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लैक्टोज इंटॉलरेंस: लक्षण, कारण, निदान, प्रबंधन और जटिलताएं

लैक्टोज इंटॉलरेंस के पाचन संबंधी लक्षण लैक्टोज मालएब्सॉर्प्शन के कारण होते हैं। लैक्टोज मालएब्सॉर्प्शन तब होता है, जब छोटी आंत लैक्टेज एंजाइम की कमी या अनुपस्थिति के कारण दूध और दुग्ध उत्पादों में मौजूद लैक्टोज को पचा नहीं पाती हैं।

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July 12 2022 Updated: July 12 2022 15:32
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लैक्टोज इंटॉलरेंस: लक्षण, कारण, निदान, प्रबंधन और जटिलताएं प्रतीकात्मक चित्र

लैक्टोज असहिष्णुता या लैक्टोज इंटॉलरेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ व्यक्तियों को लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के उपभोग के बाद पाचन संबंधी लक्षण जैसे कि पेट में सूजन, पेट फूलना और डायरिया, दस्त, अतिसार हो जाते हैं। लैक्टोज एक शर्करा है, जो कि स्वाभाविक रूप से दूध और दुग्ध उत्पादों (जैसे पनीर या आइसक्रीम) में पायी जाती है।

लैक्टोज इंटॉलरेंस के पाचन संबंधी लक्षण लैक्टोज मालएब्सॉर्प्शन/अनवशोषित के कारण होते हैं। लैक्टोज मालएब्सॉर्प्शन तब होता है, जब छोटी आंत लैक्टेज एंजाइम की कमी या अनुपस्थिति के कारण दूध और दुग्ध उत्पादों में मौजूद लैक्टोज को पचा नहीं पाती हैं।

जन्मजात लैक्टेज की कमी एक विकार है, जिसे जन्मजात अलैक्टसिया भी कहा जाता है, जिसमें शिशु मां के दूध या फार्मूला दूध में मौजूद लैक्टोज को तोड़ने में असमर्थ होता हैं। लैक्टोज इंटॉलरेंस के इस प्रकार के परिणामस्वरूप गंभीर डायरिया/दस्त/अतिसार हो जाता हैं। वयस्कता में लैक्टोज इंटॉलरेंस बाल्यावस्था के बाद लैक्टेज के उत्पादन में अभाव (लैक्टेज नॉनपर्सिस्टेंस) के कारण होता है।

लैक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित अधिकांश लोग बिना लक्षणों के लैक्टोज की कुछ मात्रा को सहन कर सकते हैं। भिन्न-भिन्न लोग लक्षणों से पीड़ित होने से पहले अलग-अलग मात्रा में लैक्टोज को सहन कर सकते हैं। दुनिया की साठ प्रतिशत आबादी पशुओं के दूध में लैक्टोज को संसाधित करने में असमर्थ है।

लैक्टोज इंटॉलरेंस दूध की एलर्जी से अलग है, क्योंकि दूध की एलर्जी एक प्रतिरक्षा प्रणाली विकार है।

 

लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण - Symptoms of Lactose Intolerance

लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण दूध या दुग्ध उत्पादों या लैक्टोज युक्त अन्य खाद्य पदार्थों के उपभोग के कुछ घंटों के भीतर प्रकट होते हैं। आमतौर पर लक्षण लैक्टोज उपभोग के तीस मिनट से दो घंटे बाद दिखाई देते हैं। लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • पेट में सूजन
  • पेट फूलना
  • डायरिया/दस्त/अतिसार
  • मतली
  • उल्टी
  • पेट में दर्द
  • मल त्याग की तात्कालिकता
  • पेट में से आवाज़ आना (गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ महसूस होना)

 

लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण - Reason of lactose intolerance

आमतौर पर लैक्टोज (दुग्ध शर्करा) छोटी आंत में लैक्टेज द्वारा दो सरल शर्करा ग्लूकोज और गैलेक्टोज में टूट जाता है, जो आंतों की परत के माध्यम से रक्त प्रवाह में अवशोषित होते हैं। लैक्टेज एक एंजाइम है, जो कि लैक्टोज के पाचन की प्रक्रिया में मदद करता है।

