लखनऊ। मेडिकल कॉलेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था (medical system) सुधारने की नई रणनीति बनाई गई है। अब सभी कॉलेजों को अति गंभीर मरीजों की जान बचाने का हिसाब देना होगा। शीर्ष मेडिकल कॉलेजों में संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), युग का लखनऊ मेडिकल कॉलेज (Medical college) और अस्पताल आदि शामिल हैं। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र द्वारा बताया जाएगा कि कितने अति गंभीर मरीज आए और कितनों की जान बचा ली गई।
आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ में 33 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 12 सरकारी और 21 निजी हैं। लखनऊ के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश भारत की शीर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं (entrance examinations) के आधार पर दिया जाता है। बता दें,सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स (MBBS course) की फीस लगभग 6,000 रुपए से लेकर 25,000,00 से 50,000,00 रुपए तक पैसे खर्चा हो सकते हैं। जबकि एमबीबीएस कोर्स की फ्री कॉलेजों पर निर्भर करती है।
बता दें, प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र द्वारा बताया जाएगा कि कितने अति गंभीर मरीज आए और कितनों की जान बचा ली गई। फिर शासन की ओर से निर्धारित की गई टीम पत्रावलियों की जांच कर देखेगी। स्कोरिंग व्यवस्था से कॉलेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था (medical system) में सुधार होगा। इससे दूर दराज के जिलों के मरीजों को लखनऊ नहीं आना पड़ेगा। डॉक्टर और अन्य स्टॉफ की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
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