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बैरियाट्रिक सर्जरी में देर करने से बढ़ता है कोविड का खतरा

बैरियाट्रिक मरीज दूसरे मरीज़ों की तुलना में अधिक खास हैं क्योंकि उनमें हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज़, कार्डियोवस्कुलर डिजीज़ और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है।

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बैरियाट्रिक सर्जरी में देर करने से बढ़ता है कोविड का खतरा प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ। कोविड-19 की महामारी ने हेल्थकेयर सिस्टम की कार्यप्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लोग संक्रमण के डर से बैरियाट्रिक सर्जरी को लगातार टाल रहे हैं। इसके चलते मोटापे से ग्रस्त मरीज़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बैरियाट्रिक सर्जरी सिर्फ मोटापा बल्कि कोविड के खतरे को बढ़ाने वाली सभी संबंधित बीमारियों से निजात पाने में मदद करती है।

न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसीन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर या फेफड़ों के कैंसर के मरीज़ों की तुलना में मोटापे से ग्रस्त मरीज़ों में कोविड का खतरा ज्यादा है। भारतीयों में भी इसका बहुत ज्यादा खतरा है।

साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेटाबॉलिक और बैरियाट्रिक सर्जरी के चेयरमैन, डॉक्टर प्रदीप चौबे ने बताया कि, “बैरियाट्रिक मरीज दूसरे मरीज़ों की तुलना में अधिक खास हैं क्योंकि उनमें हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज़, कार्डियोवस्कुलर डिजीज़ और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है। मोटापे से ग्रस्त लोग जब कोविड कि चपेट में आते हैं, तो उनका शरीर अन्य मरीज़ों की तुलना में गंभीर प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में उनके फेफड़ों में सूजन और जलन की शिकायत होती है। मोटे लोगों में कोविड के परिणाम घातक हो सकते हैं। इस गंभीर स्थिति में ऐसे मरीज़ों को प्राथमिकता देना सर्जनों की जिम्मेदारी बनती है। बैरियाट्रिक और मेटोबॉलिक सर्जरी से वजन और कार्डियोवस्कुलर जोखिम कम हो जाता है, डायबिटीज नियंत्रण में रहती है और जीवन बेहतर हो जाता है। सर्जरी में देर करने से मोटे लोगों में कोविड का खतरा बढ़ता है। यह साबित हो चुका है कि मेटाबॉलिक सर्जरी की मदद से टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त मोटे लोगों का जीवन बचाना संभव है।

बैरियाट्रिक सर्जरी मोटापे से निजात पाने का आखरी तरीका है, यह एक गलतफहमी है। नॉन सर्जिकल उपचारों की तुलना में बैरियाट्रिक और मेटोबॉलिक सर्जरी के फायदे लंबे समय के लिए होते हैं।

डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों ने कोविड-19 की स्थिति में आगे से आगे आकर इलाज करने का प्रण लिया है। बैरियाट्रिक मरीजों की सुरक्षा के लिए अस्पताल में सभी प्रकार के नियमों का पालन किया जा रहा है। टेक्नोलॉजी में आधुनिकता के साथ, मरीज अपने वजन और संबंधित बीमारियों के प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन मंचों का भी सहारा ले सकते हैं। ऑनलाइन सोशल सपोर्ट ग्रुप और टेलीमेडिसिन के साथ हेल्थकेयर सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आया है।

डॉक्टर प्रदीप चौबे ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि, “सामाजिक दूरी बनाने के लिए लोगों ने अपना ज्यादातर वक्त घर में गुज़ारा है। इस दौरान खराब आहार और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण मोटापे से ग्रस्त लोगों का स्वास्थ्य और बिगड़ा है। आने वाले कुछ महीनों में कोविड-19 का असर तो कम हो जाएगा, लेकिन वर्तमान में यह मोटापा और संबंधित बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है। लोग भविष्य की इस महामारी को देख नहीं पा रहे हैं, जिसके परिणाम बेशक सबको हिलाकर रख देने वाले होंगे। इसलिए मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए सलाह है कि बैरियाट्रिक सर्जरी में देर करें क्योंकि यह सिर्फ वजन को कम करती है बल्कि संबंधित सभी बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करती है।

हर स्थिति में स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। अपने शरीर से जुड़ी समस्याओं (डायबिटीज, मोटापा, उच्च रक्तचाप आदि) के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए शरीर की प्रणाली को संतुलित बनाए रखने के साथ समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। अपना जीवन आज ही बदलें, बिना देर किए अभी कदम उठाएं।

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