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देश में गर्भनिरोधक साधनों की मांग बढ़ी, कुल प्रजनन दर में गिरावट आयी

देश की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों की अहम प्रगति को दर्शाता है। कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या के रूप में मापा जाता है।

विशेष संवाददाता
May 08 2022 Updated: May 08 2022 01:58
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देश में गर्भनिरोधक साधनों की मांग बढ़ी, कुल प्रजनन दर में गिरावट आयी प्रतीकात्मक चित्र

नयी दिल्ली। देश में बढ़ती आबादी पर आम आदमी की चिंता दिखाई पड़ने लगी है। सरकार द्वारा जारी आँकड़े बता रहें है कि गर्भनिरोधक साधनों की मांग बढ़ी है। समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (CPR) 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है। गर्भनिरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ गया है। हाँ, परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट भी देखी गई है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के पांचवें दौर की रिपोर्ट बताती है कि गर्भनिरोधक प्रसार दर के बढ़ने के कारण देश की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों की अहम प्रगति को दर्शाता है। कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या के रूप में मापा जाता है, जो राष्ट्रीय स्तर पर NFHS-4 और 5 के बीच 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है।

देश में केवल पांच राज्य हैं, जो 2.1 के प्रजनन क्षमता के रिप्लेसमेंट लेवल से ऊपर हैं। इनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल हैं। NFHS-5 सर्वे में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.37 लाख सैंपल परिवारों से लिए गए हैं। इसमें 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया था।

रिपोर्ट में NHFS-5 ने उल्लेख किया है कि देश में संस्थागत जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 प्रतिशत जन्म संस्थानों में हो रहें हैं। शहरी क्षेत्रों में यह 94 प्रतिशत है। अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में अधिकतम 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। पिछले 5 वर्षों में 91 प्रतिशत से अधिक जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए हैं। 

संस्थागत जन्म का अर्थ प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्यकर्मियों की समग्र देख-रेख में एक चिकित्सा संस्थान में बच्चे को जन्म देना होता है।

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