लखनऊ। राजधानी में बीते दो सप्ताह से बुखार और टाइफाइड का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में बुखार के 200, 250 मरीज रोज आ रहे है।गंदे पानी की वजह से फैलने वाली इस बीमारी के रोजाना औसतन सौ से 150 मरीज निकल रहे हैं। लखनऊ में गत दो वर्षाे से पानी की जांच नहीं की गई है। इस बारे में पता करने की कोशिश की गई तो जलकल विभाग और स्वास्थ्य विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगे।
जानकारी के मुताबिक बलरामपुर अस्पताल के ओपीडी पहुंचने वाले रोजाना करीब 150 से 70 से 80 मरीजों की खून की जांच कराई जा रही हैै। इसमें 30 मरीजों की टाइफाइड की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। डॉक्टरों का कहना है इन दिनों करीब 10 फीसदी मरीज बुखार के बढ़े हैं। इसी तरह सिविल अस्पताल में रोज बुखार के 30, 40 मरीजों की खून की जांच कराई जा रही है, इनमें 10 मामले टाइफाइड के निकल रहे हैं। लोकबंधु अस्पताल में भी करीब दस मरीज लगभग टाइफाइड के रोज मिल रहे हैं। बाकी मरीज अन्य बुखार से पीडि़त हैं।
इन इलाकों से अधिक आ रहे मरीज-
फैजुल्लागंज, खदरा, मसालची टोला, पुराने लखनऊ के कई इलाके चिनहट समेत अन्य इलाकों से अधिक मरीज अस्पतालों में आ रहे हैं।
नियमित रूप से पानी में मिला रहे क्लोरीन-
जरूरत होने पर क्लोरीन की मात्रा भी बढ़ाई जाती है। अभी जांच बंद हैं लेकिन जलकल के सभी ट्रीटमेंट प्लांट पर क्लोरीन मिलाने और ब्लीचिंग का काम नियमित रूप से किया जा रहा है। यह एक नियमित प्रक्रिया है।
पानी का जांच जलकल की जिम्मेदारी-
सीएमओ डॉ संजय भटनागर ने बताया पानी की जांच जलकल विभाग की जिम्मेदारी है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं है। शासन के निर्देश पर टीम गठित होने बाद पानी के नमूनों के लिए संयुक्त टीम जाती थी।
क्या है टाइफाइड-
टाइफाइड बुखार भारत में पाया जाने वाला खतरनाक संक्रामक रोग है। इसे मियादी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग दूषित पानी या भोजन के सेवन से जिसमें साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के संक्रमण से होता हैं। टाइफाइड का जीवाणु मनुष्यों के आंतों और रक्त प्रवाह में रहता है। यह एक संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से लोगों में फैलता है। इसका बैक्टीरिया मुंह में प्रवेश करता है और लगभग 1.2 सप्ताह तक आंत में रहता हैं। उसके बाद यह आंतों की दीवार से होते हुए खून में चला जाता हैं। खून के माध्यम से यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैल कर बीमारी फैलाता हैं।
टाइफाइड होने का कारण-
साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति मल त्यागने या पेशाब करने के बाद यदि अपने हाथों को नहीं धोता और भोजन व पानी को उसी हाथ से छूता है तो बैक्टीरिया भोजन व पानी में आ जाता है। अगर वह भोजन व पानी कोई दूसरा व्यक्ति खाता व पीता है तो वह व्यक्ति भी इसके बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के मल के खाद से उगाई गई सब्जी को कच्चा खाने से भी टाइफाइड फैलता है।
क्या है टाइफाइड के लक्षण-
टाइफाइड के बुखार के लक्षण कुछ दिनों बाद प्रकट होते हैं।, व्यक्ति को पहले हल्का बुखार बाद में तेज बुखार आना, सिरदर्द होना, उल्टी, कब्ज, भूख कम लगना, ठंड लगना, सुस्ती, कमजोरी होना आदि
यदि मरीज सही समय पर इलाज नहीं करवाता है तो मरीज की आतों में छेद होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही दिमागी बुखार और आंतों में छाले होने की संभावना भी हो सकती है जिसकी वजह से मरीज की जान भी जा सकती है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55107
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66474
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS