माइग्रेन एक प्रकार का ऐसा सिरदर्द है जो काफी कष्टदायक होता है। इससे सिर के एक हिस्से में तेज दर्द उठता है। कई पीड़ितों में गैस्टिक समस्याएं जैसे मितली, उल्टी आदि भी शुरू हो जाती है। भारत में लगभग 10 में से 2 महिलाएं और 15 में से 5 पुरुष इस समस्या से ग्रस्त हैं।
वैसे तो साधारण सिरदर्द (headache) में दर्द निवारक दवा (painkillers) से आसानी से राहत मिल जाती है लेकिन यदि माइग्रेन (migraine) का दर्द बार बार परेशान करे और ऐसे में दवाइयों का ज्यादा उपयोग गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है। ऐसे में लोग इस गंभीर बीमारी (serious disease) के किसी सुरक्षित उपाय की तलाश में रहते हैं। हम आपको कुछ योगासनों (yoga asanas) के द्वारा माइग्रेन के दर्द से बचने का नुस्खा बताएंगे।
पश्चिमोत्तानासन - Paschimottanasana
तनाव माइग्रेन की समस्या के लिए सबसे बड़ी वजहों में से एक है। पश्चिमोत्तानासन योग के नियमित अभ्यास के द्वारा तनाव पर लगाम लगाकर मन को शांत किया जा सकता है। इस योग को बैठकर किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले दोनों पैरों को बाहर की तरफ फैलाएं। इसके बाद पैर की उंगलियों को आपस में चिपकाते हुए और गहरी सांस लेते हुए अपनी बाहों को जितना संभव हो ऊपर की ओर उठाएं और उसके बाद क्षमतानुसार बैठे बैठे ही झुककर पैरों की उंगलियों को छूने का प्रयास करें। इस योग के माध्यम से कूल्हों की चर्बी को भी कम किया जा सकता है।
सेतुबंधासन - Setubandhasana
कई बार ब्लड प्रेशर भी तनाव के लिए जिम्मेदार माना जाता है और माइग्रेन की समस्या में तो ये काफी घातक साबित हो सकता है। सेतुबंधासन में पीठ के बल लेटकर शरीर को पुल की आकृति में रखना होता है। इसके लिए पैरों को जमीन पर टिकाकर और हाथ के पंजों से फर्श का सहारा लेकर शरीर के बीच वाले हिस्से को सेतु की तरह ऊपर की ओर उठाएं। इसके नियमित अभ्यास से गैस्टिक समस्या से राहत मिलती है।
बालासन - Balasan
बालासन में शरीर को स्ट्रेच किया जाता है और इस खिंचाव से तनाव या अवसाद की समस्या को कम किया जा सकता है। बालासन में दोनों पैरों को मोड़कर पेट से चिपकाकर बैठे बैठे ही थोड़ा सा झुक जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ खींचें इससे पेट सहित हाथों की नशों में भी खिंचाव महसूस होता है। इस योग के नियमित अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से चलता है। साथ ही पेट की भी कई तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है।
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