स्वस्थ और सक्रिय जीवन के लिए मनुष्य को उचित एवं पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर की आहार संबंधी आवश्यकताओं के तहत पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए अच्छा पोषण या उचित आहार सेवन महत्वपूर्ण है। नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित एवं संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। ख़राब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है तथा उत्पादकता कम हो जाती है।
संपूर्ण जीवन में स्वस्थ आहार उपभोग अपने सभी रूपों में कुपोषण रोकने के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों (non-communicable diseases) (एनसीडी) तथा अन्य स्थितियां रोकने में भी मदद करता है, लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण/वैश्वीकरण (rapid urbanization/globalization), प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपभोग और बदलती जीवनशैली के कारण आहार संहिता में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है।
लोग अधिक ऊर्जा, वसा, शर्करा या नमक/सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं तथा पर्याप्त फल एवं सब्जी तथा रेशा युक्त आहार जैसे कि साबुत अनाज का सेवन नहीं करते हैं। इसलिए, ये सभी कारक असंतुलित आहार में योगदान करते हैं। संतुलित और स्वस्थ आहार विभिन्न ज़रूरतों (जैसे कि उम्र, लिंग, जीवन शैली और शारीरिक गतिविधियों), सांस्कृतिक, स्थानीय उपलब्ध खाद्य पदार्थों और आहारीय रीति-रिवाजों (खानपान के संस्कार) के आधार पर अलग होता है, लेकिन स्वस्थ आहार का गठन करने वाले मूल सिद्धांत समान रहते हैं।
संतुलित आहार (balanced diet) वह होता है, जिसमें प्रचुर और उचित मात्रा में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और तंदुरूस्ती/आरोग्यता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त रूप से मिलते हैं तथा संपूरक पोषक तत्व (Nutrient) कम अवधि की कमजोरी दूर करने की एक न्यून व्यवस्था है।
आहार संबंधी मुख्य समस्या अपर्याप्त/असंतुलित आहार का सेवन है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की सबसे सामान्य पोषण संबंधी समस्याओं में से एक जन्म के समय कम वज़न, बच्चों में प्रोटीन-कैलोरी (ऊर्जा) कुपोषण, वयस्कों में चिरकालिक ऊर्जा की कमी, सूक्ष्म पोषक कुपोषण (chronic energy deficiency) और आहार संबंधी गैर-संचारी रोग हैं। देश में मानव संसाधनों (human resources) के विकास के लिए स्वास्थ्य और पोषण सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी कारक हैं।
स्वस्थ आहार पद्धति जीवन में जल्दी शुरू होती है। हालिया प्रमाण दर्शाते है, कि गर्भाशय में पोषण की कमी, बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक रोगों के लिए भावभूमि निर्मित करती है। स्तनपान स्वस्थ विकास में वृद्धि करता है और संज्ञानात्मक विकास में सुधार करता है तथा उससे लंबे समय तक का स्वास्थ्य लाभ होता है। यह अधिक वज़न या मोटापा (overweight) और बाद के जीवन में एनसीडी (NCD) होने का ज़ोखिम कम करता है। यद्यपि स्वस्थ आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, इसलिए ‘प्रमुखता’ खाद्य आधारित दृष्टिकोण से पोषक नवाचार पर स्थानांतरित हो गयी है।
खाद्य पदार्थों को निम्नलिखित के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है-
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