नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों को फटकार लगाई कि स्पष्ट आदेश के बावजूद अनाथ बच्चों के बारे में जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वह अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए चाइल्ड केयर हेल्पलाइन, पुलिस, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं समेत हर विभाग की मदद लें।
सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड के तहत अनाथों के लिए चलाए जाने वाली सभी वेलफेयर स्कीम का लाभ उन बच्चों को भी मिले जो कोविड-19 के दौरान अपने माता-पिता को खो चुके हैं न कि केवल उन बच्चों को जो महामारी के कारण अनाथ हुए हैं। मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।
बच्चों के आंकड़ों पर है विवाद
कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। इन अनाथ बच्चों को सरकार की आर्थिक सहायता से जुड़ी स्कीमों का लाभ मिलेगा लेकिन असली विवाद बच्चों की संख्या को लेकर है। दरअसल सरकार की ओर से बताया गया है कि मार्च 2020 से लेकर जुलाई 2021 के बीच 645 बच्चे अनाथ हुए जबकि NCPCR के पोर्टल पर ऐेसे बच्चों के आंकड़े 6855 है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के बड़े होने पर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। यह राशि पीएम केयर्स फंड से दी जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने सवाल किया कि केवल कोरोना के कारण नहीं बल्कि कोरोना काल में अनाथ हुए सभी बच्चों को यह सहायता क्यों नहीं दी जा सकती?
पश्चिम बंगाल को फटकार
विशेषकर पश्चिम बंगाल जो मार्च 2020 से अब तक केवल 27 बच्चों के अनाथ होने की बात कह रहा है, उसपर कोर्ट ने हैरानी जताई क्योंकि अब तक जितने राज्यों ने आंकड़े दिए हैं वो कुल मिलाकर करीब 7 हजार है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पश्चिम बंगाल सरकार अनाथ बच्चों की संख्या का पता नहीं लगा पा रही है, तो उसे किसी दूसरी एजेंसी को यह काम देना होगा।
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