पीलीभीत। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) मरैनिया गांधीनगर भरतपुर हजारा से है। जहां स्वास्थ्य सेवाओं (health services) में सुधार करने के लाख दावे किये जा रहे हों, लेकिन हालात बिल्कुल इन दावों के विपरीत हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा सिर्फ छलावा साबित हो रहा है। स्वास्थ्य संबंधी तमाम योजनाओं के लिए सरकार भारी-भरकम बजट जारी करती है। जिम्मेदार इन योजनाओं को पलीता लगाने में लगे रहते है।
दरअसल जनपद में ट्रांस शारदा क्षेत्र की 17 ग्राम पंचायतों की लगभग पौने दो लाख की आबादी का स्वास्थ्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भरतपुर, मौरेनियां गांधीनगर के सहारे है, लेकिन इस अस्पताल (Hospital) में डॉक्टर महीनों की छुट्टी पर चले गये हैं। और यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक फार्मासिस्ट तथा एक एएनएम के सहारे चल रहा है।
डॉक्टर न होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। हालांकि सर्दी-जुकाम (Cold and cough), खांसी आदि की दवाएं फार्मासिस्ट दे देता है। परंतु गभीर बीमारी या गंभीर चोट लगने के उपरांत मरीजों को मेडिकल करवाने के लिए काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इस स्वास्थ्य केंद्र में न वार्ड ब्वाय है और न ही स्वीपर है।
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