जब छोटी आंत में लैक्टेज एंजाइम की कमी या निम्न स्तर होता है, तो लैक्टोज ठीक से पच नहीं पाता है और अपचित लैक्टोज कोलन (बड़ी आंत) में चला जाता है। कोलोन में मौजूद बैक्टीरिया लैक्टोज को तोड़ते हैं तथा तरल पदार्थ और गैस बनाते हैं। कुछ लोगों में यह अतिरिक्त तरल पदार्थ और गैस लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षणों का कारण बनता है।

लैक्टेज की कमी दो प्रकार की हो सकती है:

(क) प्राथमिक लैक्टेज की कमी: इस प्रकार के लैक्टेज की कमी में जीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, जैसे कि:

जन्मजात लैक्टेज की कमी: यह एक दुर्लभ स्थिति है, इसमें छोटी आंत जन्म से ही बहुत कम या बिल्कुल भी लैक्टेज नहीं बनाती है। लैक्टोज इंटॉलरेंस के इस प्रकार के परिणामस्वरूप गंभीर डायरिया/दस्त/अतिसार होता हैं।

लैक्टेस नॉनपर्सिस्टेंस (लैक्टेज गैर-दृढ़ता): इसमें छोटी आंत प्रारंभिक अवस्था (शैशवावस्था) के बाद लैक्टेज कम बनाती है और यह उम्र के साथ कम हो जाता है। लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण प्रारंभिक अवस्था (बाल्यावस्था), किशोरावस्था या प्रारंभिक वयस्कता तक शुरू नहीं होते हैं।

() द्वितीयक लैक्टेज की कमी: यद्यपि लैक्टोज इंटॉलरेंस के सभी मामले आनुवंशिक नहीं होते हैं, निम्नलिखित स्थितियां भी लैक्टोज इंटॉलरेंस का कारण हो सकती हैं:

  • संक्रामक रोग या अन्य स्थितियों के कारण छोटी आंत में चोट जैसे कि रोटावायरस और जिआर्डिया संक्रमण के कारण लैक्टोज इंटॉलरेंस हो सकता है।
  • सीलिएक रोग, क्रॉन्स डिजीज या क्रोहन रोग में द्वितीयक लैक्टेज अल्पता भी हो सकती है।
  • समय पूर्व जन्म: समय से पहले जन्मे बच्चों में छोटी आंत जन्म के बाद थोड़े समय के लिए पर्याप्त लैक्टेज नहीं बना पाती है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, छोटी आंत आमतौर पर अधिक लैक्टेज बनाने लग जाती है।

() एक्वायर्ड लैक्टेज की कमी: बहुत सारे लोग जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उन्हें एक्वायर्ड लैक्टोज इनटॉलेरेंस हो जाता है। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ छोटी आंत में मौजूद एंजाइम लैक्टेज की मात्रा में सामान्य गिरावट के कारण होती है।

 

लैक्टोज इंटॉलरेंस का निदान - Diagnosis of lactose intolerance

लैक्टोज इनटॉलेरेंस के निदान के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता लक्षण और परिवार एवं चिकित्सा इतिहास तथा खाने की आदतों के बारे में पूछ सकता है इसके साथ ही शारीरिक परीक्षण करता है।

अन्य स्थितियां जैसे कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के कारण ‘लैक्टोज इंटॉलरेंस’ के समान लक्षण हो सकते हैं। स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता व्यक्ति को कुछ समय के लिए दूध और दुग्ध उत्पादों को खाने और पीने से परहेज़ करने के लिए कह सकता है, यह पता लगाने के लिए कि क्या लक्षण अभी भी मौजूद हैं या नहीं। यदि लक्षण अभी भी हैं, तो अन्य परीक्षण किए जा सकते हैं।

हाइड्रोजन ब्रीद टेस्ट या हाइड्रोजन श्वसन परीक्षण

इस परीक्षण के लिए व्यक्ति को एक तरल पिलाया जाता है जिसमें लैक्टोज की ज्ञात मात्रा होती है। कुछ घंटों पर हर तीस मिनट में, व्यक्ति एक गुब्बारे के आकर के कंटेनर में सांस लेगा, जो कि उसकी श्वास में हाइड्रोजन की मात्रा को मापगी। यदि परीक्षण के दौरान सांस में हाइड्रोजन का स्तर और लक्षण बढ़ जाते हैं, तो चिकित्सक लैक्टोज इनटॉलेरेंस का निदान करता हैं।

 

लैक्टोज इंटॉलरेंस का प्रबंधन - Management of Lactose Intolerance

लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षणों को आहार परिवर्तन जैसे कि दूध और दुग्ध उत्पादों सहित लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को सीमित करके या उनसे बचाव करके प्रबंधित किया जा सकता है। कुछ व्यक्ति केवल लैक्टोज का सीमित उपभोग करके अपने लक्षणों का प्रबंधन कर सकते हैं, जबकि अन्य लोगों को लैक्टोज से पूरी तरह से बचने की आवश्यकता हो सकती है।

लैक्टोज इंटॉलरेंस का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता हैं। यदि ‘लैक्टोज इंटॉलरेंस’ लैक्टेज की अस्थिरता या जन्मजात लैक्टेज की कमी के कारण होता है, तो आहार में परिवर्तन के माध्यमों से लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।

कुछ दूध और दुग्ध उत्पादों का निम्नलिखित तरीके से उपभोग करने पर लैक्टोज इंटॉलरेंस का प्रबंधन (पाचन योग्य) हो सकता है:

  1. एक बार में कम मात्रा में दूध पिएं और भोजन के साथ लें,
  2. दूध और दुग्ध उत्पादों को अपने आहार में थोड़ा-थोड़ा करके शामिल करें और देखें कि आप कैसा महसूस करते हैं,
  3. दही और हार्ड चीज जैसे कि चेडर या स्विस खाने की कोशिश करें, जिनमे अन्य दुग्ध उत्पादों की तुलना में लैक्टोज कम होता हैं,
  4. दूध और दुग्ध उत्पादों में लैक्टोज को पचाने में सहयोग करने वाले लैक्टेज उत्पादों का उपयोग करें। लैक्टेज उत्पाद टैबलेट या ड्रॉप्स में होते हैं, जिनमें लैक्टेज होता है, एंजाइम जो कि लैक्टोज को तोड़ता है। कुछ लोग, जैसे कि छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं, शायद इनका उपयोग करने में असमर्थ हों।
  5. लैक्टोज़-मुक्त और लैक्टोज़-रहित दूध और दूध उत्पादों का उपयोग करें। यदि कोई व्यक्ति अपने दूध/दुग्ध उत्पादों का सीमित उपभोग कर रहा है, तो आहार में कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह बाल रोगियों और महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

निम्नलिखित स्रोतों में लैक्टोज़ ब्यूरो नहीं होता है, लेकिन कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं।

  • कोमल हड्डी वाली मछली, जैसे कि डिब्बाबंद सैल्मन फिश या सार्डिन फिश
  • ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां
  • संतरे
  • बादाम, ब्राजील मेवा और सूखी फलियां
  • टोफू या सोया दही
  • लेबल वाले उत्पाद, जो कि प्रकट करते हैं, कि उसमे कैल्शियम शामिल है, जैसे कि कुछ अनाज, फलों के रस और सोया दूध

यदि उत्पाद में लैक्टोज है, तो यह जानने के लिए ‘पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर अंकित घटकों की जांच की जा सकती है। इन उत्पाद में लैक्टोज है:

  • दूध
  • लैक्टोज
  • मट्ठा
  • दही
  • दूध से बने उत्पाद
  • शुष्क दूध ठोस
  • वसा रहित शुष्क दूध पाउडर

यदि लैक्टोज इनटॉलेरेंस छोटी आंत में चोट या संक्रमण के कारण होता है, तो परिस्थिति के अनुसार इसका उपचार किया जा सकता है। जबकि समय पूर्व जन्मे बच्चों में, यदि वे लैक्टोज इनटॉलेरेंस से पीड़ित हैं, तो आमतौर पर बच्चे के बड़े होने पर स्थिति बिना उपचार के ठीक हो जाती है।

 

लैक्टोज इंटॉलरेंस की जटिलताएं - Complications of Lactose Intolerance

यदि आहार में कैल्शियम और अन्य विटामिन तथा खनिज पर्याप्त मात्रा में नहीं है, तो लैक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:-

  • ऑस्टियोपीनिया- हड्डियों में खनिज का घनत्व कम हो जाता है।
  • पोषक तत्व अल्पता- पोषक तत्वों की कमी के कारण कुपोषण हो जाता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस- हड्डियां नाजुक और कमजोर हो जाती है, जिसके कारण फ्रैक्चर का ख़तरा बढ़ जाता है।

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