देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

राष्ट्रीय

स्टेंट के रेस्टेनोसिस को रोकने में मददगार हैं नई तकनीकें: प्रो (डॉ) तरुण कुमार

भारत में हर साल एक लाख से अधिक हृदय रोगियों की एंजियोप्लास्टी होती है लेकिन छह से नौ महीने बाद 3 से 10 फीसदी मरीजों को स्टेंट रेस्टेनोसिस की समस्या का सामना करना पड़ जाता है। ऐसा स्टेंट के अंदर टिशूज में वृद्धि होने के कारण होता है।

विशेष संवाददाता
August 19 2022 Updated: August 19 2022 20:30
0 14152
स्टेंट के रेस्टेनोसिस को रोकने में मददगार हैं नई तकनीकें: प्रो (डॉ) तरुण कुमार प्रतीकात्मक चित्र

नयी दिल्ली। भारत में हर साल एक लाख से अधिक हृदय रोगियों की एंजियोप्लास्टी होती है। लेकिन छह से नौ महीने बाद 3 से 10 फीसदी मरीजों को स्टेंट रेस्टेनोसिस की समस्या का सामना करना पड़ जाता है। ऐसा स्टेंट के अंदर टिशूज में वृद्धि होने के कारण होता है। प्रो (डॉ) तरुण कुमार, डॉ आरएमएल अस्पताल बता रहे है कि अब कुछ नई तकनीकों की मदद से रेस्टेनोसिस की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 

रेस्टेनोसिस क्या है - What is Restenosis
रेस्टेनोसिस, स्टेंट सेगमेंट के संकुचित होने की प्रक्रिया है जो अक्सर स्टेंट लगाने के 3 से 12 महीने बाद नजर आने लगती है। आईएसआर (in-stent-restenosis) दर बीएमएस, पहली पीढ़ी के डीईएस और दूसरी पीढ़ी के डीईएस के लिए क्रमशः 30.1%, 14.6% और 12.2% है। इन-स्टेंट रेस्टेनोसिस दर में पर्याप्त कमी दर्शाती है। हालांकि छह से नौ महीनों के भीतर 3 से 10% रोगियों को अब भी, इन-स्टेंट-रेस्टेनोसिस होता है।रेस्टेनोसिस के इलाज के लिए प्रोसीजर करना काफी जटिल है। नई तकनीकों ने हृदय रोग विशेषज्ञों को रेस्टेनोसिस दर को कम कने में मदद की है।

 

इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (Ivus) और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT) इमेजिंग मेथड्स हैं जो लक्षण, उसके मूल्यांकन, नसों की सही स्थिति और स्टेंट इनग्रोथ की सटीक स्थिति मालूम करने में सहायता करती हैं, जिनमें से सभी परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआई) की प्रक्रिया को सरल बनाने में योगदान करते हैं और समय के साथ आईएसआर की संभावना को कम करने में मदद करते हैं।

 

इमेजिंग टेक्नोलॉजी - Imaging Technology
पीसीआई के लिए नस में स्टेंट की जगह बनाने में इंट्राकोरोनरी इमेजिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पीसीआई में, जो सम्पूर्ण इलाज के दौरान अधिक जटिल और उच्च जोखिम भरे हिस्से के रूप में जाना जाता है। इमेजिंग के उपयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग स्टेंट लगाने से पहले, उसके दौरान और उसके बाद किया जाना चाहिए क्योंकि पीसीआई प्रक्रिया के सभी चरणों में इसकी  भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है।

 

स्टेंट टेक्नोलॉजी - Stent Technology
पॉलिमर-फ्री स्टेंट: वर्तमान में रोगों के निदान में पॉलिमर-मुक्त बायोलिमस ए9-एल्यूटिंग स्टेंट या बायोडिग्रेडेबल-पॉलीमर सिरोलिमस-एल्यूटिंग स्टेंट या पॉलीमर-फ्री सिरोलिमस और प्रोब्यूकॉल-एल्यूटिंग स्टेंट उपयोग में लाए जा रहे हैं। नैदानिक ​​परीक्षणों में, इन पॉलीमर-मुक्त स्टेंट ने स्थिर पॉलीमर-आधारित स्टेंट की तुलना में संख्यात्मक रूप से बेहतर परिणाम दिए है। यह क्लीनिकल रिपोर्ट डायबिटीज मेलिटस और सीएडी के रोगियों और बिना इन रोगों के मरीजों के बीच पॉलीमर-फ्री व न्यू जनरेशन ड्यूरेबल पॉलीमर  ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट के दस साल के क्लिनिकल परीक्षणों के परिणामो का तुलनात्मक अध्ययन है।

 

बायोरेसोरेबल स्टेंट - Bioresorbable stent
महत्वपूर्ण तकनीकी सफलताओं के साथ, बायोरेसोरेबल स्कैफोल्ड्स (बीआरएस) में कार्डियक रिवास्कुलराइजेशन थेरेपी में चौथे चरण का विकास है। ये स्टेंट इंप्लांट होने के दो से तीन साल बाद, शरीर में स्वाभाविक रूप से और सुरक्षित रूप से घुल जाती है, जिससे रोगी की आर्टरीज अपनी मूल स्थिति में वापस आ जाती। मुख्यतः इसे लौह-आधारित और मैग्नीशियम-आधारित मिश्र धातु से बनाया जाता रहा हैं, हाल के शोध में इस स्टेंट को निर्मित करने के लिए जिंक पर भी ध्यान दिया गया है।

