वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बुधवार को जारी अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों को अभूतपूर्व स्तर पर प्रभावित किया है। यूएन एजेंसी (UN Agencies) ने अपने 75 वर्षों के इतिहास में इसे अब तक का सबसे ख़राब संकट क़रार दिया है, जिसके कारण 10 करोड़ अतिरिक्त बच्चे अब निर्धनता के विविध आयामों से पीड़ित है।
‘Preventing a lost decade: Urgent action to reverse the devastating impact of COVID-19 on children and young people’ नामक यह रिपोर्ट बताती है कि कोरोनावायरस संकट ने किस तरह निर्धनता, स्वास्थ्य, शिक्षा की सुलभता, पोषण, बाल संरक्षण और मानसिक कल्याण के विषय में अब तक दर्ज की गई प्रगति को प्रभावित किया है।
यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि वैश्विक महामारी (pandemic) के दो साल पूरे होने जा रहे हैं, और कोविड-19 के प्रभावों का गहन रूप धारण करना जारी है। इससे निर्धनता बढ़ी है, विषमताएँ और गहरे से समा गई हैं, और बच्चों के अधिकारों के लिये जिस तरह संकट खड़ा हुआ है, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया।
यूएन बाल कोष की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने ध्यान दिलाया कि यूनीसेफ़ ने दुनिया भर में बच्चों के लिये स्वस्थ व सुरक्षित माहौल के निर्माण में मदद की है। “इस प्रगति के लिये अब जोखिम पैदा हो गया है। कोविड-19 महामारी, हमारे 75 वर्षों के इतिहास में बच्चों के लिये प्रगति पर सबसे बड़ा ख़तरा रही है.”
बच्चों पर संकट
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक़ भरपेट भोजन ना पाने वाले, स्कूली शिक्षा से वंचित, दुर्व्यवहार का शिकार, निर्धनता में जीवन गुज़ार रहे बच्चों (children) की संख्या बढ़ रही है। वहीं, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सुलभता, वैक्सीन, पर्याप्त भोजन और अति-आवश्यक सेवाओं से वंचित बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
रिपोर्ट बताती है कि महामारी के कारण 10 करोड़ अतिरिक्त बच्चे अब निर्धनता के विविध आयामों में जीवन गुज़ार रहे हैं।वर्ष 2019 से इस आँकड़े में 10 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है - यानि मध्य-मार्च 2020 से हर सैकेण्ड लगभग 1.8 बच्चे। रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि खोई हुई ज़मीन व प्रगति को फिर से हासिल करने के लिये एख लम्बा रास्ता तय किया जाना होगा।
मौजूदा हालात से उबरने और बाल निर्धनता के मामले में, कोविड-19 से पहले के स्तर पर लौटने में सात से आठ साल का समय लग सकता है। महामारी से पूर्व के स्तर की तुलना में, छह करोड़ अतिरिक्त बच्चे अब ग़रीबी से पीड़ित परिवारों में रह रहे हैं।
इसके अलावा, वर्ष 2020 में, दो करोड़ 30 लाख बच्चे, अति-आवश्यक टीकाकरण के दायरे से बाहर रह गए, जोकि 2019 की तुलना में लगभग 40 लाख की वृद्धि दर्शाता है।
अहम निष्कर्ष
बताया गया है कि 80 फ़ीसदी से अधिक मानवीय राहत आवश्यकताएँ, हिंसक संघर्षों से ही पनपती हैं. वहीं, क़रीब एक अरब से अधिक बच्चे, ऐसे देशों में रहते हैं, जिन पर जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने का जोखिम सबसे अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने हर बच्चे को इस संकट से उबारने और उनके लिये एक नया भविष्य बुनने के लिये निम्न उपाय किये जाने की पुकार लगाई है:
1. सामाजिक संरक्षा, मानव पूंजी में निवेश और एक समावेशी व सुदृढ़ पुनर्बहाली मद में व्यय पर बल
2. महामारी का ख़ात्मा और बाल स्वास्थ्य व पोषण में चिन्ताजनक हालात को सुधारने के लिये प्रयास
3. हर बच्चे के लिये गुणवत्तापरक शिक्षा, संरक्षण और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के ज़रिये मज़बूत पुनर्निर्माण
4. संकटों की रोकथाम, और बच्चों से उनकी रक्षा के लिये सुदृढ़ तौर-तरीके अपनाए जाने पर ज़ोर
एस. के. राणा March 06 2025 0 35298
एस. के. राणा March 07 2025 0 35187
एस. के. राणा March 08 2025 0 34299
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 28305
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 24531
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 23754
सौंदर्या राय May 06 2023 0 82128
सौंदर्या राय March 09 2023 0 86744
सौंदर्या राय March 03 2023 0 86430
admin January 04 2023 0 87369
सौंदर्या राय December 27 2022 0 76419
सौंदर्या राय December 08 2022 0 65878
आयशा खातून December 05 2022 0 119880
लेख विभाग November 15 2022 0 89356
श्वेता सिंह November 10 2022 0 105618
श्वेता सिंह November 07 2022 0 87902
लेख विभाग October 23 2022 0 73238
लेख विभाग October 24 2022 0 75122
लेख विभाग October 22 2022 0 81954
श्वेता सिंह October 15 2022 0 88452
श्वेता सिंह October 16 2022 0 82349
देश में महाराष्ट्र, गुजरात और झारखंड सहित कई राज्यों में लंबे समय से खसरे का कहर जारी है। इसके चलते
कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जहां डाॅक्टर स्टेरोइड इंजेक्शन का सहारा ले सकता है। इसके अलावा कोहनी में
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तंबाकू की आदत को छोड़ने पर बल दिया तथा इसके दुष्परिणामों पर अपने विचार
देश में कोरोना महामारी का प्रसार तेजी से कम होता जा रहा है। संक्रमितों की संख्या में जहां भारी कमी ह
दांतों की सेंसिटिविटी का एक मुख्य कारण मसूढ़ों का खराब स्वास्थ्य है। समय के साथ मसूढ़े धीरे-धीरे कम
वेबिनार और जागरुकता शिविर निकाल कर एम्स में मनाया गया विश्व स्वास्थ्य दिवस, समाज के विभिन्न वर्गों म
अस्पताल में पैथालॉजी, एक्सरे और अल्ट्रासाउण्ड सुविधा पहले से है। मगर सीटी स्कैन सुविधा न होने से इमर
चकोतरे में संतरे की अपेक्षा सिट्रिक अम्ल अधिक तथा शर्करा कम होती है | इसका छिलका पीला तथा अंदर का भा
कम दृष्टि के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मधुमेह, आंखों में चोट लग जाना, उम्र के साथ आंखे कमजोर होना.
अदरक के अंदर एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो न केवल त्वचा को कई समस्याओं से दूर कर सकते हैं बल्क
COMMENTS