डेंगू बुखार एक बहुत संक्रामक रोग है। इसे हड्डी तोड़ रोग के नाम से भी जाना जाता है। ये मच्छरो के कटाने के कारण होता है । उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह बड़ी तेजी से फैलता है, कुछ डेंगू मामलो में ये रोग जीवन-ग्राही रक्तस्रावी बुखार में बदल जाता है जिसके परिणामस्वरूप रक्ततस्राव , ब्लड प्लेटलेट्स में निम्न स्तर और रक्त प्लाज्मा में रिसाव होता है।
डेंगू बुखार मच्छरो की कई प्रजातियों जिसमें जीनस एडीज, मुख्य मद ए एजिप्टी के द्वारा फैलता है। हल्के या मध्यम डेंगू के उपचार में रिहाइड्रेशन के लिए मौखिक या नसों में सीधे तरल पदार्थ दिया जाता है । गंभीर डेंगू के होने पर नसों में तरल पदार्थ के साथ रक्त रक्ताधान भी होता है ।
डेंगू के लक्षण - Symptoms of dengue
सामान्यत: तीन से चौदह दिनों के अंदर विकसित होते है। इसके बाद डेंगू का वायरस इंक्युबेशन की अवधि में (डेंगू का मच्छर काटने के बाद से डेंगू का लक्षण विकसित होने तक की अवधि को इंक्युबेशन अवधि कहते है) उजागर होता है। साधारणतः यह अवधि चार से सात दिन की हो सकती है।
डेंगू के लक्षण निम्नलिखित है:-
डेंगू किस कारण होता है - What causes dengue
डेंगू संक्रमित मच्छर से फैलता है, जिसे एडीज एजिप्टी मादा मच्छर कहते है। सामान्यत: यह मच्छर दिन में और कभी-कभी रात में काटता है। डेंगू का वायरस आरएनए फ्लैविवीरिद परिवार से है। इस रोग के वायरस चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें सिरोटाइप कहा जाता है। ये निम्नलिखित है:- डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4
डेंगू वायरस का प्रसार एक चक्र के अंतर्गत होता है। जब मादा मच्छर द्वारा संक्रमित व्यक्ति को काटा जाता है। इसके बाद जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तब यह वायरस व्यक्ति में चला जाता है और इस तरह यह चक्र लगातार चलता रहता है।.
डेंगू में होने वाली जांचे - Tests for dengue
अत्यधिक तीव्र ज़्वर(चालीस डिग्री सेल्सियस से अधिक)होने पर संभावित रोग की पहचान निम्नलिखित दो के आधार पर की जाती है:-
सूक्ष्म परीक्षण:शीघ्रातिशीघ्र प्रयोगशाला में सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की संख्या के कम होते स्तर की जांच जाती है ताकि इसके द्वारा कम प्लेटलेट्स और मेटाबॉलिक ऐसिडोसिस को देखा सकें। आमतौर पर लीवर से अमीनो ट्रांस्फ़्रेज़ का सामान्य उच्च स्तर(एएसटी और एएलटी)कम प्लेटलेट्स और सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ जुड़ा हुआ है।
रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट: रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट विशेष रूप से एंटीडेंगू आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडी की जाँच करने में एक उत्कृष्ट कार्यप्रणाली प्रदान करता है। आईजीजी एंटीबॉडी के हाई टाइटर की मौजूदगी, आईजीएम एंटीबॉडी के नमूने का पता लगाने में बाधा उत्पन्न नहीं करती है।
इसका परीक्षण अत्यधिक शुद्ध डेंगू प्रोटीन मिश्रण के उपयोग द्वारा डेंगू के समस्त चारों तरह के सिरोटाइप का पता लगाया जा सकता है।
डेंगू का उपचार लक्षण के अनुसार - Dengue treatment according to the symptoms
एस्प्रीन आदि दवाईयां लेने से रक्तस्त्राव बढ जाता है। इनके उपयोग से बचना चाहिए इनके स्थान पर पेरासिटामोल जैसी दवाईयां दर्द में सहायता करती है। बिस्तर पर उचित आराम और तरल पदार्थ का व्यापक सेवन करें.अगर तीन से पांच दिनों के बाद भी हालत में सुधार नहीं होता है तो चिकित्सक से सलाह ले।
डेंगू में होने वाली जटिलताएं - Complications of Dengue
संभावित रूप से एक व्यक्ति गंभीर डेंगू से पीड़ित है उसे अति गंभीर डेंगू के रूप में जाना जाता है। इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन इसके ख़तरे का मुख्य कारण पहले से संक्रमित होना होगा। प्राय: आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। अति गंभीर डेंगू के लक्षणों से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अति गंभीर डेंगू से पीड़ित व्यक्तियों के साथ एक अन्य समस्या यह है कि वे अचानक कम रक्तचाप का अनुभव कर सकता हैं। इसे डेंगू आघात सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। डेंगू आघात सिंड्रोम के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
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