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झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में अब मेडिकल की पढ़ाई का रास्ता साफ।

अब इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर दाखिला होगा। दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों में पहली बार 2019-20 में 100-100 सीटों पर दाखिला हुआ था।

हे.जा.स.
December 16 2021 Updated: December 16 2021 01:11
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झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में अब मेडिकल की पढ़ाई का रास्ता साफ। प्रतीकात्मक

राँची। झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों दुमका, पलामू और हजारीबाग में अब मेडिकल की पढ़ाई का रास्ता साफ हो गया है। लंबे अरसे से लंबित इस मामले में राज्य सरकार को एक बड़ी कामयाबी मिली है। इसकी घोषणा बुधवार को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने झारखंड राज्य चिकित्सा पर्षद के भवन और वेबसाइट के उद्घाटन समारोह में की।

कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह भी मौजूद थे। दुमका मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई की अनुमति कुछ दिन पूर्व ही मिल गई थी, जबकि पलामू और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा आज स्वास्थ्य मंत्री ने की। 

100 सीटों पर हो सकेगा दाखिला:
गौरतलब है कि अब इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर दाखिला होगा। दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों में पहली बार 2019-20 में 100-100 सीटों पर दाखिला हुआ था। हालांकि, संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए नेशनल मेडिकल काउंसिल ने इन कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगा दी थी। तीनों नए मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की अनुमति मिलने के बाद अब राज्य में राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। इनमें रिम्स (रांची), पीएमसीएच(धनबाद) और एमजीएम (जमशेदपुर) में पहले से मेडिकल की पढ़ाई हो रही है।

राज्य के लिए बड़ी कामयाबी: बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि यह राज्य के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। मैंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया जी से बार-बार आग्रह किया था कि राज्य के बच्चों के भविष्य के बारे में सोचें। सरकार इन मेडिकल कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था हो इसके लिए हम कृतसंकल्पित हैं। हम एक तरफ संसाधनों की पूर्ति कर रहे हैं। दूसरी तरफ शिक्षकों की कमी न हो, इसके लिए प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति अनुबंध पर कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले बार इन मेडिकल कॉलेजों में कम संसाधनों का हवाला देते हुए एडमिशन की अनुमति रद्द कर दी गई थी, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पहल जारी रखते हुए एक तरफ आधारभूत सुविधाओं को दुरुस्त किया। वहीं, केंद्र सरकार पर भी लगातार दबाव बनाया कि एडमिशन मिल सके।

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