लखनऊ। जैसे-जैसे सर्दी कम होती है और तापमान बढ़ने लगता है, ऐसे में कई लोग मान लेते हैं कि मौसमी बीमारियों का खतरा खत्म हो गया है। हालांकि सर्दियों से वसंत तक का समय होने वाला संक्रमण अपनी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां लेकर आता है। तापमान में उतार-चढ़ाव, कमज़ोर इम्यूनिटी और मौसमी एलर्जी अभी भी लोगों को बीमार कर सकती है। अगर सावधानिया न बरती जाए तो सर्दी, वायरल संक्रमण और सांस से संबंधी समस्याएं चिंता का विषय बनी रहती हैं।
लखनऊ के रीजेंसी हॉस्पिटल (Regency Hospital) में कंसल्टेंट फिजिशियन और डायबिटीज़ एक्सपर्ट डॉ. आकांक्षा गुप्ता ने बताया कि लोग अक्सर बहुत जल्दी ही अपनी सावधानी हटा लेते हैं। उन्होंने बताया,"कई लोग मानते हैं कि सर्दी के मौसम में बीमारियाँ दूर हो जाती हैं, लेकिन यही वह समय होता है जब शरीर सबसे ज़्यादा कमज़ोर होता है। अचानक मौसम में बदलाव, डिहाइड्रेशन और खराब पोषण से बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता (immunity) कमज़ोर हो सकती है, जिससे संक्रमण (infection) का खतरा बढ़ जाता है। हाइड्रेटेड रहना, सही कपड़े पहनना और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट खाना जैसी छोटी-छोटी रोज़मर्रा की सावधानियाँ आपको स्वस्थ रखने में काफ़ी मदद कर सकती है।”
सबसे आम गलतियों में से एक जो लोग करते हैं, वह है मौसम के सुधरते ही बहुत हल्के कपड़े वे पहनने लगते हैं। वसंत का तापमान अप्रत्याशित हो सकता है, अचानक ठंड के कारण सर्दी और वायरल संक्रमण (viral infections) का खतरा बढ़ जाता है। बदलते तापमान के साथ तालमेल बिठाने का एक आसान तरीका है कपड़ों को कई परतों में पहनना। एक और गलती है हाइड्रेशन की अनदेखी करना। बहुत से लोग सर्दियों के दौरान कम पानी पीते हैं, और यह आदत अक्सर वसंत में भी जारी रहती है। डीहाइड्रेशन इम्यूनिटी को कमजोर करता है। इम्युनिटी कमजोर होने से संक्रमण से ग्रसित होना आसान हो जाता है। पर्याप्त पानी, हर्बल चाय या गर्म नींबू पानी पीने से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
सुहावने मौसम के साथ लोग अचानक से बाहरी शारीरिक गतिविधियों को भी बढ़ा देते हैं। एक्सरसाइज़ करना फायदेमंद होता ही है, लेकिन बिना तैयारी के अचानक से शारीरिक गतिविधियों को बहुत ज्यादा करने से श्वसन संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों में खिंचाव या मौसमी एलर्जी हो सकती है। सही वार्म-अप और कूल-डाउन के साथ-साथ धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधियों (Exercise) में वृद्धि से इन समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है। पोषण एक और महत्वपूर्ण फैक्टर होते है लेकिन इसे अक्सर अनदेखा किया जाता है। सर्दियों में कई महीनों तक भारी भोजन करने के बाद कई लोग हल्के खाद्य पदार्थों की ओर रुख करते हैं। हालांकि जरूरी विटामिन और मिनिरल की कमी वाले असंतुलित डाइट से शरीर संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकता है। विटामिन C, विटामिन D, आयरन और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ - जैसे खट्टे फल, हरी सब्जियाँ, मेवे और डेयरी पदार्थ इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
वसंत ऋतु में पॉलेन लेवल (पराग के स्तर) में वृद्धि के कारण मौसमी एलर्जी (allergies) भी बढ़ जाती है। बहुत से लोगों को छींक, खुजली वाली आँखें और गले में जमाव का अनुभव होता है, लेकिन उन्हें इसका कारण पता नहीं होता। खिड़कियाँ बंद रखना, एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना और लक्षण गंभीर होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना एलर्जी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। एक और अनदेखी की जाने वाली चीज हाथ की साफ - सफाई है। जबकि फ्लू का मौसम सर्दियों में चरम पर होता है, बैक्टीरिया और वायरस वसंत तक सक्रिय रहते हैं। इसलिए कोई भी चीज़ करने के बाद हाथ धोने और सैनिटाइज़र का उपयोग करने की आदत को जारी रखने से संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है।
