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रीढ़ की हड्डी के चोट का इलाज तेजी से हो सकेगा: शोध

यूएल के एसोसिएट प्रोफेसर मौरिस एन कोलिन्स ने कहा, ‘‘रीढ़ की हड्डी में लगी चोट या नुकसान व्यक्ति के लिए सबसे पीड़ादायक अवस्था है और इसका असर जीवनपर्यंत और जिंदगी के प्रत्येक हिस्से में रह सकता है।’’

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December 06 2022 Updated: December 06 2022 03:06
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रीढ़ की हड्डी के चोट का इलाज तेजी से हो सकेगा: शोध प्रतीकात्मक चित्र

लंदन (भाषा)। एक नवीनतम अध्ययन के मुताबिक नयी विकसित वस्तु से नए ऊत्तकों के बनने की प्रक्रिया तेज होगी और इससे रीढ़ की हड्डी की चोट का इलाज तेजी से हो सकेगा।


अध्ययन के मुताबिक अनुसंधानकर्ताओं (researchers) ने नए ऊत्तकों के विकास एवं बनने के लिए नए तरह की आधार वस्तु और विशेष तरीके से विद्युत तंरगो से तैयार पॉलिमर (polymers) का इस्तेमाल किया है। 


लिमेरिक विश्वविद्यालय (University of Limerick) के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने नयी हाइब्रिड वस्तु (hybrid material) तैयार की है जो ऊत्तक इंजीनियरिंग (tissue engineering) के क्षेत्र में इस्तेमाल नैनो कण (nanoparticle) और ढांचे की तरह है और यह रीढ़ में लगी चोट को दोबारा ठीक करने में कारगर साबित हुई है। 


यूएल के एसोसिएट प्रोफेसर मौरिस एन कोलिन्स ने कहा, ‘‘रीढ़ की हड्डी (Spinal cord injury) में लगी चोट या नुकसान व्यक्ति के लिए सबसे पीड़ादायक अवस्था है और इसका असर जीवनपर्यंत (lifetime) और जिंदगी के प्रत्येक हिस्से में रह सकता है।’’


उन्होंने कहा, ‘‘चोट लगने के स्थान से नीचे के हिस्से के कमजोर होने का असर लकवा (paralysis) हो सकता है और केवल अमेरिका में ही सालाना इसके इलाज पर 9.7 अरब डॉलर का खर्च आता है। मौजूदा समय में वृहद पैमाने पर इसका इलाज उपलब्ध नहीं है। लगातार इस क्षेत्र में अनुसंधान हो रहा है जो अहम है ताकि इलाज की तलाश कर मरीज की जिंदगी की गुणवत्ता को सुधारा जा सके। इलाज तलाशने की इसी कड़ी में ऊत्तक इंजीनियरिंग अहम रणनीति है।’’


कोलिंस ने कहा, ‘‘ ऊत्तक इंजीनियरिंग का लक्ष्य दान के अंगो और ऊत्तकों की वैश्विक कमी (global shortage) का समाधान करना है और जैव वस्तु की नयी परिपाटी सामने आई है। विद्युत संकेतकों (electrical signals) की वजह से शरीर की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं खातसौर पर सुचालक प्रकृति की कोशिकाएं जैसे हृदय और तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं।’’


इस अनुसंधानपत्र को जर्नल बायोमैटीरियल रिसर्च ( journal Biomaterial Research) में प्रकाशित किया गया है। 

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