देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

स्वास्थ्य

जानिये अस्थमा से जुड़ी भ्रांतियाँ और उनके उपाय|

धूल, ठंड, पराग, पालतू पशुओं के रोम, वायु में मौजूद वायरस के अलावा भावनात्मक बेचैनी भी अस्थमा अटैक का कारण बन सकती है।

0 31298
जानिये अस्थमा से जुड़ी भ्रांतियाँ और उनके उपाय| प्रतीकात्मक

डॉ.ए केसिंह, पल्मोनोलॉजिस्ट, 
चंदन हॉस्पिटल, लखनऊ| 

ऐसे अभूतपूर्व समय में फेफड़ों से संबंधित अनेक तरह की बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आने के साथ ही लोगों को फेफड़ों के स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारियों से भी जूझना पड़ रहा है। खासतौर पर अस्थमा के बारे में यह बात सच भी है। इससे जुड़ी कई तरह की गलत धारणाएं मौजूद हैं। हम अस्थमा से जुड़ी भ्रांतियों और डर को दूर करेंगे ताकि इस बीमारी से जूझ रहे लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।

द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज रिपोर्ट के अनुसार “भारत में  9 करोड़ 30 लाख श्वसन से संबंधित बीमारी से ग्रसित हैं, इनमें से 3 करोड़ 70 लाख लोग अस्थमा से ग्रसित हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो आप पाएंगे कि भारत का योगदान महज 11.1% है। हालांकि, अस्थमा से होने वाली मौतों के मामले में भारत का प्रतिशत 42 फीसदी से ज्यादा है। यही वजह है कि इस मामले में भारत दुनिया में अस्थमा केपिटल के तौर पर जाना जाता है।”

अस्थमा पर विस्तार से बात करते हुए डॉ.ए केसिंह, पल्मोनोलॉजिस्ट, चंदन हॉस्पिटल ने बताया,“अस्थमा के कारण फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है। इसके कारण वायु मार्ग संकरे हो जाते हैं। फेफड़े भी कई तरह की एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं, जो कि अस्थमा अटैक का कारण बनते हैं। धूल, ठंड, पराग, पालतू पशुओं के रोम, वायु में मौजूद वायरस के अलावा भावनात्मक बेचैनी भी अस्थमा अटैक का कारण बन सकती है। इस तरह के अटैक को सांस लेने की थेरेपी के जरिए रोका जा सकता है। इसमें लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। मगर, इसमें भी गलत धारणा यह है कि इसकी लत लग जाती है जो कि बिल्कुल गलत है। हमें जरूरत है इस बात की कि अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी के साथ इसका जवाब दें।”

हालांकि, अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है। हां, इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है। और एक सामान्य जीवन भी जी सकते हैं। अस्थमा का सही इलाज और इसका अनुपालन बेहद महत्वपूर्ण है। GINA गाइडलाइन के मुताबिक, अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए इनहालेशन (अंतःश्वसन) थेरेपी को सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित बताया गया है, क्योंकि यह सीधे आपके फेफड़ों तक पहुंचती है और तुरंत काम करना शुरू करती है।

इन्हेलर्स का महत्व बताते हुए डॉ.रजनीशश्रीवास्तव, पल्मोनोलॉजिस्ट, मेदांता हॉस्पिटलने कहा, “अस्थमा की प्रवृत्ति दीर्घकालिक है। इस कारण लंबे समय तक इसके इलाज की जरूरत होती है।इन्हेलर्स इसमें प्रभावी रोल निभाते हैं। इसके बूते मरीज अस्थमा के साथ भी स्वस्थ जीवन जी सकता है। कई मरीज बार-बार अपनी दवाएं बदलते हैं या फिर इन्हेलर्स का इस्तेमाल गलत ढंग से करते हैं, इस वजह से वे अपना इलाज ठीक ढंग से जारी नहीं रख पाते हैं और नतीजतन सेहतमंद जीवन जीने में असफल रहते हैं। मरीज को सदैव अपने डॉक्टर से अस्थमा को नियंत्रित करने के तरीकों और इन्हेलर्स के इस्तेमाल को लेकर बातचीत करना चाहिए। बिना डॉक्टर से बात किए इसका उपयोग बंद नहीं करना चाहिए।”

डॉक्टर्स ने मरीजों के इलाज के दौरान अस्थमा से जुड़ी गलत धारणाओं को सूचनाबद्ध किया है। उनकी मंशा है कि यह जानकारी जन सामान्य तक पहुंचे। इसके साथ हम अस्थमा और इन्हेलर्स से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करेंगें।

मिथ 1: अस्थमा से जुड़े अनुभव हर मरीज के लिए समान ही होते हैं।
फैक्ट-चेक: अस्थमा के लक्षण हर मरीज के साथ अलग-अलग हो सकते हैं और उन्हें बेहद ध्यान से देखा जाना जरूरी है ताकि डॉक्टर सही इलाज कर सके।

मिथ 2: बच्चों में अस्थमा उनकी उम्र से ज्यादा बड़ा होता है।
फैक्ट-चेक: अस्थमा के लक्षण उम्र के साथ बढ़ सकते हैं, मगर यह जीवनपर्यंत रहने वाली स्थिति है। यह दीर्घकालिक है।अस्थमा का कोई स्थाई इलाज नहीं है। इसके लक्षण कभी भी वापस लौट सकते हैं।

मिथ 3: अस्थमा जानलेवा नहीं हो सकता।
फैक्ट-चेक: डॉक्टर से बात किए बगैर इन्हैलर्स का प्रयोग बंद करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। धैर्य की कमी से हालात बदतर हो सकते हैं।

