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महामारियों में प्रभावी कदम उठाने के लिए अमेरिका, भारत को 12.2 करोड़ डॉलर का वित्तीय मदद देगा 

अमेरिका ने कहा कि 12,24,75,000 डॉलर की कुल धनराशि, तीन शीर्ष भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान को पांच साल की अवधि में दी जाएगी।

एस. के. राणा
June 16 2022 Updated: June 17 2022 01:03
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महामारियों में प्रभावी कदम उठाने के लिए अमेरिका, भारत को 12.2 करोड़ डॉलर का वित्तीय मदद देगा  प्रतीकात्मक चित्र

नयी दिल्ली। भारत की तीन शीर्ष भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान को अमेरिका 12.2 करोड़ डॉलर (करीब 9 अरब 52 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। यह वित्तीय मदद महामारियों को रोकने, बीमारी के खतरों का जल्द पता लगाने और तेजी के साथ प्रभावी कदम उठाने के लिए दिया जा रहा है।

मदद का ऐलान करते हुए अमेरिका ने कहा कि 12,24,75,000 डॉलर की कुल धनराशि, तीन शीर्ष भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) को पांच साल की अवधि में दी जाएगी।

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) ने बुधवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि कोष एक ऐसा भारत बनाने में मदद करेगा, जो संक्रामक रोगों के खतरों के लिहाज से सुरक्षित होगा। सीडीसी के मुताबिक इस मदद से आईसीएमआर संस्थानों को उभरते और फिर से उभरते रोगजनकों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके प्रमुख उद्देश्यों में स्वास्थ्य आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से ‘जूनोटिक’ (zoonotic) रोग के प्रकोप का पता लगाना तथा उसे नियंत्रित करना, टीका सुरक्षा निगरानी प्रणाली का मूल्यांकन करना, महामारी (pandemic) में जन स्वास्थ्य कार्यबल की क्षमता बढ़ाना तथा उससे निपटना आदि शामिल है। ‘जूनोटिक’ रोग, ऐसे रोग होते हैं, जो पशुओं के माध्यम से मनुष्य में फैलते हैं।

सीडीसी ने कहा कि आईसीएमआर इस कार्य को करने के लिए एक बेहतरीन स्थिति में है, क्योंकि इसे मूल रूप से भारत में जैव चिकित्सा अनुसंधान के निर्माण, समन्वय एवं प्रचार के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में स्थापित किया गया था और हाल के वर्षों में इसने संक्रामक रोगों की प्रयोगशाला-आधारित निगरानी भी की है।

इस कोष को 30 सितंबर 2022 से जारी किया जाएगा, जिसके लिए केवल आईसीएमआर और उसके संस्थान पात्र हैं, जिसमें पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और चेन्नई स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) शामिल है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भारत में राष्ट्रीय स्तर के चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों का शीर्ष निकाय है।

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