नवजात शिशुओं में मोतियाबिंद होने की घटना कोई नई नहीं है। लेकिन हाल के वर्षों में ऐसे मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं वह विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गया है। हैदराबाद के नेत्र विशेषज्ञ सत्य प्रसाद बाल्की बताते हैं, "संभवतः मां के गर्भ में किसी जीवाणु या डाउन सिंड्रोम के कारण ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।”
उनके मुताबिक, नवजात शिशुओं में जन्मजात मोतियाबिंद देखा जाता है। यह आमतौर पर माताओं में संक्रमण या डाउन सिंड्रोम जैसी अन्य बीमारियों से जुड़ा होता है। प्रसाद का कहना है, "दस साल पहले की तुलना में ग्रामीण इलाकों में प्रसव से पहले बेहतर देखभाल और माताओं में संक्रमण में गिरावट के कारण इसके मामलों में गिरावट आई है। शहरी आबादी में स्टेरॉयड के दुरुपयोग, आनुवंशिक कारणों, बीमारियों और समय से पहले जन्म जैसे कारणों से जन्मजात मोतियाबिंद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।”
कोलकाता के मशहूर नेत्र विशेषज्ञ (ophthalmologist) डॉ. देवजित चक्रवर्ती बताते हैं, "भारत में मोतियाबिंद (Cataract) बच्चों में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। बचपन में अंधेपन (childhood blindness) के लगभग 15 फीसदी मामले आनुवंशिकता के कारण होते हैं। भारत में लगभग 3 से 3.5 लाख नेत्रहीन बच्चे हैं, जिनमें से 15 फीसदी को मोतियाबिंद होने का अनुमान है. हर साल 20 से 40 हजार बच्चे इसके साथ पैदा होते हैं।”
कोलकाता के ही नेत्र विशेषज्ञ डा. गणेश मंडल बताते हैं कि कई कारणों से भारत में बच्चों में मोतियाबिंद की घटनाएं बढ़ रही हैं। बच्चों में अस्थमा के मामले (Asthma cases) भी बढ़ रहे हैं। स्टेरॉयड (Steroids) अक्सर इन मामलों में इलाज के लिए मुख्य दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। यह मोतियाबिंद का कारण बन सकता है। इसके साथ ही अगर कम उम्र में मोतियाबिंद होने का पारिवारिक इतिहास है तो जन्मजात मोतियाबिंद होने की संभावना बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों में इस बात पर आम राय है कि पांच साल पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। डा. चक्रवर्ती बताते हैं, "पहले की तुलना में नवजात शिशुओं (newborn babies) की मृत्यु दर में गिरावट आई है। गर्भ में संकट जनक स्थिति में रहने वाले शिशुओं को बचाने लिए जो जीवन रक्षक दवाएं दी जाती हैं, उनमें स्टेरॉयड होता है। यह भी उनमें जन्मजात मोतियाबिंद की एक प्रमुख वजह है. लेकिन समय पर इलाज से इसे दूर करना संभव है।”
क्या है मोतियाबिंद - What is cataract
मोतियाबिंद तब होता है, जब पीड़ित व्यक्ति की आंख के प्राकृतिक लेंस में क्लाउड बन जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के आंख की लेंस में प्रोटीन टूट जाते हैं और चीजें धुंधली या कम रंगीन दिखने लगती है। इंसान की आंखों के अंदर एक प्राकृतिक लेंस होता है। यह आंखों में आने वाली प्रकाश किरणों को रिफ्लेक्ट करता है। इसी वजह से इंसान किसी चीज को देख सकता है।
कई मामलों में जन्म के समय आंख का लेंस साफ होने के बजाय उसमें क्लाउड आ जाता है। इससे पीड़ित बच्चे का देखना मुश्किल हो जाता है. जन्मजात मोतियाबिंद (Congenital cataracts) एक या दोनों आंखों में हो सकता है। समय रहते इलाज ना होने की स्थिति में आगे चलकर यह अंधेपन का कारण बन सकता है।
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