लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा स्वास्थ्य और चिकित्सा को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और पाठ्यक्रमों आदि को लेकर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इस निर्णय से 10,000 शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों का सृजन होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा राजकीय मेडिकल कॉलेजों (Government Medical Colleges) स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में परास्नातक व सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospitals)/विंग में सपोर्टिंग डिपार्टमेन्ट्स तथा चिकित्सा विश्वविद्यालयों (Medical Universities) व सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों में स्नातक, परास्नातक तथा सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों के दृष्टिगत पदों के सृजन हेतु मानदण्ड निर्धारण का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि मानदण्डों के आधार पर पदों का सृजन मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किया जाएगा। मानदण्डों से अधिक पदों की आवश्यकता होने पर अथवा भविष्य में नियामक मानदण्डों में कोई परिवर्तन होने की स्थिति में केस-टू-केस पूर्ववत व्यवस्था के अनुसार पदों का सृजन वित्त विभाग के परामर्श से ही किया जाएगा। यदि कोई ऐसा पद पूर्व में सृजित है, जो इस मानक में नहीं है, तो ऐसे पद कार्यरत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के साथ शून्य/समर्पित समझे जाएंगे। पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तभी प्रारम्भ की जाएगी, जब वास्तविक कार्यात्मक आवश्यकता हो तथा यदि पूर्व से पद रिक्त हों, तो प्राथमिकता पर उन्हें पहले भरने की कार्यवाही की जाएगी।
प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। अतः भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (MCI)/राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC)/स्टाफ इंस्पेक्शन्स यूनिट (SIU) के मानकानुसार वर्तमान में चिकित्सालय कार्यों के गुणवत्तापरक क्रियान्वयन तथा भविष्य में रोगियों की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत राजकीय मेडिकल कॉलेजों/स्वशाासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों (medical institutions) व सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों/विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संवर्ग के पदों के सृजन हेतु मानकीकरण की आवश्यकता है। इस हेतु महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा (DG Medical Education) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर एनएमसी/एमसीआई तथा स्टाफ इंस्पेक्शन यूनिट द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार न्यूनतम पदों का आकलन किया गया।
समिति द्वारा की गयी संस्तुति के क्रम में चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन संचालित चिकित्सा विश्वविद्यालयों व सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों यथा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RMLIMS), किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान एवं अस्पताल, उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई इटावा (Saifai University of Medical Sciences) तथा बाल चिकित्सा एवं स्नातकोत्तर शैक्षणिक संस्थान नोयडा तथा राजकीय मेडिकल कालेजों/स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में एनएमसी मानकों की पूर्ति एवं चिकित्सालय के सुगम संचालन हेतु पाठ्यक्रमों की सीटों एवं बेडों की संख्या के आधार पर मानदण्ड निर्धारण का फार्मूला तय करते हुए न्यूनतम आवश्यक मानव संसाधन के पदों के सृजन हेतु मानदण्ड निर्धारण किये जाने की कार्यवाही की जा रही है, इससे चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में आवश्यकतानुसार विभिन्न श्रेणी के पदों के सृजन में सुगमता होगी और संस्थानों में आवश्यक मानव संसाधन समय से उपलब्ध कराया जा सकेगा।
प्रस्तावित पदों के सृजन पर 921.65 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक व्यय भार सम्भावित है। चूंकि वर्तमान में कुल सृजित पदों के सापेक्ष लगभग 60 प्रतिशत पद ही भरे हुए हैं। अतः निर्धारित मानदण्डों के अन्तर्गत सृजित होने वाले पदों पर यह व्यय भार तत्काल नहीं आएगा। अपितु चरणबद्ध रूप से भविष्य में इसकी व्यवस्था की जाएगी।
प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों/स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों व सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों/विश्वविद्यालयों में प्रस्तावित मानदण्ड के अन्तर्गत पदों के सृजन से मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इससे प्रदेश की जनता को इन चिकित्सा संस्थानों में बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी तथा मेडिकल पाठ्यक्रमों (medical courses) में शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्यक्रम सुचारु रूप से सम्पादित किया जा सकेगा।
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