वसंत ऋतु (spring season) में बदलाव से नींद के पैटर्न पर भी असर पड़ता है। लंबे दिन होने की वजह से कई लोग देर तक जागते हैं, जिससे नींद की कमी हो जाती है। खराब नींद से इम्यूनिटी कमजोर होती है, तनाव का स्तर बढ़ता है और बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। एक नियमित नींद का शेड्यूल बनाए रखना और हर रात सात से आठ घंटे नींद लेना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।
बदलते मौसम (Changing seasons) का मतलब बीमारियों का अंत नहीं होता है। छोटी-छोटी लेकिन सही सावधानियाँ बरतने से संक्रमण को रोकने और शरीर को मज़बूत बनाए रखने में मदद मिल सकती है। हाइड्रेशन, पोषण, नींद, साफ सफाई और सही कपड़ों को पहनने पर बीमार होने से बचा जा सकता है। मुख्य बात यह है कि इन मौसमी बदलावों के प्रति सचेत रहें और पूरे साल अच्छी स्वास्थ्य आदतों का पालन करते रहें।
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 7770
आयशा खातून March 06 2025 0 3330
एस. के. राणा March 06 2025 0 2775
एस. के. राणा March 07 2025 0 1998
एस. के. राणा March 08 2025 0 1554
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 7770
आयशा खातून March 06 2025 0 3330
एस. के. राणा March 06 2025 0 2775
एस. के. राणा March 07 2025 0 1998
एस. के. राणा March 08 2025 0 1554
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 7770
British Medical Journal February 25 2025 0 4440
आयशा खातून March 06 2025 0 3330
एस. के. राणा March 06 2025 0 2775
एस. के. राणा March 07 2025 0 1998
एस. के. राणा March 08 2025 0 1554
सौंदर्या राय May 06 2023 0 75690
सौंदर्या राय March 09 2023 0 80972
सौंदर्या राय March 03 2023 0 78993
admin January 04 2023 0 79266
सौंदर्या राय December 27 2022 0 69981
सौंदर्या राय December 08 2022 0 59440
आयशा खातून December 05 2022 0 111444
लेख विभाग November 15 2022 0 82696
श्वेता सिंह November 10 2022 0 91632
श्वेता सिंह November 07 2022 0 81131
लेख विभाग October 23 2022 0 66023
लेख विभाग October 24 2022 0 67463
लेख विभाग October 22 2022 0 74406
श्वेता सिंह October 15 2022 0 81126
श्वेता सिंह October 16 2022 0 76355
लोक बन्धु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि प्रशिक्षण से जुड़ी सभी तैयारि
डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लीवर कैंसर से पीड़ित दो साल की बच्ची को नई जिंदगी मिली
कई बार लेजऱ प्रक्रिया से ऑपरेशन के बाद रोगियों को रात में धुंधला दिखना या फ्लैप संबंधी समस्याओं का स
यह जापानी तकनीक है जिसे दुनिया भर के जाने-माने लोग इस्तेमाल करते हैं। एनाजिक इंडिया केंजेन डिवाइस प्
डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पहली स्वैच्छिक प्लेटलेट डोनर रजिस्ट्री शुरू की गई है और
स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में 132 यूनिट ब्लड डोनेट कर रक्तवीरों ने स्वैच्छिक रक्तदान शिविर को सफल बना
वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने और इस बारे में लोगों क
मलेरिया-डेंगू के नियंत्रण की दिशा में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनीष शर्मा और जिला मले
देश में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया
आर्थराइटिस अथवा गठिया रोग सभी उम्र के लोगों में पाए जाने वाला एक रोग है। सहारा हॉस्पिटल की रयूमैटोलज
COMMENTS