 

रोटाब्लेशन और इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी - Shockwave Therapy
लंबे समय से कैल्सीफाइड ब्लॉकेज के इलाज के लिए रोटेब्लेशन तकनीक का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन हाल ही में आईवीएल तकनीक में हुए विकास ने इसे इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के प्रमुख तकनीक के रूप में जोड़ा है।

 

कैल्सीफाइड ब्लॉकेज वाले रोगियों के इलाज में उपयोग की जाने वाली शॉकवेव इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी (IVL) एक अनूठी तकनीक है। शॉकवेव मेडिकल कोरोनरी आईवीएल कैथेटर एक सिंगल यूज़ डिस्पोजेबल कैथेटर कई लिथोट्रिप्सी उपकरणों से सुसज्जित है और एक एकीकृत गुब्बारे से जुड़ा हुआ यंत्र है। यह प्रभावित हिस्से का इलाज करने के लिए, एक ध्वनि दबाव तरंग उत्पन्न करता है।  धमनी में जगह खाली करने के लिए, यह ध्वनि दबाव तरंग कैल्शियम को घोलती है। इसे संचालित करने में होने वाली आसानी और अधिक सुव्यवस्थित इंटरफ़ेस के चलते अब, इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो गयी है।

 

इन तकनीकों के सही अनुप्रयोग से चुनिंदा मरीजों में इन-स्टेंट रेस्टेनोसिस (ISR) और इलाज के दौरान आने वाली जटिलताओं ​​ को सावधानीपूर्वक काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्रत्येक हृदय रोग विशेषज्ञ का लक्ष्य लगभग शून्य आईएसआर प्राप्त करना होता है, और प्रत्येक रोगी के लिए इसे पूरा करना डॉक्टर का लक्ष्य होता है। कार्डिएक टेक्नोलॉजी के विकास के साथ, वह दिन दूर नहीं, जब अच्छे पीसीआई का अधिकतम लाभ उठाने के साथ जीवन शैली में बदलाव चमत्कारी नतीजे देगा।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

स्वास्थ्य

सूरजमुखी के बीज में है सेहत का खजाना

आरती तिवारी September 30 2022 35232

सूरजमुखी एक वानस्पतिक पौधा है। अंग्रेजी में इसे सनफ्लॉवर कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधि माना जा

उत्तर प्रदेश

शिविर में 3 महिलाओं के हुए नसबंदी ऑपरेशन

विशेष संवाददाता February 28 2023 14522

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक द्वारा ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को निर्धारित सुविधाएं उपलब्ध

राष्ट्रीय

देश में मंकीपॉक्स के खिलाफ टास्क फोर्स गठित, रखेगी संक्रमण पर नज़र

विशेष संवाददाता August 01 2022 12660

पूरे विश्व में मंकी पॉक्स संक्रमण को लेकर हर स्तर पर कार्य हो रहे हैं। देश में भी स्वास्थ्य विभाग सत

उत्तर प्रदेश

इस बार गोरखपुर में वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम होगी 'हमारा स्वास्थ्य, हमारी पृथ्वी'

आनंद सिंह April 07 2022 16449

कल योग करेंगे चिकित्सक, साइकिलिंग भी करेंगे, पौधे भी लगाएंगे। कुल मिलाकर संदेश यह देना है कि प्रकृति

सौंदर्य

टमाटर के रस से पाएं इन स्किन प्रॉब्लम्स से छुटकारा

श्वेता सिंह September 07 2022 18798

बुढ़ापे की इन निशानियों से बचने के लिए चेहरे पर टमाटर के रस से मालिश करें। इससे त्वचा में कोलाजन का

राष्ट्रीय

तुर्की में इंडियन आर्मी ने संभाला मोर्चा, फील्ड हॉस्पिटल में घायलों का इलाज जारी

विशेष संवाददाता February 12 2023 12302

तुर्की और सीरिया में भूकंप से तबाही जारी है। इसी बीच भारतीय सेना और NDRF की टीमों ने तुर्की में मोर्

राष्ट्रीय

नकली दवाओं को लेकर हिमाचल सरकार अलर्ट

विशेष संवाददाता November 29 2022 11065

हिमाचल प्रदेश के सोलन के बद्दी में हाल ही में पकड़ी गई नामी कंपनियों के नाम पर तैयार नकली दवाओं को ल

उत्तर प्रदेश
स्वास्थ्य

चश्मे को ऐसे करेंगे साफ तो नहीं आएंगे स्क्रैच

आरती तिवारी August 25 2022 25470

चश्मे के ग्लास को साफ करना काफी मुश्किल भी होता है। ऐसे में अगर कई जतन के बावजूद भी चश्मा आसानी से स

उत्तर प्रदेश

डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मासूम की मौत

admin June 10 2023 15205

परिजनों का आरोप है कि सही समय पर मासूम को इलाजना मिलने के चलते उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिजनों ने हॉस

Login Panel