लखनऊ। फेफड़े के कैंसर (cancer) से पीड़ित करीब 60 फीसदी मरीजों में बीमारी का पता काफी देर से चलता है। इससे उनके इलाज में काफी समस्या होती है। इसलिए टीबी (TB) जैसे लक्षण होने पर लंग कैंसर की जांच (cancer screening) भी करानी चाहिए।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिनि विभाग (Department of Medicine) के अध्यक्ष डॉ. अजय वर्मा ने बताया कि टीबी और फेफेड़े के कैंसर के लक्षण (cancer symptoms) एकदम मिलते-जुलते होते हैं। इसकी वजह से कई बार टीबी मानकर उनका इलाज होता है। दो या तीन हफ्तों तक टीबी की दवा से मरीज को आराम नहीं आता, तब अनुमान लगाया जाता है कि उसे फेफड़ों का कैंसर है।
पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग (Department of Critical Care Medicine) के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक,फेफड़े की टीबी की सबसे बड़ी वजह तम्बाकू, धूम्रपान, बीडी-सिगरेट है। परोक्ष या अपरोक्ष से इसका सेवन करने वाले बीमारी का शिकार हो सकते हैं। हालांकि नई दवाओं से इलाज की राह आसान हुई है।
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