नयी दिल्ली। पूरी दुनिया में लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की वेटिंग लिस्ट में शामिल हैं और हर नौ मिनट पर एक और व्यक्ति इसमें जुड़ जाता है। हज़ारों लोग अंग प्रत्यारोपण के इंतज़ार में दम तोड़ देते हैं। अब इसको लेकर येल यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक तरीका विकसित किया है।
येल यूनिवर्सिटी (Yale University) में शोधकर्ताओं की एक टीम ने अंग प्रत्यारोपण के लिए ऑर्गनएक्स टेक्नोलजी (OrganeX technology) को विकसित किया है। यह कोशिकाओं को मरने से रोकता है और कोशिका की मरम्मत कर देता है। इस टेक्नोलजी की बदौलत अंगों को शरीर के बाहर और लंबे समय तक जिंदा रख पाना मुमकिन हो पाएगा ताकि प्रत्यारोपण के लिए वे लंबी दूरियां तय कर सकें।
मानव अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) कई फैक्टरों पर निर्भर करता है। दानदाता और प्राप्तकर्ता एक दूसरे से बहुत ज्यादा दूर नहीं होने चाहिए क्योंकि एक अंग रक्त प्रवाह के बिना कुछ ही घंटे जिंदा रह पाता है। ऑर्गनएक्स टेक्नोलजी के जरिए मानव अंग (Human organ) प्रत्यारोपण की ज्यादा लम्बी दूरी तय कर सकेंगे।
ज्वोनिमिर व्रसेल्जा, ऑर्गनएक्स टेक्नोलजी टीम के सदस्य ने कहा कि कोशिकाएं उतनी भी जल्दी नहीं मर जाती जैसा कि हम मानते हैं। इस अध्ययन की मदद से हमने ये दिखाया है कि कोशिकाओं को मरने से (restore cell functions) रोका जा सकता है। व्रसेल्जा कहते हैं कि प्रयोगों ने दिखाया कि मृत्यु के कुछ समय बाद हम कुछ खास कोशिका कार्यों को बहाल कर सकते हैं।
नेचर जर्नल (Nature journal) में प्रकाशित अध्ययन के शोधकर्तों ने करीब 100 सुअरों पर एक प्रयोग (experiment on pigs) करके देखा कि मृत्यु जैसी स्थिति में रखने के एक घंटे बाद अगर ऑर्गनएक्स लगाया जाता है तो कोशिका संरचनाओं को बचाया जा सकता है। सुअरों को कथित मृत्यु के एक घंटे बाद, ऑर्गनएक्स मशीन में टांग दिया गया। इस मशीन में सेंसर लगे होते हैं जो मेटाबोलिक और रक्तसंचार (blood circulatory के मापदंडों के बारे में रीएल टाइम में सूचना भेजता है. उसके बाद ये सिस्टम, द्रव को जानवर के अंगों में छह घंटे तक पंप करता है।
अध्ययन (health Research) के एक और लेखक स्टीफन लाथम ने कहा, हम लोग ये नहीं दिखा पाए कि कोई सा भी अंग पूरी तरह बहाल हो पाया था और दूसरे सुअर में लगाने के लायक हो पाया था लेकिन हमे ये जरूर पता चला है कि हम आणविक स्तर पर कोशिका की मरम्मत चालू कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अध्ययनों की ऋंखला में ये सिर्फ एक पहला कदम था और मानव अंगों को बचाने (save human organs) में इसका इस्तेमाल करने से पहले इस प्रौद्योगिकी से जुड़ी अभी और काफी शोध करने पड़ेंगे। एक बात तो यही है कि द्रव को मानव देह पर इस्तेमाल के लिए उस लिहाज से ढालना होगा और इस प्रौद्योगिकी से एक पूरा समूचा अंग बचाने की बात भी अभी बाकी है।
हलांकि मानव पर ऑर्गनएक्स टेक्नोलजी का प्रयोग अभी नहीं किया गया है लेकिन दुनिया के सारे प्रयोग पहले जानवरों पर ही किए गए है। इस प्रयोग के बाद मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए भी नए रास्ते खुलने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है।
Updated by Ranjeef Thakur
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55218
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66585
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS