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प्रदूषण के कारण कोरोना से मौत का खतरा बढ़ा, खुली हवा में सांस लेना मतलब 30 सिगरेट जितना धुआं।

दिल्ली के आसमान में छाए स्मॉग में धुएं के साथ-साथ कई तरह के केमिकल भी होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं. इस मौसम में कोहरे की वजह से ये केमिकल्स जमीन के ठीक ऊपर जमा हो जाते हैं.

हे.जा.स.
November 14 2020 Updated: January 13 2021 02:46
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प्रदूषण के कारण कोरोना से मौत का खतरा बढ़ा, खुली हवा में सांस लेना मतलब 30 सिगरेट जितना धुआं।

नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है. राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है. प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट हो रही है. गैस चैंबर बनी दिल्ली की आवोहवा लोगों को बीमार बना रही है. वायु गुणवत्ता का यह स्तर न केवल स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उन लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है जो पहले से ही रोगों की चपेट में हैं. हवा में घुल रहा जहर लोगों के सांसें अटका रहा है तो आंखों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है.

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) आनंद विहार में 422, आर.के. पुरम में 407, बवाना में 430 (गंभीर श्रेणी) पर है. सबसे खराब स्थिति आईटीओ इलाके में हैं, यहां एक्यूाई 488 (गंभीर श्रेणी) दर्ज किया गया है. इसके अलावा वायु गुणवत्ता सूचकांक नोएडा सेक्टर 1 में 396 और विकास सदन, गुरुग्राम में 336 (बहुत खराब श्रेणी) पर है.  उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.  

जानलेवा बना कोरोना और प्रदूषण का कॉकटेल

दिल्लीवासियों के लिए कोरोना वायरस के साथ प्रदूषण का कॉकलेट और भी ज्यादा जानलेवा बन गया है. वायु प्रदूषण और कोविड-19 संक्रमण से मौत के खतरे को लेकर हालिया शोध से पता चलता है कि ‘कोविड-19 से मृत्यु के बढ़े खतरे में वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण कारक है. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ‘कोविड-19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिए वायु प्रदूषण घटाने की खातिर निष्कर्ष को समन्वित महत्वाकांक्षी नीतियां बनाने में ज्यादा प्रेरणा’ देने वाला होना चाहिए. अध्ययन का आकलन है कि पार्टिकुलेट वायु प्रदूषण पूरी दुनिया में कोविड-19 के कारण मृत्यु में 15 फीसदी का योगदान करता है

बढ़ रही सांस और खांसी के मरीजों की संख्या

उधर, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 संक्रमण और प्रदूषण के कॉकटेल से लोग और बीमार हो रहे हैं. इसकी वजह से लोगों का दम घुट रहा है. लोगों को सूखी खांसी होने लगी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पतालों में सांस और खांसी के मरीजों की संख्या में 4 से 5 गुना तक इजाफा हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर्स कहते हैं कि इस 'गंभीर' श्रेणी वाली हवा में अगर कोई दिनभर सांस लेता है तो वह 30 सिगरेट जितना धुआं बिना सिगरेट पिए ही ले रहा है.

स्मॉग में कोहरे और धुंए के साथ घुले होते हैं कई केमिकल

दिल्ली के एक अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक, दिल्ली के आसमान में छाए स्मॉग में धुएं के साथ-साथ कई तरह के केमिकल भी होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं. इस मौसम में कोहरे की वजह से ये केमिकल्स जमीन के ठीक ऊपर जमा हो जाते हैं. इन पार्टिकल्स के सांस के जरिए गले में पहुंचने पर सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. इसकी वजह से खांसी शुरू हो जाती है. स्मॉग में घुले केमिकल के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और भी बढ़ा देते हैं. इससे फेफड़ों की क्षमता भी कम हो सकती है. इतना ही नहीं दिल्ली की जहरीली हवा ना केवल लंग्स और हार्ट के लिए खतरनाक हैं, बल्कि यह आंखों पर भी बुरा असर डाल रही है.

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