भारतीय सौंदर्य शास्त्रों में भारी नितंब और भरी-भरी जाँघों को आकर्षक कहा जाता है। अब इन सौंदर्य मानकों का स्वास्थ्य महत्व भी नज़र आने लगा है। अलग-अलग शोध में ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के डॉक्टर्स इस पर सहमति जताते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त शोध पत्रिका इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ओबीसिटी ने तो एक शोध के माध्यम से इसकी पुष्टि कर दी है।
ब्रिटेन के डॉक्टरों की राय
ब्रिटेन के डॉक्टरों का कहना है कि जिन महिलाओं के नितंबों (hips) और जाँघों (thighs) पर ज़्यादा वज़न होता है यानी वे भारी होते हैं तो यह उनके अच्छे स्वास्थ्य (good health) की निशानी है क्योंकि ये दिल की बीमारियों (heart diseases) से बचाते हैं। साथ ही, भारी नितंब और भरी-भरी जाँघें पाचन क्रिया (digestion) और शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने में भी मदद करते हैं।
इन डॉक्टरों (doctors) का कहना है कि भारी नितंब हानिकारक रसायनों (harmful chemicals) को पिघलाने में मदद करते हैं और उनमें ऐसे रसायन एजेंट भी मौजूद होते हैं जो दिल तक पहुँचने वाली रक्त वाहिनियों में खून जमने (clotting of blood) से रोकते हैं।
ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का मत
ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford) के वैज्ञानिकों के एक दल ने प्रयोग के बाद कहा है कि महिलाओं की कमर के आसपास जो वज़न इकट्ठा हो जाता है उसके मुक़ाबले नितंबों पर इकट्ठा होने वाला वज़न स्वास्थ्य की दृष्टि से ज़्यादा अच्छा होता है क्योंकि कमर के आसपास वाली चर्बी (fat) से कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं होता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ओबीसिटी का शोध
यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ओबीसिटी (International Journal of Obesity) में प्रकाशित हुआ है। इस निष्कर्ष के बाद यह क़यास लगाया जाने लगा है कि भविष्य में डॉक्टर महिलाओं (women) को इस तरह के तरीक़े बताने लगेंगे जिनके ज़रिए चर्बी कमर के आसपास इकट्ठी होने देने के बजाय नितंबों पर इकट्ठी की जाए जिससे दिल की बीमारियाँ और डॉयबटीज़ (diabetes) जैसी व्याधियाँ ना हों।
शोधकर्ताओं का कहना है कि नितंबों पर बहुत कम वज़न होने की वजह से अनेक गंभीर बीमारियाँ (serious diseases) होने का भी ख़तरा हो सकता है।
वज़न नहीं आकार - weight not size
प्रयोगों से पता चलता है कि नितंबों और जाँघों पर इकट्ठा हुई चर्बी को हटाना मुश्किल होता है, जबकि कमर के आसपास इकट्ठा हुई चर्बी को आसानी से हटाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब चर्बी को तेज़ी से पिघलाने या कम करने की कोशिश की जाती है तो इससे ख़ास रासायनिक तत्व निकलते है जो शरीर में कुछ झनझनाहट सी पैदा करता है। इन रासायनिक तत्वों का दिल से संबंधित बीमारियों और डायबटीज़ और इंसुलिन (insulin) से होता है।
शोधकर्ता टीम के मुखिया डॉक्टर कोन्सटेन्टिनोस मैनोलोरॉलोस (Dr Konstantinos Manoloroulos) का कहना था कि यह बहुत ज़रूरी है कि पेट और कमर के आकार को महत्व दिया जाए कि कहाँ और किस तरह से चर्बी इकट्ठी होती है, "नितंबों और जाँघों पर चढ़ी चर्बी तो आपके लिए ठीक है लेकिन पेट के आसपास चढ़ी चर्बी ख़राब है।"
नितंबों की चर्बी हिलने से एक तरह का रसायन बनता है जो दिल की धमनियों (arteries of the heart ) को जमने से बचाता है और ब्लड शुगर (blood sugar) को क़ाबू में रखने में मदद करता है।
जिन लोगों के कमर और पेट के चारों ओर चर्बी इकट्ठी हो जाती है उन्हें दिल की बीमारियों और डायबटीज़ होने का ज़्यादा ख़तरा रहता है। ऐसे लोगों में पेट और कमर के चारों ओर चर्बी इकट्ठी हो जाती है जिससे उसका आकार सेब जैसा दिखता है।
डॉक्टर कोन्सटेन्टिनोस मैनोलोरॉलोस का कहना था कि अगर महिलाओं का पेट पतला रहता है यानी उस पर कोई चर्बी इकट्ठी नहीं होती है तो जाँघों पर चर्बी इकट्ठी होना वाक़ई अच्छा होता है।
उनका कहना है,"मुश्किल ये है कि जब जाँघों पर चर्बी आती है तो पेट पर भी चर्बी जमती है इसलिए भारी जाँघों के साथ पतला पेट रख पाना मुश्किल काम ज़रूर है। "
ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन (British Heart Foundation) के फ़ोटिनी रोज़ाकीज़ का कहना था, "इस शोध से यह समझने में मदद मिलती है कि शरीर में चर्बी किस तरह से काम करती है और कहाँ की चर्बी अच्छी या बुरी होती है। इससे दिल की बीमारियों को समझने में और ज़्यादा मदद मिल सकती है।"
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