मिथ 4: अस्थमा एक संक्रामक रोग है।
फैक्ट-चेक: अस्थमा एक संक्रामक रोग नहीं है। यह आनुवांशिक या वातावरण में मौजूद तथ्यों के कारण भी हो सकता है।

मिथ 5: अस्थमा बुढ़ापे में होने वाली बीमारी है।
फैक्ट-चेक: अस्थमा किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है।

मिथ 6: अस्थमा से ग्रसित लोगों के लिए कसरत करना सुरक्षित नहीं है।
फैक्ट-चेक: ऐसा नहीं है कि अस्थमा के कारण आपको निष्क्रिय जीवन जीना पड़े। कई डॉक्टर्स मरीजों को सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कई खिलाड़ियों को अस्थमा की समस्या है मगर वे एक सक्रिय जीवन जीते हैं।

मिथ 7: इन्हेलर्स की लत लग जाती है।
फैक्ट-चेक: इन्हेलर्स की लत नहीं लगती है। अस्थमा के इलाज और नियंत्रण के लिए इसे बड़े स्तर पर अपनाया जा चुका है। इसी के लिए यह जाने भी जाते हैं।

मिथ 8: कोई लक्षण नहीं मतलब अस्थमा नहीं है।
फैक्ट-चेक: कोई लक्षण नहीं इसका मतलब यह नहीं है कि अस्थमा नहीं है। दवाएं बंद करने से यह बीमारी कभी भी दस्तक दे सकती है या फिर यह भी हो सकता है कि लक्षण अचानक से भड़क जाए।  

आइए, अस्थमा के बेहतर प्रबंधन को लेकर शुरू किए गए इस संवाद को विश्व अस्थमा दिवस के जरिए सीधे लोगों तक पहुंचाएं। इससे न सिर्फ अस्थमा से पीड़ित मरीज बल्कि आमजन भी न सिर्फ इस बीमारी से जुड़ी भ्रामक बातों की सच्चाई जान सकेंगे बल्कि अस्थमा से जूझ रहे लोगों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम बन पाएंगे। अस्थमा जैसी बीमारियों के मामले में यह बात अति महत्वपूर्ण है। ऐसे मामलों में सदैव डॉक्टर से परामर्श लें।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

RELATED POSTS

COMMENTS

अंतर्राष्ट्रीय

सात गुना महंगी दवा बेचने पर ब्रिटेन ने अलायंस फार्मा और सहयोगी कंपनियों पर लगाया 356 करोड़ रुपये का जुर्माना

हे.जा.स. February 04 2022 27812

सिरदर्द, उलटी व चक्कर आने पर मरीज को दी जाने वाली टेबलेट्स सात गुना महंगी बेचने पर ब्रिटेन के प्रतिस

उत्तर प्रदेश

अस्पताल में ‘प्रेरणा दीदी कैंटीन’ से महिलाओं को मिलेगा पोषण आहार

विशेष संवाददाता February 11 2023 43176

जिला महिला अस्पताल में प्रेरणा दीदी नाम से एक कैंटीन खोली जा रही है। कैंटीन के माध्यम प्रसव वाली महि

उत्तर प्रदेश

मेदांता अस्पताल ने 101 किडनी ट्रांसप्लांट पूरे किए: डॉ राकेश कपूर

रंजीव ठाकुर August 31 2022 36904

मेदांता सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने 101 किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। मेदांता अस्पताल की

राष्ट्रीय

झारखण्ड में हर साल, एक हजार ह्रदय रोगियों का होगा मुफ्त इलाज

विशेष संवाददाता August 23 2022 18726

श्री सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल ने झारखंड के एक हजार हृदय रोगियों का मुफ्त इलाज करने का फैसला किया है।

स्वास्थ्य

विश्व पोषण दिवस: सही खाएं, स्वस्थ रहें

आयशा खातून May 28 2022 57856

गतिविधि कोई भी हो बिना ऊर्जा के सम्भव नहीं होती है। शारीरिक गतिविधियों के ऊर्जा का स्रोत स्वच्छ, रुच

स्वास्थ्य

डायबिटीज के मरीज क्या पी सकते हैं गन्ने का जूस?

लेख विभाग April 09 2023 22809

गन्ने का जूस अधिकतर लोग पीना पसंद करते हैं. गन्ने का जूस सबसे ज्यादा गर्मियों में लू और गर्मी के प्र

इंटरव्यू

चश्मे में पॉवर, ग्लासेस, लेन्सेस और फ्रेम की क्या होती है अहमियत, जानिये ऑप्ट्रोमैटिस्ट से

रंजीव ठाकुर August 23 2022 101599

पॉवर डिसाइड हो जाने के बाद ग्लास का क्या रोल होता है क्योंकि ग्लासेस की कीमतों में काफी अंतर होता है

राष्ट्रीय

देश में कोरोना महामारी की चौथी लहर के आने की संभावना बहुत कम, सतर्क रहना होगा: डॉ जैकब

एस. के. राणा March 21 2022 21539

डा. जान ने कहा कि फिलहाल न तो वैज्ञानिक और न ही महामारी विज्ञान से जुड़े कोई कारण नजर आ रहे हैं, जिस

उत्तर प्रदेश

देश के पहले डॉट सेन्टर ने टीबी के मरीजों को गोद लिया

रंजीव ठाकुर April 24 2022 28191

टीबी के मरीजों को गोद लेने का मतलब उन्हें अपने घर में रखना नहीं है बल्कि उनको अपने परिवार का एक सदस्

स्वास्थ्य

लड़कियों में होने वाली माहवारी को समझें

लेख विभाग August 13 2022 33711

पीरियड के इन संकेतों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि इससे आप सेनेटरी पैड्स और टेम्पन्स जैसे

Login Panel