- डाक्टर ए.के. सिंह, सीनियर कंसल्टेंट,
डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल
देश में आधुनिकीकरण बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ा है जिसके फलस्वरूप अस्थमा के रोगियों की संख्या भी काफी बढ़ी है। अस्थमा से छोटे बच्चों सहित बुजुर्ग तक प्रभावित हो रहे हैं। अस्थमा के प्रति लोगों में कैसे जागरूकता लायी जाये इसके लिये हर साल अस्थमा दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है।
अस्थमा रोग एक एलर्जी है और ये एलर्जी किसी को धूल, पराग, जानवरों के फर, वायरस, हवा के प्रदूषक आदि से हो सकती है। अगर किसी को भी खॉसी, सूखी खॉसी, सांस फूलना, सीने सीने में दर्द, सर्दी, ज़ुकाम, सांस लेने में सीटी जैसी आवाज आये तो उसे सचेत हो जाना चाहिये क्योंकि ये सब अस्थमा के शुरूआती लक्षण हो सकते है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार इस समय दुनिया भर में 23.5 करोड़ लोग वर्तमान में अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनिया भर में अस्थमा से हर साल 3,83,000 से अधिक मौतें होती है जबकि एक अनुमान के मुताबिक भारत में 2 करोड़ अस्थमा के मरीज हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार, अस्थमा से 80 प्रतिशत से अधिक मौत के मामले अधिक निम्न और निम्न-मध्य-आय वाले देशों में होती है जिनमें अपना देश भारत भी है।
अस्थमा ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता है और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। अस्थमा या दमा का उपचार काफी हद तक मुमकिन है। अस्थमा मरीजों को काफी सावधानी बरतनी चाहिये क्योंकि हल्की सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। अस्थमा मरीज अगर डाक्टर की सलाह का सही से पालन करें तो वो सामान्य जिंदगी बड़े आराम से जी सकते है। आज हमारे सामने कई खिलाड़ियों, कलाकारों के उदाहरण सामने है जो अस्थमा से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने काम को बखूबी अजांम दे रहे है।
ज्यादा गर्म और ज्यादा सर्द मौसम के अलावा वाहनों से, औद्योगिक इकाइयों से निकलता जहरीला धुआँ, वायु प्रदूषण भी अस्थमा रोग के लिये काफी जिम्मेदार है। अगर कोई अस्थमा से पीड़ित है तो सर्वप्रथम उसे घर में बिछाई गयी कारपेट को बराबर साफ करते रहना चाहिये क्योंकि कारपेट में काफी धूल के कण मौजूद रहते है, बेहतर होगा अगर आप कारपेट इस्तेमाल न करें। अपने घर में हमें एरिका प्लान्ट, स्नेक प्लान्ट लगाना चाहिये इसको लगाने से हमें घर में पर्याप्त आक्सीजन मिलती है। जिन घरों के आगे पेड़ लगा होता है उन घरों में धूल के कण कम पाये जाते है। अगर हम अपने आसपास हरियाली रखे तो इससे शुद्ध आक्सीजन की कमी नहीं होगी।
बरसात आते ही अस्थमा के मरीजों में 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है। ऐसा मौसम बदलने के कारण हो सकता है। दरअसल अस्थमा का कारण इंफेक्शन भी होता है। अस्थमा मरीजों को अपने पास हमेशा इन्हेलर रखना चाहिए क्योंकि अस्थमा पर विजय प्राप्त करने के लिये इन्हेलर काफी कारगर है। अस्थमा के उपचार के लिये आज अच्छी दवायें और उपकरण मौजूद है जो सीधे फेफड़े पर असर करती है। और इन दवाइयों का कोई दुष्प्रभाव भी हमारे शरीर पर नहीं पड़ता है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 44499
सौंदर्या राय March 09 2023 0 51890
सौंदर्या राय March 03 2023 0 50244
admin January 04 2023 0 49518
सौंदर्या राय December 27 2022 0 40011
सौंदर्या राय December 08 2022 0 31912
आयशा खातून December 05 2022 0 83028
लेख विभाग November 15 2022 0 53059
श्वेता सिंह November 10 2022 0 50673
श्वेता सिंह November 07 2022 0 48497
लेख विभाग October 23 2022 0 39050
लेख विभाग October 24 2022 0 37937
लेख विभाग October 22 2022 0 47988
श्वेता सिंह October 15 2022 0 48936
श्वेता सिंह October 16 2022 0 51602
दिल को स्वस्थ रखने वाला आहार लें एक स्वस्थ हृदय के लिए आहार में कम वसा और कम नमक वाला आहार, फाइबर की
पहाड़ से मैदान तक बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है। इस बीच बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। बढ़ते संक
अधिकारी ने कहा कि अंतिम मंजूरी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को देनी है, लेकिन सरकार टीकाकरण की अनिवार्
इस नए कानून के तहत, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों एवं स्थानीय सरकारी निकायों के लिए य
डा. जान ने कहा कि फिलहाल न तो वैज्ञानिक और न ही महामारी विज्ञान से जुड़े कोई कारण नजर आ रहे हैं, जिस
डा सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में 17 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है ए
अब इलाज संबंधी दस्तावेज रोगियों को अस्पताल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश के अस्पतालों में प्रत्येक
अंजीर में पोटेशियम काफी होता जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। अंजीर कैल्शियम, पोटेशिय
शिविर 14 जून तक चलेगा और कार्यक्रम के समापन पर सहारा हॉस्पिटल में पहले से रक्तदान कर रहे लोगों को स
समारोह में पद्म भूषण प्रो. के. श्रीनाथ रेडडी का प्रो देवेंद्र गुप्ता रिसर्च ओरेशन अवार्ड के अंतर्गत
COMMENTS