हुज़ैफ़ा अबरार- वैज्ञानिकों का मत है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आनी है? आपका मत क्या है?
डॉ सूर्यकांत- 100 साल पहले जब स्पेनिश फ्लू आया था तो उसकी भी चार लहरें आयीं थीं। उससे पूरी दुनिया में करीब पाँच से दस करोड़ लोगों की मौत हुई थी। हमारे देश में भी दो करोड़ लोगों की मौत हुई थी। करीब 100 साल बाद फिर से कोरोनावायरस नाम की यह महामारी आई है। इससे दुनिया के लगभग 200 देश प्रभावित है। कई देश में तीसरी लहर आ चुकी है। हमारे देश में अभी दूसरी लहर समाप्ति की ओर अग्रसर है। तीसरी लहर आएगी। वह कितनी खतरनाक होगी, यह हमारे और आपके अगले तीन महीने के व्यवहार पर निर्भर करता है।
अगर हम कोविड अप्प्रोप्रिएट बेहेवियर जैसे मिलने पर नमस्ते करना, हाथ धुलते रहना, मास्क लगाना और दो गज़ की दूरी बनाना प्रचलन में लातें हैं, तब हो सकता है कि तीसरी लहर आयें लेकिन वह उतनी भयावह नहीं होगी जितनी दूसरी लहर थी।
तीसरी लहर का आना इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी भारी मात्रा में लोगों का कोरोना रोधी टीकाकरण करवा लेते हैं। टीकाकरण देश की सत्तर अस्सी फीसदी आबादी का होना चाहिए।तब हर्ड इम्युनिटी प्राप्त की जा सकती है। तब तक हम नहीं कह सकतें कि देश कोरोना फ्री हो गया।
हमारे देश की आबादी 130 करोड़ है। इसमें 90 करोड़ लोगों का टीकाकरण होना आवश्यक है। इसके लिए 180 करोड़ टीके की डोज़ चाहिए। अभी 25, 26 करोड़ डोज़ लगी हैं अभी भी 160, 155 करोड़ डोज़ लगना बाकी है। भारत सरकार ने इसी वर्ष दिसम्बर तक हर्ड इम्युनिटी पूरा करने के लिए टीकाकरण का लक्ष्य रखा है। लेकिन जब तक या लक्ष्य नहीं पूरा हो जाता, ख़तरा बना रहेगा। 18 वर्ष से कम की आबादी और गर्भवती महिलायों को टीकाकरण की इजाज़त नहीं मिली है। हालांकि टीकाकरण करवाने की प्रक्रिया चल रही है।
देखने में आ रहा है कि ग्रामीण जनता में कोरोना रोधी टीके के प्रति पर्याप्त जागरूकता नहीं आयी है। जबकि दूसरी लहर में यह आबादी भी बड़ी मात्रा में प्रभावित हुई थी। इस बड़ी आबादी का टीकाकरण एक बड़ी चुनौती है और इसका ध्यान रखना होगा। बच्चों के लिए वैक्सीन आते ही उनका टीकाकरण भी प्राथमिकता पर करना होगा। तब जाकर हम हर्ड इम्युनिटी प्राप्त कर पायेंगें और कोरोना से पार पायेंगें।
हुज़ैफ़ा अबरार- दूसरी लहर ज्यादा घातक थी लेकिन जल्दी खत्म क्यों ख़तम हो गई?
डॉ सूर्यकांत- जब भी महामारी आती है तब पहली लहर में ज़्यादा फैलाव आता और लम्बे समय तक रहता है। जैसे स्पेनिश जब फ्लू आया था तो पहली लहर में उसका बहुत ज़्यादा विस्तार हुआ था। कोविड अप्प्रोप्रिएट बेहेवियर का पालन नहीं करने के कारण कोविड की दूसरी लहर आयी थी।
दूसरी लहर के भयावह होने का कारण वायरस का बदला हुआ स्ट्रेन था। इनकी संक्रमण फैलाने की क्षमता भी बहुत ज़्यादा थी। दूसरी लहर जल्दी समाप्त होने का कारण सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध और तेज़ी से टीकाकरण थे।
हुज़ैफ़ा अबरार- कोरोना वायरस का जीवन चक्र कितना है?
डॉ सूर्यकांत- कोरोना वायरस का जीवन चक्र 28 दिन का होता है। इसके बाद यह वायरस स्वतः समाप्त हो जाता है। कोरोना की लाइफ साइकिल 28 दिन की होती है। इस दौरान यदि वायरस को नए शरीर मिलते हैं तो वह मरीज़ में संक्रमण फैलाता रहता है। यदि लोग कोविड अप्प्रोप्रिएट बेहेवियर का पालन करतें हैं। उसको जीवित शरीर नहीं मिलता है तो वायरस ख़तम हो जाएगा। ध्यान रखना चाहिए कि भीड़-भाड़ से बचे। अगले तीन महीनों में अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं। खान-पान का ध्यान रखें। हलके ढंग से योग और एक्सरसाइज करें। फास्ट फूड आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक से बचें। घर का खाना खाएं। खाने के साथ एक फल जरूर खाएं। हरी सब्जी का इस्तेमाल करें। तला-भुना ना खाएं।
डॉक्टर और हैल्थवर्कर गाइडलाइन के अनुसार आइवरमेक्टिन लेते रहें। पानी उबालकर भाफ लेते रहें।
बच्चे घर की बनी आंटी चिप्स ले सकतें है! बाज़ार की अंकल चिप्स से परहेज़ करें। चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स और फ़ास्ट फ़ूड का इस्तेमाल मत करें। ज़्यादा समय कंप्यूटर पर बैठकर मत व्यतीत करें। गार्डन में भी खेलें। घर के बड़े बुज़ुर्गों का ख्याल करें। खाने में हरी सब्ज़ियां खाएं और अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं।
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