लखनऊ। आयुष्मान योजना के तहत अब हड्डी रोगी देसी या विदेशी कोई भी इमप्लान्ट लगवा सकेंगे। साथ ही इस योजना के तहत बोनमैरो इमप्लान्ट की भी सुविधा शुरू कर दी गई है। यह कहना है नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के कार्यकारी निदेशक डॉ शंकर प्रिन्जा का। डॉ शंकर मंगलवार को मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना के बेहतर क्रियान्वयन के मुद्दे पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि आयुष्मान योजना (Ayushman scheme) के अंतर्गत अब दिल, मानसिक और न्यूरो के इलाज में नए पैकेज शुरू किए गए हैं। साथ ही 365 प्रोसीजर जोड़े गए हैं। गौरतलब है कि इस योजना के तहत किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा पिछले वर्ष ही जोड़ी गई थी। जो सक्रियता से शुरू की जाएगी।
इसके पूर्व कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यशाला है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं शिक्षा के उच्च अधिकारी और करीब सभी मेडिकल कॉलेज के नोडल ऑफिसर मौजूद हैं। यह एक विशेष प्लेटफॉर्म है। जहां मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना को और कैसे बेहतर क्रियान्वयान्वित किया जाए। इस पर विस्तार से मंथन होगा। मैं उम्मीद करता हूं कि आज के इस आयोजन से अच्छे निष्कर्ष निकलेंगे।
आयुष्मान योजना की नोडल एजेंसी साचीस की सीईओ संगीता सिंह ने कहा कि आयुष्मान योजना के लक्षित क्रियान्वयन में लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज और कानपुर के जीएसवी मेडिकल कॉलेज ने प्रदेश में सबसे बेहतर परिणाम दिया है। वहीं प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं जहां मेडिकल कालेज होने के बावजूद वहां के मरीज अन्य राज्यों में जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अधिकतर मेडिकल कॉलेज में गंभीर (सेकेंडरी) मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि मेडिकल कॉलेज अति मरीजों (टरशरी) के इलाज के लिए बनाए गए हैं। गौरतलब है कि सेकेंडरी मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल बनाए गए हैं। वहीं लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में क्रमशः 24 और 25 विभाग हैं। जबकि यहां क्रमशः सिर्फ 14 और 20 विभाग ही सक्रिय हैं।
मेडिकल कॉलेज पूरा सहयोग करेंगे : आलोक कुमार
कार्यशाला के दौरान डॉ राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज के डॉ अमित कौशिक, केजीएमयू के डॉ बीपी सिंह, मेयो के डॉ डीएस नेगी, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के निदेशक विपिन जैन ने पैनल में चर्चा की। सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज में आ रही बाधाओं को दूर करने पर विचार-विमर्श हुआ। इस मौके पर आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा ने आश्वशत किया कि आयुष्मान योजना के बेहतर क्रियान्वयन सभी मेडिकल कॉलेज पूरा सहयोग करेंगे। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों ने अपने यहां आने वाली समस्याओं पर सवाल पूछे। खासकर मरीज के इलाज के लिए मिलने वाले भुगतान में देरी और उसकी प्रक्रिया को और आसान करने पर सवाल उठे। मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से योजना को शतप्रतिशत सफल बनाने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर महानिदेशक डॉ एनसी प्रजापति समेत अन्य मेडिकल कॉलेज और सहयोगी संस्थाओं एक्सेस और सीफार के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
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