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स्वास्थ्य

तम्बाकू एवँ धूम्रपान की लत पूरे विश्व में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनी।

दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख लोग तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण असमय मौत का शिकार हो जातें हैं तथा भारत मे यह आंकड़ा 10 लाख से ऊपर है । अकेले भारत में ही लगभग 27 करोड़ व्यस्क धूम्रपान करते हैं।

लेख विभाग
May 31 2021 Updated: May 31 2021 03:38
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तम्बाकू एवँ धूम्रपान की लत पूरे विश्व में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनी। प्रतीकात्मक

डॉ अनुरुद्ध वर्मा, पूर्व सदस्य, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद।

वर्तमान समय में तम्बाकू एवँ धूम्रपान की लत पूरे विश्व में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है और पूरा चिकित्सा जगत इस समस्या से चिंतित है कि किस प्रकार इससे मुक्ति पाया जाए । तम्बाकू के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम एवम उससे होने वाली बीमारियों के कारण पूरी चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गईं हैं । 

तम्बाकू की वजह से होने वाली बीमारियों से जन हानि के साथ साथ इनके उपचार पर होने वाले अतिरिक्त वित्तीय खर्च से देशों का विकास प्रभावित होता है तथा तम्बाकू जनित बीमारियों के उपचार में होने वाले खर्च से परिवार भी तबाह हो जातें हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 31 मई को तम्बाकू के प्रयोग से स्वास्थ्य पर होने वाले खतरों के प्रति आम जनमानस में जागरूकता उत्पन कर तम्बाकू के कारण होने वाली तबाही को रोकने के लिए विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का आयोजन किया जाता है । इस वर्ष का विचार विषय तम्बाकू छोड़ने का संकल्प तय किया गया है। 

तम्बाकू एवँ धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की गंभीरता का अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन के इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख लोग तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण असमय मौत का शिकार हो जातें हैं तथा भारत मे यह आंकड़ा 10 लाख से ऊपर है । अकेले भारत में ही लगभग 27 करोड़ व्यस्क धूम्रपान करते हैं। भारत मे संभवतः तम्बाकू प्रचलन 1600 ईस्वी में पुर्तगालियों के समय से प्रारंभ हुआ और जहांगीर ने इस पर पहली बार टैक्स लगाया था जो अब तक जारी है । एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की अपेक्षा तम्बाकू का सेवन ज्यादा किया जाता है । देश में तम्बाकू का प्रयोग सिगरेट, बीड़ी, हुक्का,खैनी, गुटखा आदि के रूप में किया जाता है तम्बाकू खाने से जहां मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर,पैंक्रियाज का कैंसर, लिवर के कैंसर आदि सामान्य बात है वहीं पर धूम्रपान के कारण 90% फेफड़े के कैंसर,30% अन्य प्रकार के कैंसर, 80% ब्रोंकाइटिस, इम्फिसिमा एवँ 20 से 25% घातक हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है । 

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार 5 से 10 सिगरेट प्रतिदिन पीने वालों को दिल का दौरा पड़ने की संभावना दो गुना बढ़ जाती है साथ ही धूम्रपान से एलर्जी, आंखों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है । अब तो आलम यह है कि महिलायें एवँ लड़कियां भी धूम्रपान करने लगी है जिससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी खतरनाक कुप्रभाव पड़ सकता है जिससे समय पूर्व प्रसव प्रसव , मृत शिशु , गर्भावस्था में ही शिशु की मृत्यु , कम वजन के बच्चे का जन्म, कमजोर बच्चे का जन्म होना एवँ मानसिक रूप से कमजोर बच्चे के जन्म की संभावना 50% बढ़ जाती है जिससे इस प्रकार के जन्मे बच्चों के जिंदा रहने की संभावना कम हो जाती है साथ ही महिलाओं में शारीरिक कमजोरी, सांस संबंधी दिक्कतें, गर्भ धारण में परेशानी, अनियमित मासिक, भूख का कम लगना, फेफड़े , मुंह का कैंसर, बांझपन, मुंह से बदबू , कमजोरी आदि की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 

आधुनिकता की दौड़ में अब छात्र एवँ युवा लोगों में तम्बाकू एवम धूम्रपान की लत तेजी के साथ बढ़ती जा रही है यंहा तक कि 10-12 साल के बच्चे भी तम्बाकू, सिगरेट, गुटखा आदि का प्रयोग करने लगें हैं जिससे कारण वह अनेक गंभीर विमारियों का शिकार होकर जवानी में ही बूढ़े हो रहें है सबसे बड़ी बात यह है कि धूम्रपान से नपुंसकता का खतरा भी बढ़ जाता है । युवकों में धूम्रपान एवम तंबाकू के प्रयोग के कारण उनके काम करने की क्षमता कम हो जाती है जिसका विपरीत प्रभाव देश के विकास पर पड़ता है ।

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट के धुएं से केवल धूम्रपान करने वाले को ही नुकसान नहीं होता है बल्कि उनके संपर्क में रहने वाले आस पास के लोगों दोस्तों, बच्चों, महिलाओं एवं अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी होता है अनजाने में धूम्रपान करने वाला व्यक्ति उन्हें भी अनेक जानलेवा बीमारियां बांट देता है । धूम्रपान करने वाला आपके स्वास्थ्य का दुश्मन है क्योंकि धूम्रपान से छोड़े गए धुएँ से पर्यावरण प्रदूषित होता है साथ में तम्बाकू खाकर थूकने से गंदगी फैलती है तथा अनेक संक्रामक विमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है । 

तम्बाकू में निकोटिन अलकोलॉइड होता है जो में तम्बाकू की लत उत्पन करता है जो रोगी को तम्बाकू को छोड़ने में बाधा उत्पन करता है । इस समय सारी दुनिया कोरोना के संक्रमण से परेशान है ऐसा पाया गया है कोरोना का संक्रमण उनको ज्यादा हुआ है जो हृदय रोग,कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, सांस के रोगों से ग्रसित थे तम्बाकू एवम धूम्रपान से इन रोगों की संभावना ज्यादा होती है इसलिए ऐसे लोगों को सचेत हो जाना चाहिए । तंबाकू के कारण दांतो के अनेक रोग जैसे पायरिया, दांतों की सड़न, दांतों का कमजोर होना तथा धूम्रपान से आंखों में जलन, गले में जलन, छींक, नाक, गले मे जलन , बालों का गिरना आदि की शिकायत भी हो सकती है । 

धूम्रपान एवम तम्बाकू से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही ऐसा पाया गया है इसके लती लोग अपने कार्य के प्रति लापरवाह होते हैं जिससे उनकी कार्य क्षमता घटती है जिसका उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा इनको अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां हो जाती है जिसका देश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । 

सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यह जानते हुए की तम्बाकू से कैंसर हो सकता है जो जानलेवा है फिर भी सिगरेट और तंबाकू के डिब्बे पर तम्बाकू एवम सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है छोटा छोटा लिख कर खानापूरी कर ली जाती है । यह जानते हुए की तम्बाकू का सेवन देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है सरकार थोड़े से राजस्व के लाभ के लिए उस पर रोक नहीं लगा पा रही है जबकि इससे होने वाले नुकसान फायदे से कई गुना अधिक हैं इसलिये तम्बाकू एवम सिगरेट के निर्माण एवम बिक्री पर तत्काल रोक लगाना जरूरी है साथ ही इनके प्रचार पर भी रोक लगनी चाहिए। तम्बाकू एवम धूम्रपान रोकने के लिए जो नियम बने हैं उनका सख्ती के साथ पालन होना चाहिए । 

तम्बाकू एवम धूम्रपान छुड़ाने के लिए काउंसिलिंग बहुत जरूरी है क्योकि सही कॉन्सिलिंग से 60 % लोगों की तम्बाकू की लत को छुड़ाया जा सकता है तथा 80 % लोगों को आराम दिया जा सकता है । सरकार एवं जनता को ऐसा वातावरण बनाना होगा कि तम्बाकू मुक्त समाज बन सके और स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके । 

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