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गर्मियों में योगासन से बढ़ाएं अपनी ख़ूबसूरती, जानिए कैसे

आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिसको नियमित रूप से करने से गर्मी के मौसम में भी आपके शरीर में लचीलापन बना रहेगा, आप तरोताज़ा महसूस करेंगीं और आपकी सुंदरता में निखार आएगा। 

सौंदर्या राय
March 24 2022 Updated: March 24 2022 15:48
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गर्मियों में योगासन से बढ़ाएं अपनी ख़ूबसूरती, जानिए कैसे प्रतीकात्मक

आकर्षक फिगर बनाने और स्किन पर ग्लो लाने के लिए योग एक नेचुरल तरीका है। योग के द्वारा तन और मन दोनों को सुन्दर बनाया जा सकता है। नियमित रूप से योग करने से आपकी सुंदरता दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है। बस ये ध्यान रखना है कि हर मौसम के लिए अलग अलग तरह के योग होतें हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिसको नियमित रूप से करने से गर्मी के मौसम में भी आपके शरीर में लचीलापन बना रहेगा, आप तरोताज़ा महसूस करेंगीं और आपकी सुंदरता में निखार आएगा। 

शीतली प्राणायाम - Sheetli pranayama

शीतली का अर्थ है शीतल। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतल करता है। शीतकारी प्राणायाम की तरह ही यह प्राणायाम भी विशेष तौर पर शरीर का ताप कम करने के लिए बनाया गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास न सिर्फ भौतिक शरीर को शीतल करता है बल्कि मस्तिष्क को भी शांत करता है।

शीतली प्राणायाम करने का तरीका - How to do Sheetali Pranayama

  • सबसे पहले आप पद्मासन या किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
  • आंखों को बंद करें।
  • अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा या अंजलिमुद्रा में घुटनों पर रखें।
  • दोनों किनारों से जिह्वा को मोड़कर नली का आकार बना लें।
  • नली के आकार की जिह्वा से श्वास अंदर खींचकर फेफड़ों को अपनी पूरी क्षमता के साथ भर लें और मुंह बंद कर लें।
  • जालंधरबंध को रोककर रखें।
  • जालंधरबंध के साथ जबतक श्वास को अंदर रोक सकते हैं, रोककर रखें।
  • जालंधरबंध को छोड़ दें और धीरे-धीरे नासिका से श्वास छोड़ें।
  • यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें और फिर धीरे धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक करें।

वृक्षासन–Vrikshasana

वृक्षासन दो शब्द मिलकर बना है ’वृक्ष’ का अर्थ पेड़ होता है और आसन योग मुद्रा की और दर्शाता है।  इस आसन की अंतिम मुद्रा एकदम अटल होती है, जो वृक्ष की आकृति की लगती है, इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है। यह बहुत हद तक ध्यानात्मक आसन है। यह आपके स्वास्थ के लिए ही अच्छा नहीं है बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाये रखने में सहायक है।

वृक्षासन कैसे करें – How to do Vrikshasana

  • आप सबसे पहले सीधे खड़े हों जाएं या ताड़ासन में आ जाएं।
  • पैरों के बीच की जगह को कम करें और हाथों को सीधा रखें।
  • दायां पैर उठाएं और दाएं हाथ से टखना पकड़ लें।
  • दाईं एड़ी को दोनों हाथों की सहायता से बाईं जांघ के ऊपरी भाग यानी जोड़ पर रखें।
  • पंजों की दिशा नीचे की ओर हो और दाएं पांव के तलवे से जांघ को दबाएं।
  • ध्यान रहे मुड़े हुए पांव को दूसरे पांव के साथ समकोण बनाए।
  • अब हथेंलियों और अंगुलियों को प्रार्थना की मुद्रा में जोड़ें, ऊपर उठाएं और छाती पर रखें फिर धीरे-धीरे उन्हें उठाकर सिर से ऊपर ले जाएं।
  • आपके दोनों हाथ सिर से सटे होनी चाहिए।
  • कुछ समय तक शरीर का संतुलन बनाए रखें और इस अवस्था अपने हिसाब से धारण किये हुए रहे।
  • अब हाथ नीचे ले जाएं और मूल अवस्थाे में लौट आएं।
  • फिर इसी प्रक्रिया को दूसरे तरफ से करें।
  • यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

बद्धकोणासन - Baddhakonasana

बद्धकोणासन संस्कृत से लिया गया है, "बद्ध" का अर्थ है - "नियंत्रित किया हुआ", "कोंण" का अर्थ है "कोना", "आसन" का अर्थ है "योग करते समय बैठने की स्थिति"। बद्धकोणासन को तितली आसन भी कहा जाता है क्योंकि इसे करते समय पैरों के तलवों एक दूसरे से जुड़े होते है और घुटने ऊपर और नीचे की ओर जाता है जो एक तितली के पाँख फड़-फड़ने से मिलता जुलता हैं। इस आसान से तनाव से छुटकारा मिलता है और थकान  से मुक्ति मिलती है। यह मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में सहायता करता है। इससे से कमर और कूल्हे क्षेत्र के लचीलेपन में सुधार होता है, जिससे घुटनों, जांघों और कमर शामिल है।

बद्धकोणासन करने का तरीका - How to do Baddhakonasana

  • पैर को सीधा कर के बैठ जाये।
  • अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों के तलवों को एक साथ लाएं, दोनों तलवों स्पर्श करने चाहिए।
  • अपनी एड़ी को करीब लाएं जितना कि आप अपने घुटनों में दबाव या दर्द महसूस किए बिना कर सकते हैं।
  • अपने दोनों हथलियों से पैरों को पकड़े ।
  • दो घुटनों को एक साथ ऊपर की ओर ले जाये और नीचे के ओर लाये, यह एक चक्र होगा ।

इसका अभ्यास 30 या 60 सेकंड तक करें।

नोट- योगासन हमेशा प्रशिक्षक के निर्देश और देखरेख में करें।

 

 

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