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भारतीय हर्बल दवाओं को अब विदेशों में मिलेगी पहचान, आयुष मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम

इस समझौते के तहत वैज्ञानिक तौर पर मानक स्थापित किए जाएंगे। पीसीआईएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर वैद्य पीके प्रजापति और सचिव व वैज्ञानिक निदेशक राजीव सिंह रघुवंशी ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया।

विशेष संवाददाता
August 31 2022 Updated: August 31 2022 02:07
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भारतीय हर्बल दवाओं को अब विदेशों में मिलेगी पहचान, आयुष मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करते अधिकारीगण

नयी दिल्ली। देश भर में हर्बल औषधियों को लेकर 'वन हर्ब, वन स्‍टैंडर्ड' को लागू करने की दिशा में आयुष मंत्रालय ने एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा के मौजूदगी में आईपीसी (इंडियन फार्माकोपिया कमीशन) और पीसीआईएमएच (फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी) के निदेशकों के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

 

इस समझौते के तहत वैज्ञानिक तौर पर मानक स्थापित किए जाएंगे। पीसीआईएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर वैद्य पीके प्रजापति और सचिव व वैज्ञानिक निदेशक राजीव सिंह रघुवंशी ने समझौता पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किया।

 

हर्बल स्‍टैंडर्ड का यह सामंजस्य "एक हर्बल, एक स्‍टैंडर्ड और एक राष्ट्र" को पूरा करेगा और हर्बल औषधियों (herbal medicine) के व्यापार को और सुलभ करेगा। इस अवसर पर इंडियन फार्माकोपिया कमीशन के सचिव व वैज्ञानिक निदेशक राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि इस समझौता से आयुष से जुड़े दवा उत्पादकों, शोधकर्ताओं और अन्य भागीदारों के लिए काफी आसानी होगी। पीसीआईएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर वैद्य पीके प्रजापति ने कहा कि आज हम एक और मील का पत्थर साबित करने जा रहे हैं। आज के इस एमओयू के बाद हम ऐसा मोनोग्राफ बनाएंगे जिससे सभी को फायदा होगा।

 

दोनों ही मंत्रालयों के फार्माकोपिया (pharmacopoeia) के आपसी सहयोग से परंपरागत दवाओं के मानकीकरण के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान करना, दवा व कच्चे माल, अर्क आदि को लेकर संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षण और विचार-मंथन के माध्यम से नए शोधों और वैज्ञानिक जानकारी का आदान प्रदान किया जा सकेगा। इस समझौता ज्ञापन के तहत औषधीय पौधों और उनके घटक मार्करों के चयन के लिए वन हर्ब, वन स्‍टैंडर्ड के तहत और अन्य संबंधित तकनीकी कार्य करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा। दोनों पक्ष अपने डेटा को समान फार्माकोपिया के रूप में प्रकाशित करने पर सहमत हुए हैं।

Edited by Shweta Singh

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