नयी दिल्ली। वैज्ञानिकों ने कोबरा सर्प के विष की विषैली क्रियाविधि के उस तंत्र का पता लगाया है, जो ऐसे विष-रोधी (antivenoms) या छोटे अणु अवरोधकों के उपयोग के लिए विकासशील रणनीतियों की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है जो सर्प दंश के स्थान पर उत्पन्न किए गए कोबरा विष के स्थानिक विषैले प्रभावों को कम करने में सहायक बन सकता है।
कोबरा सर्प (genus Naja) व्यापक रूप से एशिया और अफ्रीका में पाए जाते हैं और भारतीय उपमहाद्वीप सहित इन महाद्वीपों में बड़ी मृत्यु दर और रुग्णता का कारण कोबरा द्वारा दिया गया दंश है। अन्य विषधर सर्पों के विष की तरह कोबरा सर्प (Cobra snake) विष भी प्रकृति में तंत्रिकातन्त्र पर विषाक्त प्रभावकारी (neurotoxic) होते हैं। हालांकि, वे दंश के स्थान पर स्थानीय साइटोटॉक्सिक प्रभाव भी प्रदर्शित करते हैं और ऐसी साइटोटोक्सिसिटी (cytotoxicity) की सीमा हर प्रजाति के लिए भिन्न हो सकती है।
कई अन्य प्रयोगशालाओं के प्रोटिओमिक अध्ययनों (Proteomic studies) से पता चला है कि कोबरा के विष (cobra venom) में गैर-एंजाइमी थ्री-फिंगर टॉक्सिन समूह की प्रधानता होती है और जो कुल विष का लगभग 60-75% होता है। गैर- एंजाइमी थ्री- फिंगर टॉक्सिन (three-finger toxin) समूह का एक आवश्यक घटक साइटोटोक्सिन्स (सीटीएक्सएस) है और कोबरा के विष में सर्वव्यापी रूप से मिलता है।
कोबरा विष प्रणाली (प्रोटिओम) में लगभग 40 से 60% योगदान देने वाले ये निम्न- आणविक-द्रव्यमान के विषाक्त पदार्थ कोबरा विष- प्रेरित विषाक्तता (toxicity), विशेषकर डर्मोनेक्रोसिस (स्थानीय प्रभाव) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ सीटीएक्सएस न्यूरॉन्स और हृदय की मांसपेशियों की झिल्लियों को विध्रुवित (डीपोलेराइज़) करने के लिए भी उत्तरदायी होते हैं, जिससे कोबरा- विषग्रस्त पीड़ितों की अक्सर ह्रदयगति रुकने (cardiac failures) में योगदान होता है। परिणामतः उन्हें कार्डियोटॉक्सिन (CDTX) के रूप में भी जाना जाता है। रोचक बात यह है कि विभिन्न नाजा प्रजातियों में कोबरा विष सीटीएक्स का अनुपात भी नाटकीय रूप से भिन्न होता है। सामान्यतः अफ्रीका के थूकने वाले कोबरा के विष में एशियाई कोबरा की तुलना में सीटीएक्सएस का अनुपात अधिक होता है और जो सर्प विष की संरचना में भौगोलिक भिन्नता का संकेत देता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (IASST), गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर मुखर्जी और उनके सहयोगियों: शेम्याकिन-ओविचिनिकोव इंस्टीट्यूट ऑफ बायोऑर्गेनिक केमिस्ट्री, रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, मॉस्को, से प्रो. यूरी एन. उत्किन और अमृता विश्व विद्यापीठम, कोच्चि के डॉ. भार्गब कलिता के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किए गए शोध पर पत्रिका (journal) टॉक्सिन्स में हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ जिसमें कोबरा विष सीटीएक्सएस की प्रक्रिया के तंत्र पर व्यापक रूप से चर्चा के साथ ही कोबरा विष-प्रेरित पैथोफिजियोलॉजी (pathophysiology) और उसकी विषाक्तता में उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा यह सहयोगी समीक्षा लेख कोबरा विषों के इस महत्वपूर्ण वर्ग के विषाक्त प्रभावों को कम करने में वाणिज्यिक विष रोधी (एंटीवेनम) की प्रभावकारिता पर भी प्रकाश डालती है।
