लखनऊ। रिवर बैंक कॉलोनी स्तिथ आईएमए भवन में विश्व सीज़ोफ्रेनिया दिवस पर निःशुल्क जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। आईएमए अध्यक्ष डॉ मनीष टण्डन सचिव डॉ संजय सक्सेना के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ दीप्तांशु अग्रवाल, डॉ शाश्वत सक्सेना और डॉ प्रांजल अग्रवाल मौजूद रहें जिन्होंने इस रोग की गम्भीरता, लक्षण, कारण और उपचार के बारे में बताया। इस मौके पर हेल्थ जागरण ने डॉक्टर शाश्वत सक्सेना से खास बातचीत की।
इस अवसर पर मानसिक रोग विशेषज्ञ (Psychiatrist) एवं निर्वाण मानसिक रोग चिकित्सा हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. दीप्तांशु अग्रवाल ने बताया की सीज़ोफ्रेनिया एक ऐसा मानसिक रोग है जो की एक व्यक्ति के स्पष्ट रूप से सोचने, भावनाओं को संयमित रखने, निर्णय लेने एवं दूसरों से सम्बन्ध पहचानने की क्षमता को बाधित करता है, सीज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) से पीड़ित व्यक्ति से अक्सर ऐसी संवेदनाएं होती है जो वास्तविकता से अलग होती हैं।
उन्होंने बताया की सीज़ोफ्रेनिया किसी भी उम्र में हो सकता है। और ऐसा माना गया है की स्कीजोफ्रेनिया की जटिल, पारस्परिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं में असंतुलन की भूमिका होती है, जिनमें डोपामाइन (dopamine) ग्लूटामेट एवं सेरोटोनिन (serotonin) न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitters) शामिल हैं । उन्होंने बताया की विश्व की लगभग एक प्रतिशत आबादी सीज़ोफ्रेनिया से ग्रसित है ।
मानसिक रोग विशेषग्य डॉ. शाश्वत सक्सेना ने बताया कि सीज़ोफ्रेनिया के पॉजिटिव लक्षणों में भ्रम, मतिभ्रम, अव्यवस्त सोच, नेगेटिव लक्षणों में समाज से दूरी बनाये रखना, अत्यधिक उदासीनता, स्वयं की देखभाल में अभाव, भावनाओं की अभिव्यक्ति में कमी इत्यादि, एवं निगेटिव लक्षणों में ध्यान देने अथवा ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थतता, एवं सूचना को जानने के बाद उसका प्रयोग करने की क्षमता से जुड़ी समस्या इत्यादि शामिल है । उन्होंने कहा की डिलीवरी के बाद पोस्ट सायकोसिस (post-psychosis) भी अक्सर महिलाओं में देखने को मिलती है, जिसका भी समय रहते उचित उपचार संभव है ।
आईएमए लखनऊ (IMA Lucknow) के संयुक्त सचिव डॉ. प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि सीज़ोफ्रेनिया के मरीजों को अक्सर भर्ती करने की आवश्यकता भी पड़ती है। स्कीजोफ्रेनिया के ऐसे मरीज जो दवा खाने को तैयार न हों, चिकित्सक को दिखाने के लिए तैयार न हों, अत्यधिक गुस्सा या उदासीनता, भ्रम, मतिभ्रम इत्यादि के लक्षण दिखें तो उनको भर्ती करके भी इलाज किया जा सकता है।
उन्होंने बताया की लखनऊ में प्रमुखता से सरकारी क्षेत्र में केजीएमयू (KGMU), एवं निजी क्षेत्र में मेडिकल कोलेजों के मानसिक रोग विभाग सहित तमाम निजी अस्पतालों में भी इसका इलाज संभव है। उन्होंने कहा की परिजनों को इलाज की शुरुआत में मरीज की समस्या को समझने एवं उसके समुचित इलाज की व्यवस्था पर जोर देना चाहिए न की मरीज को अत्यधिक समझाने पर।
आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ. मनीष टंडन ने कहा की मानसिक समस्याओं से ग्रसित मरीजों को उचित उपचार हेतु मानसिक रोग विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया की बीमारी की शुरुआत में उचित इलाज से इसको बड़ने से रोका जा सकता है
आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने कहा की मानसिक रोगों के प्रति जनमानस में जागरूकता का बेहद अभाव है । उन्होंने कहा की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) समय समय पर जनता को सेहत से जुड़े ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक करने के लिए अपने प्रयास करती रहती है।
एस. के. राणा March 06 2025 0 34965
एस. के. राणा March 07 2025 0 34854
एस. के. राणा March 08 2025 0 33855
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 27861
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 24420
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 23532
सौंदर्या राय May 06 2023 0 82128
सौंदर्या राय March 09 2023 0 86633
सौंदर्या राय March 03 2023 0 86430
admin January 04 2023 0 87369
सौंदर्या राय December 27 2022 0 76419
सौंदर्या राय December 08 2022 0 65878
आयशा खातून December 05 2022 0 119880
लेख विभाग November 15 2022 0 89356
श्वेता सिंह November 10 2022 0 105507
श्वेता सिंह November 07 2022 0 87902
लेख विभाग October 23 2022 0 73016
लेख विभाग October 24 2022 0 75011
लेख विभाग October 22 2022 0 81954
श्वेता सिंह October 15 2022 0 88452
श्वेता सिंह October 16 2022 0 82349
मेनोपॉज के बाद व्यायाम, आहार और जांच को लेकर वन स्पॉट सेंटर, लोकबंधु अस्पताल में लखनऊ मेनोपॉज सोसायट
जून माह में करीब एक करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है और जिस रफ़्तार से टीकाकरण हो रहा है, उससे प्रत
बदलते मौसम का असर लोगों के ऊपर दिखने लगा है। इस बार तो मार्च की धूप ही लोगों की सेहत पर असर डाल रही
ऐसा माना जाता है कि ये बीमारियां विकसित देशों में समाप्त हो गयीं हैं लेकिन गरीब देशों के 170 करोड़ लो
नरीपुरा स्थित आर मधुराज हॉस्पिटल में आग लगने की घटना और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के कड़े रुख के बाद ब
IMA का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को पाठ्यक्रम में एलोपैथी को शामिल करने का अधिकार नहीं है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी के बारे में 1937 में पहली बार अमेरिका में पता चला था। यह एक ऐसी बीमा
गोनोरिया का कारण जीवाणु है। यह जीवाणु जननांग पथ, मुंह या गुदा को संक्रमित कर सकता है। गोनोरिया सामा
साहिल वर्मा के हाथ के अंगूठा कट जाने से वह जिला अस्पताल इमरजेंसी में नर्सों ने उसे 2 इंजेक्शन लगाया
कोरोना पर एक रिसर्च ने डराने वाला दावा किया है। वैज्ञानिकों ने 19 जनवरी को चेतावनी दी है कि कोरोना म
COMMENTS