लखनऊ। अंगदान प्रोत्साहन और जागरुकता को लेकर हेल्थ जागरण लगातार आपको महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है। इसी कड़ी में अपोलो अस्पताल के मशहूर लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ आशीष कुमार मिश्रा ने हेल्थ जागरण से लिवर प्रत्यारोपण को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की।
डॉ आशीष कुमार मिश्रा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण (organ transplantation) को लेकर तमाम तरीके की भ्रांतियां समाज में हैं जिनको दूर करके ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार हो सकती है। अंगदान (organ donation) को लेकर एक बहुत बड़ी भ्रांति है कि अंग खरीदे या बेचे जाते हैं। ये पूरी तरह मिथ्या धारणा है कि डोनर का लिवर बिक जाता है। पहली बात कि जिस व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है वह स्टेट तथा नेशनल आर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी (National Organ Transplant Committee) में रजिस्टर्ड होता है। डॉक्टर अपनी मर्जी से किसी का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते हैं। इसके लिए राज्य और केन्द्र सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। दूसरी बात कि लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों की वेटिंग लिस्ट में जो नाम सबसे ऊपर होता है उसका ही अंग ट्रांसप्लांट किया जाता है। महत्वपूर्ण बात यह कि ये लिस्ट ब्लड ग्रुप (blood group) के अनुसार बनाई जाती है।
अंग प्रत्यारोपण में दूसरी सबसे बड़ी मिथ्या धारणा है कि अंग मृत व्यक्ति से निकाल कर लगाएं जाते हैं। ये सरासर ग़लत है। अंग ब्रेन डेड (brain dead) व्यक्ति से लिए जाते हैं जिनका मस्तिष्क तो मृत हो चुका होता है लेकिन बाकी के अंग काम कर रहे होते हैं। कैडेबर ट्रांसप्लांट (cadaver transplant) के लिए समय सीमा बहुत जरूरी होती है। लगभग एक घंटे तक ही अंग प्रत्यारोपण के काबिल रहते हैं और इसी समय के अंदर पुलिस, आर्गन कमेटियां और अस्पताल की जरुरी कार्यवाही भी पूरी करनी होती है।इसी बीच में जिसको अंग प्रत्यारोपण करना है उसकी पूरी जांचें की जाती है। तो इतने कम समय में ये महत्वपूर्ण कार्य पूरे किए जाते हैं।
तीसरी मिथ्या धारणा है कि अंगदान के बाद मृत शरीर खण्डित हो जाता है। मृत शरीर परीजनों को ऐसे वापस किया जाता है जिससे अंतिम संस्कार (last rites) में कोई दिक्कत ना हो। पूरी दुनिया और भारत में हजारों अंगदान किए गए हैं लेकिन यह बात कभी सुनने में नहीं आई कि ऐसे शरीर के अंतिम संस्कार में कोई परेशानी आई हो।
चौथी महत्वपूर्ण बात कि किसी भी धर्म में अंगदान के लिए मना नहीं किया गया है। हमारी कई पौराणिक कथाओं में भी अंगदान का विवरण स्पष्ट मिलता है। अंगदान महादान है क्योंकि एक मृत व्यक्ति का शरीर लगभग आठ लोगों को जीवन दे सकता है। अंगदान को प्रोत्साहित (encourage organ donation) करने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।
एस. के. राणा March 06 2025 0 35298
एस. के. राणा March 07 2025 0 35187
एस. के. राणा March 08 2025 0 34299
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 28305
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 24531
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 23754
सौंदर्या राय May 06 2023 0 82128
सौंदर्या राय March 09 2023 0 86744
सौंदर्या राय March 03 2023 0 86430
admin January 04 2023 0 87369
सौंदर्या राय December 27 2022 0 76419
सौंदर्या राय December 08 2022 0 65878
आयशा खातून December 05 2022 0 119880
लेख विभाग November 15 2022 0 89356
श्वेता सिंह November 10 2022 0 105618
श्वेता सिंह November 07 2022 0 87902
लेख विभाग October 23 2022 0 73238
लेख विभाग October 24 2022 0 75122
लेख विभाग October 22 2022 0 81954
श्वेता सिंह October 15 2022 0 88452
श्वेता सिंह October 16 2022 0 82460
महात्मा गांधी सेवा चिकित्सा परिसर ख़नेरी के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य एक बार फिर जल्द शुरू होगा।
उपमुख्यमंत्री तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सख
आहार-विहार में गड़बड़ी के कारण लोगों को एसिडिटी और पाचन से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं। कुछ लोगों क
विश्व थैलेसीमिया दिवस, 8 मई पर विशेष| इस वर्ष की थीम है- “Addressing Health Inequalities Across the
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने ने बताया कि देश के प्रधानमन्त्री ने वर्ष 2025 तक भारत को ट
कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक और प्रीकॉशन डोज के बीच के अंतर को संशोधित करने में अधिक समय लग सकता है
कहते हैं कि अगर लाइफ में अच्छी आदतों को अपना लिया जाए, तो जिंदगी की आधी मुश्किलें तो वैसे ही आसान हो
स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग नियमित रूप से साइक्लिंग करते हैं। उनकी त्
खोड़ा में केंद्र सरकार की तरफ से पात्र गरीबों को इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्ड बनाए गए
जिन रोगियों को कोविड से उबरने के बाद फेफड़े से संबंधित दिक्कतें आ रही हैं, वह प्रत्येक मंगलवार को केज
COMMENTS