नई दिल्ली। ग्लोबल वैल्यू बेस्ड और आरएंडडी संचालित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी ताकेदा ने इलुमिनेट के नाम से दुर्लभ बीमारियों की जांच के लिए डायग्नोसिस प्रोग्राम का ऐलान किया है, जिससे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (एलएसडी) के मरीजों को मदद मिलेगी। इस जांच अभियान का संचालन और प्रबंधन पर्किन एल्मर करेगी और इसकी प्रायोजक बक्साल्टा बायोसाइंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ताकेदा ग्रुप की कंपनी) होगी। इस प्रोग्राम के जरिये गौशर डिजीज, फाइब्री डिजीज और म्यूकोपॉलीसैचराइडोसिस टाइप 2 (एमपीएसआईआई, हंटर सिंड्रोम) जैसी एलएसडी के मरीजों के लिए जांच का बेहतर रास्ता खुलेगा।
इस प्रोग्राम के जरिये जांच के समय को कम किया जा सकेगा, जिससे डॉक्टर समय पर इलाज शुरू कर सकेंगे। बीमारी का लक्षण बनने वाले शुरुआती संकेतों को समझकर ड्रायड ब्लड स्पॉट (डीबीएस) टेस्टिंग के जरिये डॉक्टर एक फिल्टर कार्ड पर ब्लड सैंपल लेकर उसे लेबोरेटरी में परीक्षण के लिए भेजते हैं और बीमारी का होना सुनिश्चित करते हैं। इसके बाद रिपोर्ट डॉक्टर को दी जाती हैऔर एक पासवर्ड आधारित पोर्टल के माध्यम से डॉक्टर कभी भी उस रिपोर्ट को देख सकते हैं।
ताकेदा इंडिया के अंतरिम जनरल मैनेजर साइमन गैलागेर ने कहा, ‘हम इलाज से दूर दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त मरीजों समेत सभी लोगों के लिए स्वस्थ एवं बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रोग्राम की मदद से तेज जांच होगी, मरीजों को समय पर जांच मिलना संभव होगा और बीमारी का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। मरीजों को केंद्र में रखते हुए हम आगे भी दुर्लभ बीमारियों के मरीजों के लिए स्टैंडर्ड ऑफ केयर को बेहतर करने की दिशा में काम करते रहेंगे। इसके लिए हम रणनीतिक भागीदारी करेंगे और पर्सनलाइज्ड केयर एवं ट्रीटमेंट के इनोवेटिव सॉल्यूशन निकालने की दिशा में निवेश करेंगे।’
आमतौर पर जब तक जांच से बीमारी सुनिश्चित हो पाती है, तब तक कई ऐसे लक्षण हावी हो चुके होते हैं, जिन्हें ठीक करना संभव नहीं होता और इससे इलाज का असर सीमित हो जाता है। भारत में एलएसडी के मरीज 20 साल तक बिना जांच के रह जाते हैं।
पहले चरण में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कोलकाता, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ निश्चित केंद्रों पर पर्किन एल्मर द्वारा इस प्रोग्राम का संचालन किया जाएगा।
ताकेदा इंडिया में हेड ऑफ पेशेंट सर्विसेज सुमेधा गुप्ता ने कहा, ‘दो साल में हम पर्किन एल्मर के साथ मिलकर करीब 10,000 मरीजों की जांच का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। साथ ही डायग्नोस्टिक रेट भी बढ़ाने का प्रयास रहेगा, जो अभी 1 प्रतिशत से भी कम है।’
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुर्लभ बीमारियां पूरे जीवन रहने वाली बीमारियां हैं और प्रति 1000 में एक या इससे कम लोग इनसे पीड़ित हैं। 7000 से 8000 प्रकार की दुर्लभ बीमारियां हैं, लेकिन 5 प्रतिशत से भी कम बीमारियों के लिए इलाज उपलब्ध है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55218
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66585
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS