लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 19 जनपदों में लोगों को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए 12 मई, से वृहद् स्तर पर दवा खिलाने का कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का राज्य स्तरीय उदघाटन, उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार बृजेश पाठक द्वारा वर्चुअल रूप से किया जायेगा ।
फाइलेरिया रोग के उन्मूलन (eradication of Filariasis) हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित मीडिया सहयोगियों ने भी फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं (anti-filaria drugs) का सेवन किया। इस कार्यशाला में उन जनपदों के स्वास्थ्य अधिकारी और अन्य विभागीय अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया, जहाँ कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है।
इस अवसर पर, डॉ. विन्दु प्रकाश सिंह, संयुक्त निदेशक फ़ाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फ़ाइलेरिया, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश शासन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार वेक्टर जनित रोग जैसे फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है। इसी प्रतिबद्धता के फलस्वरूप, उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 19 जनपदों में दिनांक 12 मई 2022 से 27 मई 2022 तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA/IDA) कार्यक्रम कराया जाना सुनिश्चित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए एम.डी.ए. जनपदों में डी.ई.सी. एवं अल्बंडाज़ोल (Albandazole) एवं आई.डी.ए जनपदों में डी.ई.सी., अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन (Ivermectin) की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं (pregnant women) और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि रक्तचाप (blood pressure), शुगर (sugar), अर्थरायीटिस (arthritis) या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं। दवा खाने के बाद से ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
उन्होंने बताया कि कि कल से शुरू होने वाले कार्यक्रम का राज्य स्तरीय शुभारम्भ माननीय उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक arthritis) द्वारा वर्चुअल रूप से किया जायेगा। इस कार्यक्रम में जिला स्तर से ब्लॉक स्तर तक अथक प्रयास किये जायेंगे कि कोई भी लाभार्थी दवा खाने से छूट न जाये।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization') के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता (long-term disability) के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2021 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लिम्फेडेमा के लगभग 83 हज़ार और हाइड्रोसील के लगभग 26 हज़ार मरीज़ हैं।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill and Melinda Gates Foundation) के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा पूरी दुनिया के फ़ाइलेरिया के मरीजों में लगभग 45 प्रतिशत फ़ाइलेरिया रोगी भारत में हैं और उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में से 51 जनपद इस रोग से प्रभावित हैं। इस प्रकार हम देखें तो अगर उत्तर प्रदेश से फ़ाइलेरिया रोग का उन्मूलन हो जाये तो भारत में भी फ़ाइलेरिया रोगियों की संख्या बहुत कम हो जायेगी और पूरी दुनिया में भारत पर इस रोग के वहन का प्रतिशत भी काफी कम हो जायेगा।
मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration) के अंतर्गत चयनित ज़िलें गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, गाजीपुर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, सुल्तानपुर, रायबरेली और कौशाम्बी हैं।
फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु आयोजित कार्यशाला में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, पाथ, सीफार और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद रहें।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55107
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66474
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS