देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

उत्तर प्रदेश

जिन्दगी की दौड़ में पिछड़ जाते हैं ए.डी.एच.डी. विकार से पीड़ित बच्चे: डॉ आदर्श त्रिपाठी

केजीएमयू के मनोचिकित्सक डॉ आदर्श त्रिपाठी बतातें हैं कि अटेंशन डिफिशिएंट हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर में दो तरीके के लक्षण होते है- ऐसे बच्चों में ध्यान देने की क्षमता में कमी होती है और दूसरी लक्षण बच्चा चंचल बहुत ज्यादा होता है।

हुज़ैफ़ा अबरार
December 04 2022 Updated: December 04 2022 00:32
0 6415
जिन्दगी की दौड़ में पिछड़ जाते हैं ए.डी.एच.डी. विकार से पीड़ित बच्चे: डॉ आदर्श त्रिपाठी प्रतीकात्मक चित्र

लखनऊ। बच्चे तो शरारती होते हैं। लोग अक्सर बच्चे की किसी शरारत परऐसा  कह देते हैं, लेकिन हमें देखना होगा कि कहीं हमारे बच्चे की शरारत उसके व्यक्तित्व पर तो हावी नहीं हो रही है। यानि उसके विकास में दिक्कतें तो पैदा नहीं कर रही। क्योंकि बहुत से शरारती बच्चे मानसिक समस्या का शिकार होते हैं, जिसे मेडिकल की भाषा में अटेंशन डिफिशिऐंट हाइपरऐक्टिव डिसऑर्डर कहा जाता है। बच्चों में इसी समस्या पर हेल्थ जागरण की संवाददाता हुजैफा ने केजीएमयू के मनोचिकित्सक डॉ आदर्श त्रिपाठी से बात कर इसके बारे में पूरी जानकारी ली।

 

अटेंशन डिफिशिएंट हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर (Attention Deficit Hyperactive Disorder) में दो तरीके के लक्षण होते है- ऐसे बच्चों में ध्यान देने की क्षमता में कमी होती है और दूसरी लक्षण बच्चा चंचल बहुत ज्यादा होता है।

 

अटेंशन डिफिशिएंट के लक्षण - Symptoms of Attention Deficit

 

1. बच्चों में दिखती है धैर्य और ध्यान देने की क्षमता में कमी

ध्यान देने की क्षमता में कमी रोजमर्रा की जिंदगी में कई लक्षणों में जाहिर होती है। ऐसे बच्चे धैर्यहीन होते हैं। इन बच्चों में धैर्य रखने में सबसे अधिक पेरशानी होती है। स्कूल में एक जगह धैर्य से बैठने में इन्हें दिक्कत होती है। अटेंशन डिफिशिऐंट डिसऑर्डर बच्चों को नई चीजें सीखने से रोकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चा जब किसी एक काम को कर रहा होता है तो वो उस पर कुछ मिनट के लिए ही ध्यान लगा पाता है और फिर उसका मन किसी दूसरे काम में लग जाता है। जैसे ही बच्चा उस काम को करना शुरू करता है, उसका ध्यान किसी तीसरे काम की तरफ चला जाता है, हम सोचते हैं कि बच्चा शैतानियां कर रहा है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। वह मानसिक रूप से बेचैन हो रहा होता है। साथ ही टीचर्स पैरेंट्स मीटिंग में बच्चों के केयरलेस होने की शिकायते भी खूब की जाती है। जो चीजे वह बहुत आसानी से बता देते हैं, लिखते समय उन्हीं चीजों में वह गलती करते हैं। इस तरह इसके अंदर केयरलेसनेस (carelessness) मिस्टेक बहुत देखने को मिलती है।

 

