंचायतों ने बीते एक साल में एक भी नया मामला नहीं मिलने का दावा किया है।
उत्तर प्रदेश से साल 2024 में 7,755 ग्राम पंचायतों ने टीबी मुक्त (TB free) होने का प्रमाण हासिल करने का दावा किया है। बीते एक वर्ष में 7,755 ग्राम पंचायतों ने आवेदन किया है जिसका सत्यापन एक सप्ताह में पूरा होगा। एक साल से अधिक समय तक नया रोगी नहीं मिलने पर संबंधित पंचायत को प्रमाण दिया जा सकता है। राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण (2019-2021) में टीबी के 42.6% मामले सबक्लिनिकल पाए गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) की प्रधान सलाहकार डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि ऐसे रोगियों की पहचान करने का सबसे बेहतर तरीका छाती का एक्स-रे है। सभी राज्यों को इन गैर लक्षण वाले रोगियों को निगरानी में लेने के लिए कहा जा रहा है।
दरअसल टीबी से जुड़े कोई विशेष लक्षण जैसे खांसी या कफ दिखाई नहीं देते हैं। इसे सब क्लिनिकल टीबी कहा जाता है। दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 26 लाख नए मरीज (patients) मिल रहे हैं जबकि कुल मरीजों की संख्या 28 लाख से अधिक होने का अनुमान है।
इनमें 42.6% ऐसे भी हैं जिनमें बीमारी का लक्षण नहीं है, लेकिन समुदाय में संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश ने उच्च जोखिम श्रेणी के साथ सबक्लिनिकल मामलों (subclinical cases) को भी पकड़ना शुरू कर दिया है क्योंकि यहां ऐसे मामलों की संख्या करीब तीन लाख के आसपास है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर बीते 7 दिसंबर 2024 से उत्तर प्रदेश सहित देशभर में 100 दिन का अभियान शुरू हुआ है। पहले चरण में यूपी के 15 जिले इसमें शामिल थे लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के निर्देश पर सभी जिलों में अभियान को लागू किया। हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ के दौरान भी 19 मरीजों में ड्रग सेंसिटिव टीबी और एक ड्रग रेसिस्टेंट टीबी का मरीज भी पाया गया।
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