लखनऊ। अयोध्या सनेथु के रहने वाले चार वर्षीय धैर्य की हालत गंभीर होने पर परिजनों ने कई हास्पिटलों ने उपचार करने से हाथ खड़े कर दिये तो गोमतीनगर स्थित सहारा हॉस्पिटल में उपचार मिला, जहां कार्डियक टीम ने सर्जरी करके मासूम की जान बचाई।
धैर्य के माता पिता ने बताया कि जब वह 2 महीने का था, तब उसको निमोनिया हुआ और उसे बुखार आया। स्थानीय डॉक्टर ने बताया कि बच्चे के दिल में छेद है, लेकिन वह किस साइज का है, जांच करवाने पर पता चलेगा। धैर्य के पिता इलाज के लिए मेरठ ले गए, जहां सर्जरी करवने की सलाह दी गयी। फिर दो बार एम्स हास्पिटल दिल्ली में भी दिखाने की कोशिश की लेकिन संबंधित डॉक्टर से मिलना संभव नहीं हो पाया।
परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए सर्जरी की उम्मीद छोड़ दी। कुछ समय बाद धैर्य को तेज बुखार आया। तब मरीज को फैजाबाद के डॉक्टर को दिखाया गया, जहां बहुत महंगी सर्जरी बतायी गयी। वहीं से लगभग डेढ़ साल तक दवाइयां चलीं थीं। कुछ समय बाद मरीज के पिता ने एक ट्रस्ट का पता किया और वहां कुछ समय इलाज करवाया परन्तु बच्चे की स्थिति देखकर उन्होंने भी सर्जरी के लिए मनाकर दिया। बच्चे की तबीयत बिगड़ी तो उसको मेडिकल कॉलेज ले गये। पिता ने कुछ पैसों का इंतजाम किया लेकिन मेडिकल कॉलेज में भी डॉक्टर सम्पर्क किया लेकिन वहां भी उसे दिल्ली एम्स में रेफर कर दिया। बच्चे की हालत बिगड़ रही थी और उसने आठ दिन से खाना भी नहीं खाया था और सीने में दर्द था।
फिर फैजाबाद के डॉक्टर ने उसे 10 दिन की दवाई दी जिससे वह खाना भी खाने लगा। सीने में दर्द कम हुआ। फिर जब बच्चे के पिता ने एम्स दिल्ली में सम्पर्क किया तो पांच महीने बाद का समय मिला। उसने एक परिचित की सलाह पर सहारा हॉस्पिटल में डाक्टर विशाल श्रीवास्तव से परामर्श लिया। डा विशाल ने कहा कि वह सर्जरी कर देंगे लेकिन पहले डेढ़ महीने दवाईयां खानी पड़ेगीं।
डॉक्टर विशाल श्रीवास्तव व कार्डियक टीम ने मरीज की सर्जरी के लिए डेढ़ महीने तक दवाइयां लेने के बाद अब जटिल व चुनौती पूर्ण सर्जरी में सफलता पायी। कार्डियक टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. विशाल, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. धीरज, एनसथीसियोलाजिस्ट डॉ. दीपांकर राज, परफयूजनिस्ट, नर्सें, टेक्नीशियन व सहयोगी स्टाफ शामिल थे। परिजन अपने बच्चे का सफल इलाज पाकर काफी खुश हुए और डॉक्टर विशाल सहित समस्त कार्डियक टीम का धन्यवाद किया।
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