जेनेवा। शिशुओं के लिये फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थ बनाने वाली कंपनियों का वार्षिक व्यवसाय 55 अरब डॉलर मूल्य का है। बेबी फ़ॉर्मूला उद्योग में लिप्त कंपनियां ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिये अभिभावकों, विशेष रूप से माताओं को भ्रमित करके अपने व्यापार को अंजाम दे रहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ऐसे शोषणकारी विज्ञापनों के ज़रिये व्यापार पर विराम लगाना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नए अध्ययन में बताया है कि शिशुओं के लिये फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थ बनाने वाली कम्पनियाँ, गर्भवती महिलाओं व माताओं तक सीधी पहुँच बनाने के लिये, सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म (social media platforms) व प्रभावशाली हस्तियों को धन का भुगतान कर विज्ञापन करा रहीं हैं। इसके तहत ऑनलाइन (online) सामग्री तैयार करके प्रचारित किया जाता है। जिसको विज्ञापन के तौर पर पहचान पाना अक्सर कठिन होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ इस व्यापार में मोबाइल ऐप, वर्चुअल समर्थन समूह या ‘बेबी क्लब’, प्रसार व प्रतिस्पर्धाएँ, परामर्श फ़ोरम व सेवाओं जैसे तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रकार के भ्रम फैलाने वाले प्रचार के कारण स्तनपान की प्रवृति (breastfeeding tendency) घट रही है और स्तन-दुग्ध विकल्पों (Breast milk alternative) की ख़रीद बढ़ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग में निदेशक डॉक्टर फ़्रैन्सेस्को ब्रान्का (Dr. Francesco Branka ) ने बताया कि, “व्यावसायिक दुग्ध फ़ॉर्मूलों के प्रचार-प्रसार का दशकों पहले अन्त कर दिया जाना चाहिये था।”
उन्होंने कहा कि फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थ बनाने वाली कम्पनियाँ, अपनी बिक्री बढ़ाने के लिये अब पहले से कहीं अधिक प्रभावी और छलपूर्ण मार्केटिंग तकनीकें (marketing techniques) अपना रही हैं, जो किसी भी तरह से सही नहीं है और इसे रोका जाना होगा।
उस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि किस तरह दुनिया भर में माता-पिता, अभिभावक और गर्भवती महिलाएँ (pregnant women), बेबी फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थों की आक्रामक मार्केटिंग का आसान शिकार बन रहें हैं।
शुक्रवार को जारी की गई इस श्रृंखला की दूसरी रिपोर्ट में, 40 लाख सोशल मीडिया सन्देशों का विश्लेषण किया गया है, जोकि जनवरी व जून 2021 के दौरान प्रकाशित किये गए।
इन सन्देशों के ज़रिये लगभग ढाई अरब लोगों तक पहुँचा गया, एक करोड़ 20 लाख लोगों ने इन सन्देशों को पसन्द व साझा किया (like, share) या फिर उन पर टिप्पणी की।
बताया गया है कि फॉर्मूला कम्पनियाँ प्रति दिन अपने सोशल मीडिया अकाउंट के ज़रिये 90 सन्देश भेजती हैं, और 22 करोड़ 90 लाख यूज़र्स तक अपनी पहुँच बनाती है। ग़ैर-व्यावसायिक अकाउंट से स्तनपान सम्बन्धी जानकारीपरक सन्देशों की तुलना में यह आँकड़ा तीन गुना अधिक है।
विशेषज्ञों के अनुसार भ्रामक मार्केटिंग के ज़रिये स्तनपान, स्तन-दुग्ध (breast-milk) के सम्बन्ध में मिथकों को फैलाया जाता है और सफलतापूर्वक स्तनपान करा पाने की महिलाओं की क्षमता व आत्मविश्वास के प्रति सन्देह पैदा किया जाता है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने शिशुओं के लिये भोजन तैयार करने वाले उद्योग से, शोषणकारी फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थों की मार्केटिंग का अन्त करने का आग्रह किया है।साथ ही देशों की सरकारों से बच्चों व परिवारों की रक्षा सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया गया है।
इसके तहत, ज़रूरी क़ानून बनाये जाने व उन्हें लागू करने, और फ़ॉर्मूला दुग्ध उत्पादों के सभी प्रकार के विज्ञापनों की निगरानी व उन्हें रोके जाने पर बल दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थ की वैश्विक डिजिटल मार्केटिंग (global digital marketing) से खुले तौर पर, स्तन-दुग्घ विकल्पों की मार्केटिंग पर महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय कोड का भी उल्लंघन होता है, जिसे 40 वर्ष पहले तयार किया गया था।
इस समझौते के ज़रिये आक्रामक मार्केटिंग तौर-तरीक़ों से आम जनता व माताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
संगठन ने कहा कि ये भ्रामक प्रचार डिजिटल मार्केटिंग के जरिये किये जा रहें हैं। इस कारण राष्ट्रीय निगरानी व स्वास्थ्य प्राधिकरण की नज़ से बच जातें हैं।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55218
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66585
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS