केला (Banana) से कौन परिचित नहीं होगा। भारत सहित पूरे विश्व में केला को लोग बहुत ही पसंद से खाते हैं। केला और दूध अनेकों लोगों का पसंदीदा भोजन है। बहुत सारी जगहों पर केले के फूल की सब्जी भी बनाई जाती है, तो कई स्थानों पर केले के पत्तों में भोजन किया जाता है। क्या आप यह जानते हैं कि केला एक जड़ी-बूटी भी है, और अधिक प्यास लगने की समस्या, घाव, सर्दी-खांसी, जैसी बीमारियों में केला के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, कुष्ठ रोग, कान के रोग, दस्त आदि रोगों में भी केला के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार, केला को कदली, केरा भी बोला जाता है। आप आंखों के रोग, आग से जलने पर, और पेचिश रोग में केला के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप गोनोरिया, बुखार, और शारीरिक कमजोरी होने पर भी केला से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि केला के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि केला से क्या-क्या नुकसान हो सकता है।
केला क्या है
प्राचीन काल से केले का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। केले के वृक्ष को पवित्र मानकर उसकी पूजा भी की जाती है। कई आयुर्वेदिक किताबों में केले की कई प्रजातियों का जिक्र किया गया है। धन्वन्तरी निघण्टु के मतानुसार, केले की दो प्रजातियां होती हैं।
- कदली, 2. काष्ठकदली होती हैं।
राजनिघण्टु के मतानुसार केले की चार प्रजातियां होती हैं।
- कदली, 2. काष्ठकदली, 3. गिरीकदली, 4. सुवर्णमोचा
भावप्रकाश-निघण्टु के मतानुसार भी केले की कई प्रजातियां होती हैं।
1.माणिक्य, 2.मर्त्य, 3.अमृत, 4.चम्पकादि
केला के औषधीय गुण
- केला कषाय, मधुर, शीत, गुरु, कफवर्धक; वातशामक, रुचिकारक, विष्टम्भि, बृंहण, वृष्य, शुक्रल, दीपन, सन्तर्पण, ग्राही, संग्राही, बलकारक, हृद्य, स्निग्ध और तृप्तिदायक होता है। यह अधिक प्यास लगने की समस्या, जलन, चोट लगने पर, आंखों की बीमारी में लाभ पहुंचाता है। केला से कान के रोग, दस्त, रक्तपितत्त, कफ, योनि दोष आदि में भी फायदा होता है।
- केले का फूल तिक्त, कषाय, ग्राही, दीपन, उष्ण, स्निग्ध, बलकारक, केश्य, हृद्य, वस्तिशोधक, कफपित्त-शामक, वातकारक, कृमिशामक; रक्तपित्त, प्लीहाविकार, क्षय, तृष्णा, ज्वर और शूल-नाशक होता है।
- केले के पत्ते शूल शामक, वृष्य, हृद्य, बलकारक और कान्तिवर्धक होते हैं। यह रक्तपित्त, रक्तदोष, योनिदोष, अश्मरी, मेह, नेत्ररोग और कर्णरोग-नाशक होते हैं।
- केले का कच्चा फल मधुर, कषाय, शीतल; गुरु, स्निग्ध, विष्टम्भि, बलकारक, दुर्जर (देर से पचने वाला), दाह, क्षत, क्षय शामक और वात पित्तशामक होता है।
केला के फायदे और उपयोग
- केला के औषधीय गुण से आंखों की जलन का इलाज।
- आंखों में जलन होना एक आम समस्या है। जब कभी आपके आंखों में जलन हो तो केले के पत्तों को आंखों के ऊपर बांधें। इससे आंखों की जलन ठीक होती है।
नाक से खून निकलने पर केला के सेवन से लाभ
- कई लोगों को नाक से खून बहने की परेशानी रहती है। ऐसे में केले के पत्ते का रस निकाल लें। 1-2 बूंद नाक में डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।
कान के दर्द में केला का औषधीय गुण फायेदमंद
- कान में दर्द हो तो केला से लाभ ले सकते हैं। लहसुन, अदरक, सहिजन, मूली और केले के पत्ते का रस निकाल लें। इसे थोड़ा गुनगुना कर 1-2 बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक हो जाता है।
दांतों के रोग में केला के सेवन से लाभ
- आपके दांत कमजोर हैं तो आप केला के सेवन से लाभ ले सकते हैं। केले के फल का पेस्ट बना लें। इसे दांतों पर मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
सांसों की बीमारी में केला का औषधीय गुण फायेदमंद
- केला, कुन्द, शिरीष और पिप्पली का पेस्ट बना लें। 2-4 ग्राम पेस्ट को चावल के धोवन के साथ पिएँ। इससे श्वास रोग ठीक होता है।
- गोमूत्र में पकाए हुए या अंगार पर भूने हुए 1 केले का सेवन करने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
- पके केले को बीच से लम्बाई में काट लें। इसके बीच के सिरा को हटा दें। इसमें 1-2 ग्राम मरिच चूर्ण डालकर, दोनों भाग को मिला लें। इसे अंगारों पर पकाकर, छिलका हटाकर सेवन करने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
आंतों के रोग में केला के सेवन से लाभ
- कच्चे केले को उबालकर, उसके गुद्दे में गेहूँ का आटा मिलाकर गूथ लें। इसकी रोटी बनाकर, बिना मलाई वाली दही के साथ खाएं। इससे आंतों के रोग में लाभ होता है।
- केले की जड़ का काढ़ा बना लें। काढ़ा को 10-15 मिली की मात्रा में पिएं। इससे आंतों के कीड़े निकल जाते हैं।
पेचिश की आयुर्वेदिक दवा है केला
- केले के 5-10 मिली पूल के रस में 20-50 मिली दही मिला लें। इसे खाने से दस्त, पेचिश और मासिक धर्म के समय अधिक खून बहने की परेशानी में लाभ होता है।
दस्त में केला के सेवन से लाभ
- 1 पके हुए केले को दही में मथें। अपनी पसंद के अनुसार शक्कर, नमक और मरिच चूर्ण मिलाकर खाएं। इससे दस्त पर रोक लगती है।
एसीडिटी की आयुर्वेदिक दवा है केला
- हरे कच्चे केले को धूप में सुखाकर, पीस लें। इसे आटे में मिलाकर, रोटी बना लेंं। इसे खाने से एसिडिटी और पेट के फूलने की परेशानी ठीक होती है। इससे खट्टी डकारें नहीं आती हैं।
- मूत्र रोग (पेशाब रुक-रुक कर आना और दर्द होना) आयुर्वेदिक दवा है केला
- 500 मिग्रा छोटी इलायची के बीज चूर्ण में मधु मिला लें। इसका सेवन करें। इसके बाद केले के पत्ते के बीच में रहने वाली नली का रस निकालकर पिएं। इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब रुक-रुक कर आने और पेशाब में दर्द होने की समस्या में लाभ होता है।
- 5-10 मिली केले की जड़ के रस में 10-20 मिली लौकी का रस मिला लें। इसे पीने से कम पेशाब होने की समस्या में लाभ होता है।
- पके हुए केले को खाने से अधिक पेशाब होने की समस्या, पाचनतंत्र संबंधी समस्या, किडनी विकार, पेशाब में जलन की समस्या, ल्यूकोरिया, शारीरिक कमजोरी ठीक होती है।
- 1 पके कदली फल में घी मिलाकर खाने से मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव की समस्या में तुरंत लाभ होता है।
गोनोरिया में केला के सेवन से लाभ
- गोनोरिया के रोगी केले के औषधीय गुण से फायदा ले सकते हैं। आप केले को निचोड़ लें। इसमें लौकी का रस मिला लें। इसे पिएं। इससे गोनोरिया रोग में फायदा मिलता है।
केला के औषधीय गुण से सिफलिस रोग का इलाज
- सिफलिस एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में रोगी को बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है। सिफलिस के इलाज के लिए केले को उबालकर, मसल लें। इसे घाव पर बांधें। इससे बहुत अत्यन्त लाभ होता है।
केला के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज
- अधिकांश लोग कुष्ठ रोग को कभी ठीक ना होने वाली बीमारी मानते हैं। आप केले से कुष्ठ रोग में लाभ ले सकते हैं। 65 मिग्रा केले के पत्ते के क्षार में हल्दी का चूर्ण मिला लें। इसका लेप करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
घाव में केला के फायदे
- आप घाव को ठीक करने के लिए केला का उपयोग कर सकते हैं। केले के पके हुए साफ पत्तों को घाव पर बाँधें। इससे घाव ठीक होता है, और पस के साथ दुर्गन्ध दूर होता है।
हेयर रिमूवल की तरह काम करता है केला
- आप केले को हेयर रिमूवल की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सेमल के कांटे, हरताल और चूने को केले के पत्ते के रस से पीस लें। इसे शरीर में जहां भी अनचाहे बाल हों, वहा लगाएं। इससे बाल हट जाते हैं।
आग से जलने पर में केला के फायदे
- आग से जल जाने पर केला का प्रयोग बहुत लाभ देता है। आग से जले हुए स्थान पर केले के फल को मसलकर लगाएं। इससे बहुत लाभ होता है।
मानसिक रोगों (मैनिया, मिर्गी और अनिद्रा) में केला के फायदे
10-20 मिली कदली के तने के रस को नारिकेल जल के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से मिर्गी, अनिद्रा, और मैनिया जैसी बीमारी में फायदा मिलता है।
केला के उपयोगी भाग
पंचांग, जड़, तना, फूल, फल, पत्ते
केला का इस्तेमाल कैसे करें?
- रस- 10-20 मिली
- चूर्ण- 10-20 ग्राम
केला से नुकसान
यहां केला के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप केला के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए केला का सेवन करने या केला का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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