2. बातें याद नहीं रख पाते हैं

डॉ आदर्श त्रिपाठी के अनुसार अपनी मनपसंद बात भी याद रखने में इनको दिक्कत (difficulty in remembering) होती है। खुद के द्वारा रखी गई वस्तुएं ही इन्हें नहीं मिलती। स्कूल में पेंसिल अक्सर खो आते हैं। कॉपी-किताबे इधर उधर रख देते हैं। ध्यान की कमी की वजह से यह बच्चे संगठित भी नहीं हो पाते हैं। बच्चे का मन न लगना, उसका व्यवहार सामान्य न होना, जिद्दी होना, ज्यादा चंचल होना, कल्पना, सपनों और ख्यालों में खोए रहना, चीजों को भूल जाना, फिजूलखर्ची, कभी ज्यादा बोलना या बिल्कुल न बोलना, निर्देशों को सुनने या पालन करने में असमर्थ प्रतीत होना, मिजाज बदलना, चिड़चिड़ापन और तेज गुस्सा होना आदि लक्षण हैं तो डाक्टर की सलाह लेना ही अच्छा विकल्प होगा।

 

हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर के लक्षण - Symptoms of hyperactive disorder

 

1. चंचलता की वजह से एक जगह रूकना बहुत कठिन होता है

डॉ आदर्श त्रिपाठी की माने तो ऐसे बच्चे चंचल बहुत होते हैं। भाग-दौड़ बहुत करता है। अगर इससे पीड़ित बच्चे को एक जगह बैठने को कह दिया जाए तो वह हाथों या पैरों को हिलाता रहेगा। क्योंकि उसे शांत बैठने में दिक्कत हो रही है। ऐसे बच्चे खतरों को नहीं समझ सकेंगे। सड़क पर लापरवाही से दौड़ लगाएंगे। खिड़की पर, पेड़ों पर या ऐसे किसी स्थान पर चढ़ जाएंगे जहां से इनके गिरने की संभावना ज्यादा हो। यह गिरने के खतरे को नहीं समझ सकेंगे। इसी कारण ऐसे बच्चों को चोट लगने की संभावना बाकी के बच्चों से अधिक होती है। दूसरे बच्चों के साथ इनके रिष्ते अच्छे नहीं बन पाते क्योंकि यह चंचलता में दूसरे को नुकसान पहुंचाते हैं।

 

अभिभावक कैसे समझे कि बच्चा सामान्य शरारत कर रहा या किसी बीमारी से ग्रसित है?

 डॉ आदर्श का कहना है कि उपरोक्त जितने भी लक्षण (symptoms) बताएं गए हैं यह कुछ हद तक सभी बच्चों में पाए जाते हैं। लेकिन अपनी उम्र की तुलना में यह लक्षण ज्यादा और लगातार दिखाई दे रहे हों, कम से कम दो जगह ऐसे ही लक्षण दिखाई दें जैसे स्कूल में और घर पर दोनों ही जगह बच्चे में व्यवहार में केयरलेसनेस दिखे, बच्चा ध्यान लगा पाने में असमर्थ है, बात करते वक्त सुनता कम और बोलता ज्यादा है, जिस चीज को वह अच्छी तरह से जानता है फिर भी उसको लेकर लगातार गलतियां कर रहा हो तो अभिभावकों को सचेत हो जाना चाहिए। इन लक्षणों के कारण बच्चें को आगे बढ़ने, पढ़ने-लिखने में दिक्कत और उसकी ग्रोथ में रूकावट आ रही हो तो अभिभावाकों को उसे जरूर डाक्टर के पास सलाह के लिए ले जाना चाहिए।

 

इलाज - treatment

डॉ आदर्श त्रिपाठी के अनुसार अटेंशन डिफिशिएंट हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर से पीड़ित बच्चों को आसान ट्रीटमेंट के जरिए ठीक किया जा सकता है। अगर आपको अपने बच्चे में लगातार इस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं तो आप बाल रोग विशेषज्ञ यानी पेडियाट्रिशियन या सायकाइट्रिस्ट से संपर्क करें।

 

अटेंशन डिफिशिएंट हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर के तीन स्तर

अटेंशन डिफिशिएंट हाइपरऐक्टिव डिसआर्डर बच्चे में किस स्तर तक है इसका पता लगाने के लिए अभिभावकों को डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। तीन स्तर है माइल्ड, मॉडरेट और सीरियस।

 

माइल्डः बिहेवियर थेरपी, काउंसलिंग और ट्रीटमेंट के साथ अगर ऐसे बच्चों की परवरिश की जाए तो ये जीवन में बहुत ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि इनके अंदर जौ नैसर्गिक तौर पर प्राप्त ऊर्जा है, उसे सही राह दिखाने और सही प्रकार से मैनेज करने की आवश्यकता होती है।

 

मॉडरेट या सीरियसः ऐसे बच्चों में व्यवहारिक चीजों के अलावा कुछ दवाईयां भी आती है जो हम इसके दिमाग में कैमिकल बैलेंसे को बनाए रखने के लिए देते हैं।

 

आमतौर पर बच्चे में 3 से 4 साल की उम्र में इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं। खास बात यह है कि ये लक्षण ज्यादातर बच्चों में 12 से 13 साल की उम्र तक बने रहते हैं। जबकि कुछ मामलों में ये 25 साल की उम्र तक व्यक्ति के साथ रहते हैं। ऐसे में दिक्कत यह होती है कि जिस उम्र में बच्चे के अच्छे जीवन की नींव तैयार होती है, उस उम्र में बच्चा एक अनजानी उलझन या बेचैनी के साथ जी रहा होता है। बच्चा जीवन की दौड़ में पीछे न रह जाए इसके लिए जरूरी है उसको उचित डाक्टरी सलाह मिले।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

राष्ट्रीय

कोविड-19: देश में दो माह बाद सुधरे हालात, एक लाख से कम आए नए मामले।  

एस. के. राणा June 08 2021 7689

संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या लगातार 26वें दिन संक्रमण के नए मामलों से अधिक रही। देश में अभी तक

राष्ट्रीय

गरीब देशों को कोरोना रोधी टीके दान में दें- विश्व स्वास्थ्य संगठन

हे.जा.स. May 15 2021 13139

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने कहा कि कोरोना रोधी टीके का अधिकांश हिस्सा अमीर देश खरीद रहें ह

उत्तर प्रदेश

डॉक्टर का दायित्व केवल डिग्री नहीं बल्कि शोध भी है: सीएम योगी

रंजीव ठाकुर August 05 2022 8688

एम्स गोरखपुर में देश के पहले तंबाकू नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन करते हुए सीएम योगी ने चिकित्सकों को स

रिसर्च

Breast cancer mortality in 500 000 women with early invasive breast cancer in England, 1993-2015

British Medical Journal July 18 2023 38628

These five year breast cancer mortality risks for patients with a recent diagnosis may be used to es

उत्तर प्रदेश

महिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं देख भड़के डीएम

विशेष संवाददाता January 04 2023 8841

डीएम उमेश मिश्रा ने निरीक्षण के दौरान में अल्ट्रासाउंड कक्ष का निरीक्षण किया। अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट क

उत्तर प्रदेश

राज्यपाल ने केजीएमयू में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण किया

admin June 08 2022 8912

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पर्यावरण व

उत्तर प्रदेश

प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले के सरकारी अस्पतालों का किया औचक निरीक्षण

अनिल सिंह November 04 2022 7727

जिलाधिकारी ने अनुपस्थित डाक्टरों और कर्मचारियों का एक-एक दिन का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। साथ ह

उत्तर प्रदेश

सभी डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ तैनाती स्थल पर अवश्य निवास करें: बहराइच जिलाधिकारी

रंजीव ठाकुर July 30 2022 7585

बहराइच जिलाधिकारी डॉ दिनेश चन्द्र ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर

स्वास्थ्य

नवजात शिशुओं में बढ़ने लगे मोतियाबिंद के मामले

लेख विभाग November 02 2022 9356

दस साल पहले की तुलना में ग्रामीण इलाकों में प्रसव से पहले बेहतर देखभाल और माताओं में संक्रमण में गिर

स्वास्थ्य

गुर्दे की पथरी को गलाकर बाहर निकाल देंगे ये असरदार उपाय

श्वेता सिंह October 13 2022 11430

गुर्दे की पथरी बनने से वजन कम होने, बुखार, मतली, रक्तमेह और पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द के सा

Login Panel