प्रो. मुखर्जी ने इस बात पर बल दिया कि कम आणविक- द्रव्यमान (molecular-mass) विषाक्त होने के कारण, कोबरा विष सीटीएक्सएस विषरोधी (एंटीवेनम) के पारंपरिक उत्पादन के दौरान कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। अतः इन कोबरा विषयुक्त विषाक्त पदार्थों को निष्प्रभावी बनाने के लिए वाणिज्यिक एंटीवेनम में पर्याप्त एंटीबॉडीज की कमी होती है। डॉ. मुखर्जी ने कहा कि कोबरा विष सीटीएक्सएस के विरुद्ध वाणिज्यिक एंटीवेनम के इस अपनी क्षमता से कम (सब- ऑप्टीमल) प्रभाव के कारण कोबरा दंश से उपजी -विषाक्तता के साथ स्थान विशेष पर होने वाले प्रभावों पर अस्पताल (hospital) में भर्ती हुए रोगी के उपचार (treatment) का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण है और अभी भी एक ऐसी गंभीर चिंता का विषय है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
लेखकों का मानना है कि आणविक जीव विज्ञान और प्रोटीन इंजीनियरिंग (protein engineering) में अब तक हुई प्रगति इस समस्या के समाधान की सुविधा प्रदान कर सकती है और विषरोधी (एंटीवेनम) के उत्पादन के लिए अत्यधिक इम्युनोजेनिक टॉक्सिन/टॉक्सिन अंश बनाने में सहायता कर सकती है। इसके अलावा उन्होंने सुझाव दिया कि एंटीवेनम (वीएचएच या नैनोबॉडीज जैसे छोटे एंटीबॉडीज) अथवा छोटे अणु अवरोधकों के सामयिक अनुप्रयोग के लिए रणनीति विकसित करना सर्पदंश के स्थान पर कोबरा विष सीटीएक्सएस के स्थानीय विषाक्त प्रभावों को कम करने के लिए एक अधिक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
एस. के. राणा March 06 2025 0 34965
एस. के. राणा March 07 2025 0 34854
एस. के. राणा March 08 2025 0 33855
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 27861
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 24420
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 23532
सौंदर्या राय May 06 2023 0 82128
सौंदर्या राय March 09 2023 0 86744
सौंदर्या राय March 03 2023 0 86430
admin January 04 2023 0 87369
सौंदर्या राय December 27 2022 0 76419
सौंदर्या राय December 08 2022 0 65878
आयशा खातून December 05 2022 0 119880
लेख विभाग November 15 2022 0 89356
श्वेता सिंह November 10 2022 0 105507
श्वेता सिंह November 07 2022 0 87902
लेख विभाग October 23 2022 0 73016
लेख विभाग October 24 2022 0 75011
लेख विभाग October 22 2022 0 81954
श्वेता सिंह October 15 2022 0 88452
श्वेता सिंह October 16 2022 0 82349
अक्सर लोग पैरों की मालिश करने के लिए ना जानें कौन कौन से तेल का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यदि सरसों क
सरकार ने दूसरे देशों की तरह सख्त लॉकडाउन का ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन मॉस्कों में गुरुवार से 7 नवं
इस अभियान के तहत ओडोमॉस 70 शहरों के 20 लाख लोगों तक पहुंचेगा और उन्हें डेंगु और मलेरिया के बारे में
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक अब तक ब्लैक फंगस के 265 मरीज भर्ती किए जा चुके हैं। 2
एसजीपीजीआई में अचानक टोमैटो फ्लू के मामले बढ़ने लगे हैं। एक महीने पहले तक जहाँ दो हफ्ते में इक्का-दुक
दातुन या परम्परागत मंजन वैक्टीरिया को मारता तो है लेकिन ये दांतों की सफाई पूरी तरह नहीं करता है। टूथ
इस अवधि में निवेश करने वाले देशों के मामले में अमेरिका पहले स्थान पर है, जिसके बाद स्विट्ज़रलैंड, जा
डेल्टा स्वरूप का मामला सबसे पहले भारत में सामने आया और इसके कारण दक्षिण अफ्रीका में महामारी की तीसरी
भारत सरकार के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष राष्ट्रीय योग ओलम्पियाड को 18 जून से 20 जून 2022 तक
यूएन प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा कि हम अपनी अरक्षणीय जीवन शैलियों के लिये पृथ्वी से बहुत ज़्यादा की
COMMENTS