कोरोना संक्रमण की तबाही का मंज़र थमा ही नहीं था कि वैज्ञानिकों ने बहरूपिये कोरोना के एक और वेरियंट के प्रति आगाह कर दिया। कोरोना के इस नए स्वरूप को नाम दिया गया है डेल्टा प्लस वेरिएंट्स। ये वेरिएंट्स दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट् का बदला स्वरूप है।
डेल्टा वेरिएंट न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में कहर बरपा रहा है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस वेरिएंट को 'चिंता के विषय' के रूप में भी वर्गीकृत किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले ब्रिटेन में पाए गए कोरोना के अल्फा वेरिएंट्स की तुलना में डेल्टा काफी अधिक प्रभावी है। हालिया अपडेट में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) म्यूटेशन के बाद 'डेल्टा प्लस' (AY.1) वेरिएंट में बदल गया है।
इस लेख में कोरोना के इस घातक वेरिएंट के बारे में विस्तार से जानते हैं। इस लेख में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे कि 'डेल्टा प्लस' कितना खतरनाक हो सकता है? और क्या इसे ही कोरोना की तीसरी लहर के संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए?
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट
'डेल्टा प्लस' के बारे में जानने से पहले आइए आपको बता देते हैं कि आखिर कोरोना का डेल्टा वेरिएंट क्या है, जिसे लेकर दुनियाभर में बहस छिड़ी हुई है। दूसरी लहर में कोरोना की गंभीर संक्रामकता के कारणों का पता लगा रहे विभिन्न भारतीय संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक टीम ने डेल्टा वेरियंट (बी.1.617.2) के बारे में लोगों को सूचित किया। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया है कि डेल्टा वेरियंट (बी.1.617.2) अन्य वेरियंट्स की तुलना में काफी अधिक संक्रामक हैं। अल्फा वेरियंट की तुलना में इसका ट्रांसमिशन भी 50 फीसदी से अधिक होने का अनुमान है। इसके अलावा अल्फा की तुलना में डेल्टा वेरियंट का वायरल लोड भी अधिक पाया गया है।
डेल्टा प्लस क्या है?
वैज्ञानिकों ने बताया है कि नया डेल्टा प्लस वेरिएंट, वायरस के K417N म्यूटेशन के कारण बना है। दिल्ली स्थित सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने एक ट्वीट में बताया कि कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन के कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट सामने आया है।
कितना खतरनाक साबित हो सकता है 'डेल्टा प्लस'
डॉ. स्कारिया के अनुसार, मौजूदा समय में भारत में वायरस के K417N म्यूटेशन वाले वेरिएंट की फ्रीक्वेंसी बहुत अधिक नहीं है। ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका के हिस्सों में इसमें परिवर्तन की सूचना है। इस बारे में एक और बात पता चली है कि यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का प्रतिरोध कर सकता है।
पुणे स्थित इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च की प्रोफेसर और इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता बल कहती हैं कि फिलहाल इसका निर्धारण करना कठिन है कि नया स्ट्रेन कितना संक्रामक हो सकता है? इसके अलावा इसके ट्रांसमिशन को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। हां इतना जरूर है कि इससे संक्रमित होने वाले लोगों में निश्चित ही खतरा अधिक हो सकता है। क्या यही कोरोना की तीसरी लहर का कारण बनेगा, इस बारे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है।
डेल्टा प्लस, 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' नहीं
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि डेल्टा प्लस को अभी डेल्टा वेरिएंट की तरह 'चिंता कारक' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा, “हम यह कह सकते हैं कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में पता चला है, हालांकि इसे चिंता कारक के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। इस संबंध में जानने के लिए अभी और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है। किसी भी नए वेरिएंट से निपटने का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है कोविड से बचाव के सभी नियमों का पालन करना। सभी लोगों को नियमित रूप से इन नियमों का पालन करते रहना चाहिए।
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