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सही समय पर इलाज से निमोनिया से बचाव संभव

अगर समय बच्चों के टीके लगवाए जाए और सामान्य सर्दी, फीवर, खांसी, कफ की शिकायत होने पर बच्चों को डॉक्टर के पास या नजदीकी अस्पताल में ले जाकर समय पर इलाज करवाया जाए तो बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता हैं।

लेख विभाग
November 12 2022 Updated: November 13 2022 15:22
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सही समय पर इलाज से निमोनिया से बचाव संभव प्रतीकात्मक चित्र

विश्व निमोनिया दिवस (World Pneumonia Day) हर साल 12 नवंबर को मनाया जाता है। निमोनिया एक से पांच साल तक के बच्चों को लिए खतरा बना हुआ हैं। बीमारी के प्रति जागरुकता और इसकी गंभीरता बताने को लेकर इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी।

 

अगर समय बच्चों के टीके लगवाए जाए और सामान्य सर्दी, फीवर, खांसी, कफ (common cold, fever, cough, phlegm) की शिकायत होने पर बच्चों को डॉक्टर के पास या नजदीकी अस्पताल में ले जाकर समय पर इलाज करवाया जाए तो बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के आंकड़ों की माने तो विश्व में हर 43 सेकेंड में निमोनिया (pneumonia) से एक बच्चे की मौत है। यह आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। क्योकि निमोनिया से मरने वालों में अधिकत्तर बच्चों की उम्र एक से पांच साल तक की हैं। ऐसा नहीं है कि निमोनिया से बचाव संभव नहीं हैं।

 

यह एक आम बीमारी है जिसका बचाव एवं इलाज संभव पूरी तरह है लेकिन समय पर सही इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप भी ले सकती है। हालांकि टीकाकरण (vaccination) से इसका बचाव संभव है।सरकार बच्चों को मुफ्त में इस बीमारी के बचाव का टीका लगवा रही है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार विश्व में 2019 में निमोनिया से 25 लाख लोगों की मृत्यु हुई। सभी पीड़ितों में से लगभग एक तिहाई पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे (children under the age of five) थे।

 

समय पर सही इलाज नहीं करवाने और बीमारी के लक्षणों को नहीं पहचाना जाए तो यह मौत कारण बन जाती है। इनमें से निमोनिया भी एक ऐसी ही बीमारी है, जो एक से पांच साल तक के बच्चों को लिए खतरा बना हुआ हैं।

 

भारत में पांच साल से कम उम्र में मरने वालों की संख्या नाइजीरिया, कांगो और पाकिस्तान (Nigeria, Congo and Pakistan) में हुई मौतों से अधिक है। वर्ष 2014 में देश में 7,12,028 निमोनिया केस मिले थे। इनमें से 2599 ने दम तोड़ दिया था। वहीं वर्ष 2015 में 6,42,152 केस निमोनिया के मिले थे। जिनमें से 2410 ने दम तोड़ दिया था। राजस्थान में यह आंकड़ा 1,08,427 था। जिसमें से 128 की मौत हुई थी।

 

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