जेनेवा। अंधाधुंध ढँग से वैक्सीन कोविड-19 की अतिरिक्त ख़ुराक (Booster dose) दिये जाने के कार्यक्रमों से वैश्विक महामारी के लम्बा खिंच जाने और विश्व में वैक्सीन विषमता गराने की आशंका है। उक्त चेतावनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस दिया।
महानिदेशक टैड्रॉस (Director General Tedross) ने जेनेवा (Director General Tedross) में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोई भी देश बूस्टर ख़ुराक (booster dose) के ज़रिये, वैश्विक महामारी (global epidemic) से बाहर नहीं आ सकता है। यूएन एजेंसी प्रमुख की इस वर्ष की अन्तिम पत्रकार को सम्बोधित कर रहे थें।
उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सतर्कता उपायों की ज़रूरत के बिना, बूस्टर खुराक प्रभावी नहीं हो सकता है।
प्रतिरक्षण (Immunization) पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह (SAGE) ने बुधवार को, अतिरिक्त ख़ुराकों के सम्बन्ध में अन्तरिम दिशानिर्देश जारी किये हैं। समूह ने चिन्ता जताई है कि कुछ देशों में सामूहिक रूप से, बूस्टर ख़ुराक दिये जाने की क्षमता है, मगर ऐसा होने से टीकाकरण में पहले से पसरी वैक्सीन विषमता (vaccine disparity) और गहरी हो जाएगी। फ़िलहाल, सभी वैक्सीन ख़ुराकों का क़रीब 20 फ़ीसदी, बूस्टर या अतिरिक्त ख़ुराकों के तौर पर दी जा रही हैं।
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि अंधाधुंध बूस्टर कार्यक्रमों से महामारी का अन्त होने के बजाय, उसके लम्बा खिंच जाने की सम्भावना है। इससे वैक्सीन आपूर्ति उन देशों में मुड़ जाएगी, जहाँ पहले से टीकाकरण कवरेज (vaccination coverage) ऊँचे स्तर पर है, और वायरस को फैलने और अपना रूप व प्रकार बदलने का अवसर मिला जाएगा।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जल्द से जल्द सभी देशों में 40 फ़ीसदी आबादी और वर्ष 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जानी होगी।
संगठन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह याद रखना होगा कि अस्पताल में भर्ती होने या मौत होने का जोखिम उन लोगों के लिये है, जिनका अभी टीकाकरण नहीं हुआ है, ना कि बूस्टर ख़ुराक ना पाने वाले लोगों के लिये।
हमें बेहद स्पष्ट रहना होगा कि हमारे पास जो वैक्सीन हैं, वे डेल्टा और ओमिक्रॉन, दोनों वैरीएण्ट्स के लिये कारगर हैं।”
वैक्सीन विषमता का विरोध (Opposition to Vaccine Asymmetry)
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि कुछ देशों में अंधाधुंध ढँग से वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराक दिये जाने के कार्यक्रम शुरू किये गए हैं – तीसरी, यहाँ तक कि चौथी ख़ुराक के लिये, जैसे कि इसराइल में हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के 194 सदस्य देशों में से महज़ आधी संख्या में ही देश, अपनी 40 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण में सफल हो पाए हैं। इसकी वजह, वैश्विक आपूर्ति में व्याप्त विषमता बताई गई है।
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, वर्ष 2021 में पर्याप्त संख्या में टीके दिये गए, और यदि वैक्सीन ख़ुराकों को, कोवैक्स पहल के तहत न्यायसंगत ढँग से वितरित किया गया होता, तो हर देश इस लक्ष्य को सितम्बर महीने में पूरा कर सकता था।
“हम उत्साहित हैं कि आपूर्ति बेहतर हो रही है। आज, कोवैक्स ने अपनी 80वीं करोड़ वैक्सीन ख़ुराक की खेप रवाना की है। इनमें से आधी ख़ुराकें पिछले तीन महीनों में भेजी गई हैं।”
उन्होंने देशों व विनिर्माताओं (manufacturers) से कोवैक्स (Covax) पहल को प्राथमकिता देने और एक साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है, ताकि पीछे छूट गये देशों को सहारा दिया जा सके।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुमान दर्शाते हैं कि वर्ष 2022 की पहली तिमाही में पूरी दुनिया में वयस्क आबादी का टीकाकरण (vaccination) करने और उच्च-जोखिम वाली आबादी को अतिरिक्त ख़ुराक देने के लिये पर्याप्त आपूर्ति है। इसके बाद ही, सभी वयस्कों के लिये व्यापक पैमाने पर बूस्टर ख़ुराक का प्रबन्ध करना सम्भव हो सकता है। ध्यान रखना होगा कि कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष 35 लाख लोगों की मौत हुई है और हर सप्ताह 50 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा रही है।
महानिदेशक घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया कि टीकों ने, निश्चित रूप से अनेक ज़िन्दगियों को बचाया है, मगर विषमतापूर्ण वितरण की वजह से अनेक मौतें हुई हैं। यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि नए साल में, इस वर्ष में मिले सबक़ ध्यान रखने होंगे, और वर्ष 2022 को कोविड-19 के अन्त का वर्ष बनाना होगा।
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