लखनऊ। गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा कई अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रसव के बाद रक्तस्राव से भारत में प्रति एक लाख महिलाओं में 103 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
फेडरेशन आफ आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया (Federation of Obstetrics and Gynecological Society of India) ने डब्ल्यूएचओ (WHO), यूनिसेफ (UNICEF), क्वीन मैरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Queen Mary), बीएचयू (BHU) के कई चिकित्सकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर दो वर्षों तक प्रशिक्षण दिया।
प्रसव के बाद रक्तस्राव (postpartum hemorrhage) से होने वाली मृत्यु से महिलाओं को बचाने के लिए वीरांगना झलकारी बाई महिला चिकित्सालय (Jhalkari Bai Hospital), वीरांगना अवंती बाई बाल एवं महिला चिकित्सालय के साथ माल, गोसाईंगंज और इटौंजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
सोसाइटी की वाइस प्रेसिडेंट डॉ अर्चना वर्मा ने कहा कि प्रसव (delivery) के दौरान दो घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते है। इन दो घंटों में गर्भवती को यदि रक्तस्राव (pregnant starts bleeding) होने लगे तो महज तीन मिनट के अंदर इंटेंसिव केयर जरूरी है। इन तीन मिनटों में महिला की जान भी जा सकती है। यह तीन मिनट गोल्डन पीरियड (golden period) कहलाते हैं।
उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों (health workers) के साथ परिवारजनों को भी होना जरुरी है इसलिए ये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए है। यह प्रशिक्षण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अब तक इसके बचाव के लिए प्रबंधन (delivery management) किए तो जा रहे थे लेकिन उस प्रबंधन की सही तकनीक और कदम के बारे में जानकारी नहीं है साथ ही कुछ नए तरीके भी जोड़े गए हैं जिसकी जानकारी देना जरुरी था।
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