हेल्थ जागरण ने केजीएमयू में रेस्पेट्री मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत से टीबी की बीमारी और वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने की योजना पर खास बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का विवरण।
हुज़ैफ़ा अबरार- क्या 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किया जा सकता है ?
डॉ सूर्यकांत- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम "एण्ड टीबी शिखर सम्मेलन" में उक्त घोषणा किया था। विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल और सौभाग्य से मैं भी था। टीबी समाप्त करने के लिए दुनिया के देशों ने 2030 या 2035 का लक्ष्य निर्धारित किया है। हमारे देश में इसको 2025 रखा गया है, जो बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। देखने में कठिन और दुर्गम लगता है। लॉकडाउन के दौरान देखने में आया कि टीबी का संक्रमण घटा। जिसका प्रमुख कारण ऐसे मरीज़ों का घर बाहर नहीं निकलना और मास्क का प्रयोग करना था। टीबी संक्रमण के नियंत्रण में मास्क की महती भूमिका है। अतः मेरा मत है कि 2025 तक इसके प्रयोग को बढ़ा देना चाहिए। मास्क के बहुत फायदा है।
टीबी के उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री ने "टीबी पोषण योजना" लागू किया। इसमें निःशुल्क जांच, निःशुल्क उपचार के साथ-साथ पोषण के लिए मरीज़ के खाते में 500 रुपये प्रति महीने डाला जाता है। यह रुपया मरीज़ के खाते में सीधा जाता है। हम लोग मरीज़ के रजिस्ट्रेशन के समय उसका आधार कार्ड और बैंक खाते का विवरण ले लेते हैं। इस मद में अब तक 165 करोड़ रुपये इन मरीज़ों के खाते में भेजे जा चुके हैं। इस योजना से दो फायदे हुए हैं। एक, मरीज़ों ने दवा के साथ पोषण भी लिया और दूसरा दवा के कोर्स को बीच में नहीं छोड़ा।
हुज़ैफ़ा अबरार- क्या प्रोग्राम के तहत डॉक्टरों द्वारा दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है?
डॉ सूर्यकांत- मरीज़ को देखने का दो तरह का सिस्टम है। पहला सरकारी डॉक्टर वो सिस्टम से बंधें हैं। वे योजना के निर्देशानुसार ही दवा दे सकतें हैं। दूसरी तरफ प्राइवेट डॉक्टर्स हैं। प्राइवेट डॉक्टर पर्चा अपने आप लिखतें हैं। ये सभी डॉक्टर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं। इन लोगों को योजना से जोड़ने के लिए सरकार ने एसोसिएशन से समझौता किया है और 4 करोड़ रुपये भी दिए हैं। अब प्राइवेट डॉक्टर्स के पर्चे योजना के अनकूल आने लगे हैं। पहले 11 लाख टीबी के मरीज़ ऐसे थें जिनके बारे में सरकार को पता ही नहीं था। वो प्राइवेट डॉक्टर्स से इलाज करवाते थे और उनका कहीं नोटिफिकेशन नहीं होता था। अब ऐसे मरीज़ों का भी नोटिफिकेशन होने लगा है, परिणामस्वरूप ऐसे मरीज़ों की संख्या घटकर ढाई लाख रह गयी है। जो मरीज़ नोटीफाइड हो जाता है उसका रिकॉर्ड ट्रैकिंग के माध्यम से रखा जाता है। स्थित पर काफी नियंत्रण हुआ है। अभी भी चुनौती है कि हर साल हम ढाई लाख मरीज़ों के बारे में नहीं जान पाते हैं कि वो इलाज करा रहें हैं या नहीं। एक मरीज़ हर साल 10 नए मरीज़ पैदा कर देता है। 2025 के लक्ष्य को पाने के लिए हमे एक-एक मरीज़ तक पहुंचना होगा।
हुज़ैफ़ा अबरार- क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन का पालन हो रहा है?
डॉ सूर्यकांत- हम पूरी तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन का पालन करतें हैं। भारत को टीबी मुक्त करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक फोरम गठित किया है। इस फोरम से देश की बड़ी संस्थाओं को जोड़कर टीबी मुक्त भारत बनाने का प्रयास चल रहा है। हम आशा करतें हैं कि वर्ष 2025 तक देश टीबी मुक्त होगा।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55218
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66585
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS