लखनऊ। बनारस की रहने वाली 46 वर्षीय महिला मरीज वंदना दुबे को 28 अक्टूबर को बहुत तेज 104 डिग्री बुखार था। साथ ही उनकी पूरे बॉडी में बहुत तेज दर्द भी था। परिजन लगातार सर पर पट्टियां रखकर बुखार उतारने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने 3 दिन तक पेरासिटामोल की दवाई भी दी। लेकिन इन सब से जब बुखार में आराम नहीं आ रहा था तो उन्होंने वहीं पास के डॉक्टर की सलाह पर डेंगू का टेस्ट करवाया, जोकि पॉजिटिव आया।
वहां के डॉक्टर ने कुछ एंटीबायोटिक (antibiotics) की दवाएं भी दी। दो-तीन दिन वह दवाई चली। जब दोबारा जांच कराई गई तो उनकी प्लेटलेट (platelets) 51000 से घटकर 19000 आ चुकी थी। फिर परिवारजनों ने वहीं पास के एक प्राइवेट अस्पताल में महिला मरीज को भर्ती कराया। कुछ मित्रों ने परिवार जनों को सलाह दी कि इनको सहारा हॉस्पिटल में ले जाकर एक इलाज करवाएं। तुरंत महिला मरीज को सहारा हॉस्पिटल (Sahara Hospital) के इमरजेंसी विभाग में लाया गया, जिनको डॉक्टर इमरान हनफी (Dr. Imran Hanfi) के अंतर्गत एडमिट किया।
उन्होंने देर न करते हुए डेंगू (dengue) से संबंधित समस्त इलाज को करना शुरू कर दिया। डेंगू के इलाज के दौरान उन्हें हार्ट से संबंधित बीमारी का संदेह हुआ तो उन्होंने तुरंत एक ईसीजी करवाने को कहा। जब ईसीजी (ECG) देखा तो उस में कुछ गड़बड़ी पाई गई डॉक्टर इमरान ने परिजनों को सीसीयू (CCU) में मरीज को तुरंत एडमिट करने को कहा। जब मरीज ऑब्जर्वेशन में थी उसी समय उनको हार्ट अटैक (heart attack) आ गया और कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) हो गया मरीज को तुरंत ही सीपीआर दिया गया जिससे उसका हार्ट चलने लगा। फिर मरीज को वैन्टिलेटर पर लिया गया।
१६ घंटे के बाद हार्ट अटैक का मैनेजमेंट करने के बाद वैन्टिलेटर (ventilator) से हटा दिया गया। ऐसे में क्योंकि डॉक्टर इमरान हनफी ने आने वाली स्थिति का अंदेशा पहले से ही लगा लिया था और सीसीयू में सही समय पर एडमिट कर दिया था जिसकी वजह से महिला मरीज को तुरंत ही हार्ट से संबंधित सभी सुविधाएं सीसीयू विभाग (CCU department) में तुरंत कुशल सुपर विजन में उपलब्ध हो गई। मरीज की डॉक्टर इमरान हनफी की सूझबूझ से हार्ट अटैक आने के बावजूद भी जान बचाई जा सकी।
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