रोजमर्रा की भागदौड़ में हमारा शरीर, स्किन और बाल बहुत कुछ झेलते हैं। प्रदूषण, तनाव, यूवी किरणों से होने वाला डैमेज, पेस्टिसाइजड्स और केमिकल्स से भरा हुआ भोजन और शरीर में पोषक तत्वों की कमी से बालों की हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। वहीं, कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में ये परेशानियां अधिक उठानी पड़ती हैं। उनके बाल अन्य लोगों की तुलना में अधिक कमजोर और रूखे-सूखे होते हैं।
उम्र बढ़ने के बाद और मेनोपॉज (menopause) के आसपास के वक्त में महिलाओं को भी हेयर लॉस, हेयर थिनिंग, डैंड्रफ और गंजेपन की समस्या अधिक होती है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए महिलाओं को कई तरीके की सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही अपने हेयर केयर रूटीन में भी उम्र बढ़ने के साथ बदलाव करने की आवश्यकता पड़ती है। 40 साल की उम्र पार करने के बाद महिलाओं के लिए आयुर्वेद (Ayurvedic) के कुछ टिप्स उनकी हेयर प्रॉब्लम्स को कम करने में सहायक साबित होंगी।
हेल्दी डाइट लें - Take healthy diet
मजबूत और लंबे बालों के लिए हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है। स्वस्थ आहार से मिलनेवाले पोषक तत्व बालों की जड़ों को भीतर से पोषण और मजबूती देते हैं। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीएं। रोजाना 2-3 लीटर पानी पीने के अलावा विटामिन सी वाले फल और सब्जियों का सेवन करें।
संतुलित करें शरीर का प्रकृति दोष - Balance the nature dosha of the body
आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर के कार्य तीन महत्वपूर्ण ऊर्जाओं द्वारा नियंत्रित होते हैं : वात, पित्त और कफ। प्रत्येक व्यक्ति में एक 'त्रिदोष' संयोजन होता है। शरीर की तरफ बालों की हेल्थ भी इन्हीं प्रकृति दोषों पर निर्भर करती है। जैसे वात दोष बढ़ने पर बाल और स्कैल्प अधिक ड्राई हो जाते हैं। वहीं पित्त दोष में बाल समय से पहले सफेद होना, खोपड़ी में खुजली, बालों का झड़ना, रोम छिद्रों में बैक्टीरिया जमा होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में अपने प्रकृति दोष को पहचानें और उसे नियंत्रित करने के प्रयास करें।
बालों को रखें सुरक्षित - Keep hair safe
बालों को प्रदूषण से बचाएं। धूप और धूल से बचने के लिए बालों को कवर करें। अगर आपको दिन में अधिक समय बाहर रहना पड़ता है और बाल धूप के सम्पर्क में अधिक आते हैं तो उन्हें बांधकर रखें और स्कार्फ से कवर करें।
नियमित करें तेल मालिश और शैम्पू - Regular oil massage and shampoo
बालों में तेल से मालिश करने से उनमें नमी बनी रहती है और हेयर फॉलिकल (hair follicle) और स्कैल्प की त्वचा को होने वाले डैमेज से राहत मिलती है, जो हेयर फॉल के सबसे बड़े कारण हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शैम्पू (shampoo) करने से पहले हमेशा बालों और सिर की गर्म तेल से मालिश करनी चाहिए। इसके लिए आंवला, रीठा, शिकाकाई, तुलसी और नीम जैसी जड़ी-बूटियों से तैयार हर्बल तेलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी आयुर्वेदिक या नेचुरल तेल (नारियल का तेल या बादाम का तेल) को हल्का गुनगुना करें और स्कैल्प की धीरे से मालिश करें। इससे बालों को पोषण मिलेगा और बाल जड़ से सिरे तक मजबूत होते हैं।
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